कर्ई सालो बाद हमारे मुहल्ले की गली के निर्माण का प्रस्ताव नगर निगम से पारित हुआ। लगभग 8-10 साल पहले गली का निर्माण हुआ था, जिस कारण अब हमारे गली की स्थिति काफी खराब हो गई थी। जगह जगह ईठे उखड़ी हुई थी, नालिया टूटी हुई थी, जिस कारण मुहल्ले वालो को आने जाने में परेशानी हुआ करती थी। हमारे …
Read More »कढ़ा हुआ रूमाल-सुरेश बाबू मिश्रा
तिनसुखिया मेल के ए.सी. कोच में बैठे प्रोफेसर गुप्ता कोई पुस्तक पढ़ने में मशगूल थे। वे एक सेमीनार में भाग लेने गौहाटी जा रहे थे। सामने की सीट पर बैठी एक प्रौढ़ महिला बार-बार प्रोफेसर गुप्ता की ओर देख रही थी। वह शायद उन्हें पहचानने का प्रयास कर रही थी। जब वह पूरी तरह आश्वस्त हो गई तो वह उठकर …
Read More »कांटो का सफर-पिंकी
(संघर्ष की कहानी) सुमन आंटी अपनी 3000 की नौकरी से घर का पूरा खर्च भी सही ढंग से नहीं चला पा रही थी , कि एक दिन छोटे बेटे के जन्म के बाद वह दवाई लेने अस्पताल गई हुई थी ,कि अचानक से उन्हें तेजी के साथ रक्तस्राव शुरू हो गया । डॉक्टर नर्स में अफरा-तफरी मच गई कि अभी तो …
Read More »मैं पिंकी हूँ
मैं एक मध्यमवर्गीय संयुक्त परिवार में पैदा हुई, पिताजी तीन भाई थे । भाइयों में सबसे बड़े हमारे ही पिता जी थे जो पेशे से होमगार्ड और किसान थे । मैं उनकी पहली संतान थी । सबसे बड़े होने के नाते मुझे बहुत जल्दी जिम्मेदारियों का एहसास करा दिया गया । कहीं ना कहीं ईश्वर ने मुझे जिम्मेदारियां उठाने की शक्ति पहले …
Read More »वो अब भी याद आती है-यशोदा
बार-बार करवटें बदलती रही पर सीने का दर्द था कि बेचैनी संग बढ़ता ही जा रहा था। चेहरा दर्द से सफेद हो गया और आवाज गले में ही जम गई। सर्द निगाहें खिड़की से झाँकते नीम की फुनगी पर टंँगे चाँद पर पड़ी। चाहे-अनचाहे,जाने-अनजाने उसे चाँद को देखना अच्छा नहीं लगा और उसके मुँह से निकल ही गया ” चाँद …
Read More »जिम्मेदारी-रणजीत यादव’क्षितिज
जनवरी -2023 सत्यकथा बात उस समय की है जब मैं ऑठवीं क्लास में पढ़ाई कर रहा था।शाम का समय था, मैं घर पर पढ़ाई करने के बाद टहलने के लिए निकला था।हमारे गॉव के बगल से रेलवे लाइन गुजरती है,मैं उसी तरफ घूमनें निकल पड़ा।कुछ दूर आगे जाने पर छोटे बच्चों की टोली उछल-कूद करते हुए रेलवे-लाइन की तरफ से …
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