पाठशाला में पुरस्कार वितरण के दौरान विजेता बच्चों को प्रमाण पत्र के साथ उनमे देशभक्ति की भावना को और अधिक सशक्त बनाने हेतु नगीने जड़ित फ्रेम में अति आकर्षक तरीके से सुसज्जित तिरंगा झंडा उपहार स्वरूप दिया गया । समस्त पुरस्कार प्राप्त बच्चे खुशी से चहक रहे थे उन्हे अपने विजेता होने का जितना गुमान नही था उससे कहीं अधिक वे तिरंगा पाकर प्रफुल्लित थे। उनमें से एक बालक ही ऐसा था जो तिरंगा प्राप्त करने के पश्चात चिंतित दिखाई दिया नाम था उसका अमर, और कुछ देर पश्चात ही उसे पुरुस्कार में मिला तिरंगा मेहुल के हाथो मे था। जिसे देख प्रधानाचार्य ने अब्दुल को पास बुलाकर पूछा-‘ तुमने अपना तिरंगा मेहुल को क्यों दे दिया ? तुम्हें मालूम नही, यह तिरंगा हमारे देश की आन, बान और शान के साथ एकता, शांति और समृद्धि का भी प्रतीक है एक तुम ही ऐसे बच्चे हो इसे पाकर तुम्हारे चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आई हैं यह अच्छी बात नहीं है । हर बच्चे के मन में देशभक्ति के भाव एवं तिरंगे के प्रति सम्मान होना ही चाहिए समझे।’
अमर मायूसी भरे स्वर में कहा-‘ गुरु जी ! मेरे मन मे भी तिरंगे के प्रति बहुत श्रद्धा एवं सम्मान है मैं भी देशभक्त हूं इसलिए यह तिरंगा मैने मेहुल को दे दिया है ।’आश्चर्यजनक मुद्रा में गुरुजी ने प्रश्न किया-‘ ऐसी कौन सी वजह है जिसके कारण तुमने यह तिरंगा मेहुल को दे दिया?’जवाब मे अब्दुल ने पूर्ण आत्मविश्वास के साथ कहा -‘ गुरुजी ! यह तिरंगा बहुत सुंदर व कांच की फ्रेम मे जड़ा हुआ है मै नही चाहता कि यह फ्रेम खंडित हो और तिरंगे को जरा भी खरोच आये इसलिए मैने यह तिरंगा मेहुल को दे दिया है क्योंकि मेरा घर मात्र एक कमरे का है जिसमें मेरे माता-पिता, दादी, हम दोनो भाई-बहन रहते हैं, कुछ ही महिनों में हमारा नया मकान बन कर तैयार हो जाएगा और मै इसे मेहुल से पुनः लेकर अपने कमरे में बहुत संभाल का रखूंगा।
मीरा जैन
516,साँईनाथ कालोनी . सेठीनगर
उज्जैन . -( म.प्र.)
पिन -456010
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