डॉ ऋतु की कहानी अपमान बना वरदान 

साहित्‍य सरोज कहानी प्रतियोगिता 2025, कहानी पर कमेंट जरूर देंं।
सुनयना क्या करे? कहाँ जाए? भगवान ने विवाह के चार वर्ष पश्चात एक संतान दी मगर तमाम सतर्कता, सावधानी बरतने के बाद भी न जाने कैसे सोहम पोलियो की चपेट में आ गया। समय पर पोलियो की ड्रॉप्स भी पिलाई गई थीं पर शायद भगवान को यही मंज़ूर था कि सोहम अपने पैरों पर कभी ठीक से न चल पाए पर भगवान की मंज़ूरी पर अगर दुनिया वाले भी अपनी मंज़ूरी की मोहर लगा दें तो शायद कोई दर्द की जद में ही न आए।
यह दुनिया तो पहले से ही चोटिल मनुष्य को और ज्यादा चोट देती है। हारे- थके हुए को और ज्यादा तोड़ देना चाहती है।यही मासूम सोहम के साथ हो रहा था।
 “अब रोती ही रहेगी या कुछ काम भी करेगी? जब पता है कि अपना बच्चा इस लायक नहीं है तो क्यों उसे बाहर ले जाती है?” सुनयना की सास मालती ने सुनयना के सिर पर हाथ रख दिया।
 “माँ! मैं क्या करूँ? सोहम बच्चा ही तो है। उसका भी तो मन करता है कि वह भी दूसरे बच्चों के साथ खेले, हँसे, बोले। कब तक उसे घर में बंद रखूँ?  घर से स्कूल, स्कूल से घर, बस यही तक दुनिया सीमित होकर रह गई है उसकी। जेठानीजी अपने बच्चों को उसके पास पटकने नहीं देती। बाहर ले जाऊँ तो लोगों की सहानुभूति, दूसरे बच्चों की उपहास भरी नज़रें और बातें
 सोहम को सुननी, सहनी पड़ती हैं। उसके बालमन पर कितना बुरा प्रभाव पड़ता होगा।” सुनैना फिर से रोने लगी।
 ” हाँ! हाँ! अब मुझे दोष देने लग जा। अरे! अब तेरा बेटा अपाहिज है तो इसमें औरों को क्यों दोष देती है और मेरे बच्चों से तो भई अपने अपाहिज बेटे को दूर ही रख। कहीं उसका मनहूस साया मेरे बच्चों पर पड़ गया तो!” नीरा ने आवेश में आकर सुनयना को उल्टा-सीधा सुना दिया।
 “भाभी—-।” सुनयना तड़प उठी।
“बड़ी बहू! इतना भी मत बोलो कि किसी की आत्मा रो पड़े। भगवान से डरो।” मालती ने प्रतिरोध करना चाहा।
 ” माँ! मैंने कुछ झूठ नहीं कहा। जो सच है वही बताया है। बताओ, कुछ तो इसने और इसके बेटे ने बुरे कर्म किए होंगे कि यह अपाहिज निकला।” नीरा अभी भी बोले जा रही थी।
“ठीक है भाभी! मेरा और मेरे बच्चे का आज से आपसे कोई संबंध नहीं। मैं वादा करती हूँ कि आज के बाद सोहम या मेरा साया भी आपके परिवार पर नहीं पड़ेगा।” कहकर सुनयना ऊपर चली गई।
 ऊपर आकर देखा तो सोहम सो चुका था। उसके चेहरे पर खिंची हुई सूखी लकीरें बता रही थीं कि वह बहुत रोया है। शायद उसने सब कुछ सुन लिया था। बाहर वालों की बातें तो वह बाल मन चुपचाप सह गया पर ख़ून के रिश्तों के दिए घाव उसके अंतर्मन को चोटिल कर गए थे। सोहम के तकिए के समीप ही उसकी ड्राइंग बुक देखकर सुनयना विस्मित रह गई।
चित्र में कुछ बच्चे खेल रहे थे और एक अपाहिज बच्चा कोने में बैठा एक महिला से बतिया रहा था। नीचे लिखा था ” मॉम, यू आर माय गॉड”। सुनयना की आँखें भर आईं। इतनी सुंदर चित्रकारी एक नौ वर्षीय बच्चे के हाथों से, शायद यह ईश्वर का ही वरदान था।
