साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन व चित्र प्रतियोगिता

दिल की बात-अलका

कमलेश द्विवेदी काव्‍य प्रतियोगिता -02 रचना शीर्षक – दिल की बात।

किसी को आदत बनाने से डरते हैं।
देखा है हाल इश्क वालों का,
इसीलिए इस गली से बचकर गुज़रते हैं ।
किसी को अपना बनाने से डरते हैं।।
देखा है हाल……..
है फ़रेब ये दुनियां, फ़रेबी लोग यहाँ,
सजा कर सपना,बनाकर अपना,

फिर देखो कैसे वो मुकरते हैं ।
इसीलिए किसी को अपना बनाने से डरते हैं।।
देखा है हाल…..
हैं तमाम उलझनें यहाँ इक दिल के सिवा,
उलझ गए गर दिल की उलझनों में,
फिर ओर मसले फिर कहां सुलझते हैं।
इसीलिए किसी को अपना बनाने से डरते हैं।।
देखा है हाल…
सजाकर फूल अलकों में और नूर पलकों में,
मौसम बहारा बदलते ही ,इन फूलों को
देखो किस कदर कैसे वो कुचलते हैं।
इसीलिए किसी को अपना बनाने से डरते हैं।
देखा है हाल……
अलका गुप्ता (नई दिल्ली)
फोन नं. – 8920425146

अपने विचार साझा करें

    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    गंगा के प्रति लोगो का कर्तव्‍य

    गंगा के प्रति राज्य और समाज का कर्तव्य-हेमंत चौकियाल

    यह भारत भूमि की एक बड़ी विशेषता है कि यहाँ के हरेक तीज-त्योहार, रीति-रिवाज,धार्मिक संस्कारों …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म