
नेहूँ और प्रेम गहरे दोस्त थे | दोस्ती तो अधिक पुरानी नहीं थी किन्तु भाव एवं साँझ पुरानी लगती थी | एक दिन खुलेआम नेहूँ ने प्रेम पर अपने दिल की चोरी का इलज़ाम लगा दिया | हाज़र जवाब प्रेम ने वक़्त को मुठ्ठी में समेटते हुए कहा, "चोरी करके दंड और जुर्माना चुका देंगे|" बावली नेहूँ आज तक समझ नहीं पाई कि चोर कौन है और जुर्माना कौन भर रहा है..?
प्रवीण कुमारी
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