 “सोहम तेरी बात को मैं सच करूँगी मेरे बच्चे। तूने मुझे भगवान का दर्जा दिया है। भगवान ने तुझे इतने ख़ूबसूरत हुनर से नवाज़ा है। मैं लिखूँगी तेरी तक़दीर”, मन ही मन निश्चय कर सुनयना उठी और बाज़ार से ढेर सारी ड्राइंग बुक्स,ब्रश, स्टेशनरी और रंग ले आई। खुद को झोंक दिया सोहम की देखरेख, शिक्षा और हुनर की राह पर।
 सुनयना अब न किसी के तानों की परवाह करती न अपने थकाऊ परिश्रम की। सोहम भी बड़ा जीवट वाला था। पंद्रह साल का होते-होते सोहम ऐसे जीवंत चित्र बनाने लगा कि देखने वाले दाँतों तले उँगलियाँ दबा लेते। पढ़ाई में अव्वल, अल्पभाषी, अपने काम से काम रखने वाला सोहम, सभी अध्यापकों की आँखों का तारा था। गाहे-बगाहे किसी की अभद्र टिप्पणी से आँख में आँसू छलकते भी थे तो कंधे पर रखा सुनयना का हाथ उसे अपने लक्ष्य के लिए और मज़बूत कर देता।
अब तक विभिन्न प्रदर्शनियों में अपने चित्रों की भूरि-भूरि प्रशंसा पाने वाला सोहम आज शहर की सबसे बड़ी आर्ट गैलरी “ओरिएंटल स्पेसिफिक” में अपने चित्रों की एकल प्रदर्शनी आयोजित कर रहा था। सोहम के चित्र हज़ारों में बिकते थे। देश भर से तमाम बड़े कलाकार, उद्योगपति एवं जानी-मानी हस्तियाँ आज उसकी प्रदर्शनी में शिरकत कर रही थीं। सोहम एक बाइस वर्षीय लंबा-चौड़ा नवयुवक, काले थ्री पीस, फ्रेंच कट दाढ़ी, चेहरे पर गरिमामयी मुस्कान सहेजे था। जो देखता, देखता रह जाता।
सुनैना और मालती, सोहन के साथ सभी मेहमानों का स्वागत करने में जुटे थे। सोहम के पिता राहुल, सोहम के चित्रों के बारे में बताते हुए फूले नहीं समा रहे थे। व्हील चेयर पर बैठे
 सोहम की लाइव कवरेज विभिन्न न्यूज़ चैनल्स दिखा रहे थे। पूरे शहर में सोहम की ही चर्चा थी। सोहन को बेंगलुरु के पाँच सितारा होटल “आम्रपाली” से लगभग साठ लाख की पेंटिंग्स का आर्डर मिला था। सुनयना की आँखें छलछला उठीं ।
शाम को एक लंबी गाड़ी सोहम के घर के बाहर रुकी। सोहम के उतरते ही उन तमाम लड़कों ने सोहम को घेर लिया जिन्होंने कभी सोहम का मज़ाक़ उड़ाया था। वे सोहम से नज़रे नहीं मिला पा रहे थे पर सोहम ने सहज मुस्कान के साथ सभी से हाथ मिलाया। तभी सुनैना की जेठानी नीरा बाहर आई तो
सोहम ने उसके पैर छूते हुए कहा, “थैंक यू ताई जी”। और सुनयना के गले लगा कर बोला,”मॉम! यू आर माय गॉड।”
          सुनयना,मालती और राहुल नीरा की झुकी नज़रों को अनदेखा कर ऊपर चले गए। लोगों द्वारा किया गया अपमान सोहम और उसके परिवार के लिए वरदान बन गया।
डॉ ऋतु अग्रवाल
82, गुप्ता कलोनी, ट्रांसपोर्ट नगर 
मेरठ, उत्तर प्रदेश-250002
चलभाष संख्या- 7060 227653

अपने विचार साझा करें

    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    इंसान होने का डर- अरुण अर्णव खरे

    इंसान होने का डर- अरुण अर्णव खरे

    दो साल पहले तक मैं स्वयं को बड़ा निर्भीक समझता था। समझता क्या, था भी। …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म