(1866 – 1946)
गोपालराम गहमरी हिंदी साहित्य के एक ऐसे स्तंभ थे, जिन्होंने न केवल उपन्यास लेखन में विशिष्ट पहचान बनाई, बल्कि पत्रकारिता और अनुवाद के क्षेत्र में भी अद्वितीय योगदान दिया। वे हिंदी भाषा के सच्चे सेवक थे जिन्होंने अपने जीवन का हर क्षण हिंदी को समर्पित किया।
गहमरी जी ने लगभग 200 उपन्यास लिखे और सैकड़ों विदेशी कहानियों का हिंदी में अनुवाद किया। उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धियों में एक यह भी है कि रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रसिद्ध नाट्यकृति ‘चित्रांगदा’ का पहला हिंदी अनुवाद भी गहमरी जी द्वारा ही किया गया।
उनकी सबसे प्रसिद्ध और लम्बे समय तक प्रकाशित होने वाली पत्रिका थी – ‘जासूस’, जिसे उन्होंने लगातार 38 वर्षों तक बिना किसी सहयोग के स्वयं प्रकाशित किया। यह पत्रिका उस समय आम जनमानस में बेहद लोकप्रिय थी। उनकी जासूसी कहानियाँ इतनी जीवंत और यथार्थपरक होती थीं कि पाठकों को लगता था मानो घटनाएँ उनके आसपास ही घट रही हों।
हिंदी में ‘जासूसी साहित्य’ के जनक कहे जाने वाले गोपालराम गहमरी जी ने हिंदी साहित्य को सरल, सजीव और जन-समर्थ बना दिया। उन्होंने न केवल रचना के स्तर पर उत्कृष्ट कार्य किया बल्कि पाठकों को हिंदी पढ़ने, समझने और अपनाने के लिए प्रेरित भी किया।
आज उनके कार्यों पर देश के कई विश्वविद्यालयों में शोध हो रहे हैं। वे एक ऐसे लेखक थे, जिन्होंने भाषा को जन-जन तक पहुँचाया और उसे जीवन के करीब लाया।
संपर्क:
📞 अखंड गहमरी – 9451647845
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