Breaking News
"साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

कन-कन में है वास तेरा-डॉ. इन्दु कुमारी

 

 

 

 

हे जग के रचयिता स्वामी,
कन कन में है बा स तेरा।
तुम बिन हूं दुखियारी मैं,
अब तो लगाओ पार मेरा।

अब करा दे दीदार अपना,
मछली जैसी है तरप मेरा।
हे नाथ अपनी शरण लगा,
कन कन में है वास तेरा।

जैसे मेहंदी में छुपी लाली,
जुगती से हाथों में सजती।
जैसे घी रहते हैं दूध में ही,
बिन युक्ति निकलते नाहीं।

घट घट में तू ही विराजै,
यह अखियां देखत नाहीं।
विशेष कृपा जब होती तेरा,
उन्हीं को लख ते हो सदा।

हमें तो सद्बुद्धि दीजिए,
आत्मिक भूख मिटै मेरा।
नेह सदा ही बरसती रहे,
कन-कन में है वास तेरा।
डॉ. इन्दु कुमारी
मधेपुरा बिहार

 

पोस्ट को रेट करें:

12345


अपनी प्रतिक्रिया दें


    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    "साहित्य सरोज त्रैमासिक पत्रिका - कविता, कहानी, लेख, शोध पत्र, बाल उत्‍थान, महिला उत्‍थान, फैंशन शों, शार्ट फिलम और विशेष आयोजन के लिए पढ़ें। संपादक: अखण्ड प्रताप सिंह 'अखण्ड गहमरी

    लाला लाजपत राय-संगीता गुप्‍ता

    साप्‍ताहिक लेखन 01 लेख-आलेख लाला लाजपत राय (28 जनवरी, 1865-17 नवम्बर 1990 भारत के एक …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें