संस्‍मरण

महाकुंभ की यात्रा संस्मरण-कंचन

मेरी कुंभ यात्रा

वो कहते हैं ना अगर नसीब में लिखा हो ओर दृढ़ निश्चय हो,तो सफलता मिलती है l ठीक वैसा ही हमारे साथ भी हुआ l महाकुंभ की यात्रा करना मानो एक जंग जीतने जैसा लग रहा था,क्योंकि मीडिया पर बताया जा रहा था कि आपको 20- 25 किलोमीटर चलना पड़ेगा और कहीं भगदड़ मच रही है,कहीं कुछ हो रहा है …

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यात्रा संस्‍मरण -माधुरी सिंह

मैं अगर यात्रा स्मरण की बात करूं तो, ऐसे तो जीवन में मैंने बहुत सी यात्राएं की है। अपने मम्मी पापा के साथ भी, अपने भाई बहनों के साथ भी, अपने पति के साथ भी, और अपने बच्चों के साथ भी। यात्रा तो मैंने बहुत की है लेकिन कुछ यात्राएं ऐसी है जो अभी भी मेरे स्मरण से बाहर नहीं …

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दीपमाला का संस्‍मरण

दीपमाला का संस्‍मरण

संस्मरण हंसती, खिलखिलाती, अल्हड़पन, जोश इन सभी में जीते बचपन और युवा के बीच का काल l बस वर्तमान में जीने की चाह न भविष्य की चिंता न अतीत का गम l जीना है बस अपने ही मगन में l बात उन दिनों की है जब हम ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ते थे l सभी विषयों की अलग-अलग कक्षा लगती थी …

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बचपन हर गम से बेगाना होता है-सीमा

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बच्चे तो बचपन में ढ़ेरो शरारतें करते हैं।  बचपन भले ही धीरे-धीरे  हाथों से फिसलता जाता है, पर यादें वहीं रह जाती है। आज उन्हीं शरारतों के खजाने में से एक यादें निकाल कर लाई हूँ। भादो का महीना था और तीज व्रत की तैयारी जोर शोर से हो रही थी। मै तीज के  एक दिन पहले, गुजिया,खजूर,मैदे की पूरी …

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मेरी आजी -गीता चौबे

संस्‍मरण – बात उन दिनों की है जब हम छुट्टियों में अपने गाँव गए हुए थे। तब हमें हमारी छुट्टियाँ गाँव में ही बितानी होती थी। तब किसी पर्यटन स्थल पर जाने का चलन नहीं था।  बहुत हुआ तो नजदीक के तीर्थ-स्थान पर चले गए। पर ऐसा बहुत कम होता था; क्योंकि तीर्थ-स्थानों की भीड़-भाड़ में बच्चों को लेकर जाना मेरे …

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जिंदगी के रंग-व्यग्र पाण्डे

मैं मेरी किशोरावस्था से एक विशेष नाम का जिक्र सुनता रहा । वो नाम हमारे क्षेत्र का जाना-पहचाना नाम था । जब भी साहित्य पर चर्चा होती तो उनकी रचनाएँ अवश्य चर्चा में आती । उन्हें साहित्य के कई बड़े-बड़े सम्मान भी मिल चुके थे ।मैं बड़ों की बातों को सुन-सुनकर उस नाम का कायल हो चुका था । आप …

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माँ गंगा की गोद में-विजय शंकर

माँ गंगा की गोद में-विजय शंकर

संस्‍मरण जब-जब गंगा-दशहरा या माघ मेला आता है तब-तब मुझे माँ गंगा की गोद में विहार करने का बचपन का दृश्य दृग समक्ष साकार हो जाता है।मैं बचपन की उन सम्मोहक स्मृतियों में खो जाता हूँ।बात सन् उन्नीस सौ पैंसठ की है।मेरी माताजी मेरे चचेरे भाइयों की मुंडन कराने के लिए चाचाजी,चाचीजी मुझे और मेरे दो चचेरे भाइयों को लेकर …

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सीमा रानी का गंगा पर संस्‍मरण

सीमा रानी का गंगा पर संस्‍मरण

बात करीब सात साल पहले की है। गंगा दशहरा का दिन था और हरिद्वार में अद्भुत श्रद्धा और उत्साह का माहौल था। लोग दूर-दूर से पवित्र गंगा में स्नान करने और अपने पापों का प्रायश्चित करने आए थे। मैं भी अपने परिवार के साथ इस पवित्र पर्व पर हरिद्वार पहुंची थी। सुबह का समय था, सूरज की किरणें धीरे-धीरे गंगा …

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हेमंत चौकियाल का पर्यावरण दिवस संस्मरण

*गोपालराम गहमरी पर्यावरण लेखन सप्ताह**30 मई से 05 जून 2024*05 *जून* 2024 बुद्धवार के कार्यक्रम।तब मैं कक्षा 3 का छात्र रहा था । हमारे हेड गुरूजी  बहुत मेहनती  थे। अनुशासन पर उनका विशेष ध्यान रहता था। जुलाई में विद्यालय खुलता तो हम नई पोशाक, जूतों और स्कूली बैग के साथ विद्यालय जाते। अधिकांशतः पहाड़ में जुलाई के इस मौसम में …

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पर्यावरण पर संस्‍मरण -हेमलता दाधीच

हेमंत चौकियाल का पर्यावरण दिवस संस्मरण

आज बचपन की एक घटना याद आई जो गाँव जाते ही याद आ जाती है। पर्यावरण के पांच तत्वों में पानी की भी सबसे अहम भूमिका है। पेड़ो को हरा-भरा रखने बडा़ होने के लिये पानी सींचना आवश्यक बहुत है वरना वो सूख जायेगें। इसी तरह इस भयानक लू लपटों मे हमारे लिये भी पानी एक अमृत का काम करता …

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