(संघर्ष की कहानी)
सुमन आंटी अपनी 3000 की नौकरी से घर का पूरा खर्च भी सही ढंग से नहीं चला पा रही थी , कि एक दिन छोटे बेटे के जन्म के बाद वह दवाई लेने अस्पताल गई हुई थी ,कि अचानक से उन्हें तेजी के साथ रक्तस्राव शुरू हो गया । डॉक्टर नर्स में अफरा-तफरी मच गई कि अभी तो मरीज घर से अच्छा भला चल कर आया है और अचानक ही क्या हुआ ? भला हो अस्पताल की नर्सो का जिन्होंने आंटी का तुरंत इलाज शुरू करवाया। आंटी बहुत मेहनती और निडर महिला थी । अकेली ही हर जगह चली जाती थी । इधर आंटी का इलाज शुरू हुआ उधर घर खबर पहुंची तो सभी परिजन अस्पताल पहुंच गए । आंटी का मायका उसी शहर का था तो वह लोग परिजनों से पहले पहुंच कर इलाज का पैसा भी जमा कर चुके थे ।डॉक्टर ने जांच के बाद परिवार को बताया कि गर्भाशय निकालना पडे़गा। क्योंकि उसके अलावा और कोई उपाय नहीं था । परिवार वालों से डाॅक्टर ने कुछ जरुरी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कराकर आपरेशन शुरू किया । आपरेशन सक्सेसफुल रहा और आंटी 8 दिन बाद घर आ गईं। आंटी अपनी आर्थिक स्थिति कमजोर होते हुए भी बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान रखती थीं पौष्टिक भोजन ही खिलाती थीं। भले ही वह अपने लिए कपड़े न लें लेकिन बच्चों की पढ़ाई के साथ कोई समझौता नहीं करती थी । आंटी के घर पर उनके तीन बच्चे चाचा जी ही रहते थे । इसके अलावा आंटी के परिवार के और लोग शहर में रहते थे । आंटी नौकरी के चलते गाँव में ही रहती थी। मेहनत से खुद का खर्च चलाने पर विश्वास करती थी । किसी से अपने खर्च के लिए मांगना तो उनके लिए अपने आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने जैसा था ।
1 दिन मै भी उनके साथ उनके घर गई हुई थी । मैंने देखा कि आंटी ने दो भैंसे भी पाल रखी हैं जिनका चारा पानी वह और चाचा जी मिलकर करते हैं । इसके अलावा चाचा जी थोड़ी बहुत खेती-बाड़ी भी देख लेते थे लेकिन घर के खर्चे से उन्हें कोई मतलब नहीं था । यह जिम्मेदारी आंटी की थी । मैं अभी सो कर उठी थी कि नहीं थी कि सब्जी छौकने के बाद आने वाली खुशबू से मेरी नींद टूट गई ।मैं आंखें मिलाते हुए बाहर आई तो देखा आंटी कमरे के बाहर वाली टीन के पास बैठी सब्जी मसाला भुन रही है। मैं चाह कर भी उनकी कोई मदद नहीं कर पाई उन्होंने सबके उठने से पहले ही सारा काम खत्म कर लिया था। बच्चे फटाफट उठे नित्य क्रिया के बाद स्कूल के लिए तैयार होने लगे ।
बड़ा बेटा सुक्रत पढ़ाई में काफी तेज था, इसलिए आंटी उस पर बहुत ध्यान देती थी ।आंटी के घर से बच्चों का स्कूल लगभग 20 किलोमीटर था चाचा जी 5 किलोमीटर साइकिल से रोज आते, बच्चों को बस पर बिठाते ,तब तक आंटी घर का सारा काम समेटती ,फिर वापस आकर चाचा जी आंटी को लेकर हमारे गाँव आते, जहां से बच्चों को बस पर रोज बिठाते थे । ये रोज का काम था। कभी जब चाचा जी नहीं होते तो आंटी पैदल ही आती जाती थी।लेकिन आज आंटी ने कहा कि आप बच्चों को छोड़कर खेत चले जाइएगा हम दोनों पैदल चले आंएगे। आंटी और हमने नाश्ता किया आंटी ने अपना टिफिन पैक कर पर्स में रखते हुए कमरों में ताले डालने लगीं। हमारे गाँव में ही आंटी पढ़ाती थीं । रास्ते में बात करते हुए आंटी ने बताया कि इस समय आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है और सुक्रत ट्युशन लेना चाह रहा है । तो मैंने कहाकि मना कर दो । अगले साल से पढ़ लेगा इस पर आंटी ने कहा नहीं बच्चों की पढ़ाई के साथ कोई समझौता नहीं बच्चे जो भी कुछ सीखना पढ़ना चाहेंगे मैं करवाऊंगी। देखो कुछ कपड़े सिले थे उसके पैसे बाकी है वह और कुछ उधार ले लेंगे और अभी बीमा का इंन्सेंटिव मिल जाएगा ।
मैं आश्चर्यचकित होकर उनको देख रही थी और सोंच रही थी एक समय में कितने काम कर लेती हैं । एक दिन माँ से पता चला कि आंटी अब वही रहने लगी हैं जहां बच्चे पढ़ते थे ।गाँव से आने जाने में बहुत दिक्कत होती थी । मैं बहुत खुश हुई उनके लिए । शहर की होते हुए भी गोबर तक पाथती थी । यहां बच्चों को अच्छी शिक्षा दे सकेंगी और आराम भी हो जाएगी । आंटी ने शहर में भी जाकर परिवार को अच्छे से संभाला जबसे उन्होंने शहर में रहना शुरू किया उन्होंने सिलाई सेंटर गांव में खोल लिया कुछ पैसा उन्हें इधर से मिलने लगा उन्हें कढ़ाई बुनाई सारे काम आते थे जब बड़े बेटे ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की तो आंटी बहुत खुश थी कि बेटे ने 90 % अंक प्राप्त किए हैं । आंटी ने कहा कि अब वह इंजीनियर बनना चाहता है उसके लिए मेरे पास पैसे नहीं है । मैंने बैंक बात है मै लोन लेकर बच्चों को पढाऊंगी कम से कम वो अपने सपने पूरे कर पाएं। और उन्हें वैसा ही किया आज उनकी मेहनत का फल है कि बेटा हैदराबाद में बहुत बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है । और लाखों रुपए महीने कमा रहा है बड़े शहर में एक आलीशान घर खरीद लिया है ग्रह प्रवेश में मुझे भी आंटी ने बुलाया था । बेटी की शादी बहुत बडे़ घर में करने के बाद जब मैं ग्रह प्रवेश में आंटी से मिली तो पहचान नहीं पाई । उन्होंने पूरा घर मुझे दिखाया और साथ ही दो खुशखबरी एक तो छोटे बेटे को भी सुक्रत की कम्पनी में जाॅब मिल गई है दूसरी सुक्रत की शादी जिस लड़की के साथ तय हो रही है वह भी इंजीनियर है और दोनों एक दूसरे को पसंद करते हैं यहसब बताते हुए आंटी की आंखों में आंसू छलक आए मैंने यही कहा कि आपके संघर्ष को मैंने अपनी आंखों से देखा है “आप मेरी प्रेरणा है” ।
पिंकी प्रजापति
ग्राम टड़ई कला पोस्ट खरवलिया सिधौली सीतापुर उत्तर प्रदेश
पिन 261301
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