मैं पिंकी हूँ

कहानी सच्‍चा प्‍यार- कंचन

रीता और रमन दोनों एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे और शादी करना चाहते थे l उन्हें ऐसा लगता था कि हम अपनी शादीशुदा जिंदगी बहुत अच्छे से एक दूसरे के साथ प्यार करते हुए व्यतीत कर लेंगे l
दोनों विवाह कर लेते हैं और जैसे ही दोनों एक छत के नीचे आ जाते हैं पति-पत्नी की तरह साथ में रहने लगते हैं तो कुछ ना कुछ नोक झोक तो हो ही जाती है l जिसकी कल्पना उन दोनों को शादी के पहले नहीं थी शादी के पहले 24 घंटे एक साथ एक छत के नीचे नहीं रहते थे, इसलिए अंदाजा नहीं था l
सुबह सवेरे से ही दोनों अपने-अपने काम में लग जाते सुबह का समय जरा व्यस्त रहता है उस वजह से दोनों में नोंकझोंक हो जाती, धीरे-धीरे यह नोक जोक झगड़े में बदलने लग गई,और उनको लगने लगा कि वह दोनों एक दूसरे से परेशान हो गए हैं l
कुछ समय और ऐसे ही व्यतीत हुआ l फिर दोनों ने फैसला लिया कि दोनों अलग-अलग रहेंगे तो ही अच्छा है,हम अपना काम खुद करेंगे कम से कम क्लेश तो ना होगा घर में l
रीता प्रेम विवाह की वजह से मां-बाप के घर नहीं जा सकती थी,इसलिए वह अपनी एक सहेली सरिता के घर चली गई जो पहले से ही अपने पति से अलग रह रही थी l
जब कभी इनका आपस में झगड़ा होता था तो रीता अपनी सहेली सरिता से बात करती थी इसलिए उसने यही सोचा कि मैं भी मेरी सहेली की तरह अलग रहूंगी तो अच्छा है l
अब रमन घर में अकेला रहने लगा सुबह ऑफिस जाने के लिए तैयार होता,हर बात में उसे रीता की याद आती l नहाने गया तो टावल चाहिए l नाश्ता दोनों मिलकर साथ बनाते थे या कभी-कभी रीता बना लेती थी अब ऐसा कुछ नहीं था सुबह उठने से लेकर रात तक रमन को सब अकेले करना था, ऑफिस जाने की जल्दी भी रहती थी l
कितनी बार रमन बिना नाश्ता किए घर से ऑफिस के लिए निकल जाता था l ऑफिस में भी उसका मन ठीक से नहीं लग रहा था क्योंकि पूरे घर की जिम्मेदारियां अकेले उठाना और ऑफिस का काम वह अकेले नहीं संभाल पा रहा था l
रीता सरिता के साथ अपना जीवन व्यतीत करने लगी,लेकिन उसका मन रह रहकर सोचता था कि रमन ने खाया होगा कि नहीं,रमन ऑफिस कैसे गए होंगे ?टिफिन लिया होगा कि नहीं ? यहां पर एक फायदा था रीता और सरिता दोनों महिलाएं हैं इसलिए वह दोनों घर के काम के साथ-साथ ऑफिस के काम को भी बड़ी सहजता से संभाल रही थी l
फिर भी रीता उखड़ी उखड़ी रहती थी,उसका श्रृंगार करने का मन भी नहीं करता था l क्योंकि उसका प्यार उससे दूर था l
दोनों का दिन कैसे भी निकल जाता था लेकिन रात को दोनों एक दूसरे को बहुत याद करते थे मगर क्या करते,दोनों में से एक भी झुकने को तैयार नहीं था l
सरिता ने सोचा जल्दी समझौता नहीं होने की वजह से मेरी जिंदगी तो बिगड़ी गई अब हमारे बीच खाई जितनी दूरियां बन गई है,लेकिन ऐसा मैं रीता और रमन में नहीं होने दूंगी l
सरिता ने तरकीब निकाली और किसी तीसरी सहेली की सहायता से दोनों को संदेश भिजवाया l दोनों को ही एक उपवन में मिलने का संदेश दिलवा दिया l
रमन और रीता यह सोचकर आ गए के किसी तीसरे व्यक्ति से मिलने जा रहे हैं l वहां पहुंच कर देखा की रीता और रमन एक दूसरे के सामने थे l वहां पर दूसरा और कोई नहीं था l
जैसे ही दोनों मिले उन्हें अपने विवाह के पहले के केवल प्यार भरे वह दिन याद आ गए जब वे दोनों छुपकर के मिला करते थे l
दोनों एकदम चुपचाप खड़े थे,लेकिन दोनों की आंखें बोल रही थी l दोनों के अंतर मन से आवाज आ रही थी कि यह क्या हो गया हम पहले कितने प्यार से मिला करते थे आज ऐसा क्या हो गया ? जो हमारे अंदर एक दूसरे के प्रति नफरत भर गई है l
इतने में बाजू में से एक छोटा सा बच्चा धक्का मारता हुआ निकल गया,दोनों सचेत हो गए और संभल कर खड़े हो गए l
अभी भी दोनों की आंखें कुछ बोल रही थी लेकिन समझ नहीं पा रहे थे कि कैसे बोले l अचानक वह छोटा बच्चा फिर आया और बोला आंटी आंटी मुझे चॉकलेट दो ना सहज ही रीता रमन से बोल पड़ी जरा बच्चे के लिए एक चॉकलेट ले आओ ना, और रमन भी बिना कुछ सोचे समझे रीता का आदेश मानकर बच्चे के लिए चॉकलेट लेने निकल गया l रमन एक नहीं दो चॉकलेट लाया,एक बच्चे को दी और एक रीता को दी,और कहा कि जो कुछ हुआ उसे हम भूल जाते हैं मैं तुम्हारे बिना नहीं रह सकता रीता ने भी कहा कि मैं भी तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी l
कुछ ही दिनों में मुझे समझ में आ गया था कि मैं घर के काम तो कर सकती हूं लेकिन आपके बिना जीना नामुमकिन है l रमन ने भी कहा की मुझे भी तुम्हारे बिना बहुत सुना सुना लगता है l घर खाने को दौड़ता है खाना भी ढंग से नहीं बनता,तभी तुम्हारी और याद आती है l यह कहकर वह हंसने लगा, रीता भी यह सुनकर जोर-जोर से हंसने लगी और कहने लगी कि मुझे रोज तुम्हारी याद आ रही थी कि तुमने खाना खाया होगा कि नहीं खुद से कैसे बनाया होगा l
दोनों को एहसास हुआ कि शायद यही प्यार है और दोनों ने एक दूसरे को प्यार से देखा एक दूसरे को सहमति दी और और दोनों एक दूसरे के गले लग गए l
कुछ ही दिन हुए थे दोनों को बिछड़ के लेकिन ऐसा लग रहा था जैसे सदियों से बिछड़े हैं l
अब दोनों ने ठान लिया था कि कभी अलग नहीं होंगे l एक बार का बिछड़ना हमेशा के लिए सिख बन गया और दोनों एक हो गए भविष्य में उन्होंने एक संतान को जन्म दिया उसका दोनों ने मिलकर अच्छे से पालन पोषण किया l
जब भी तकरार होने का खतरा महसूस होता है दोनों बीते हुए दिन याद कर लेते है और आपस में संभल जाते हैं l
वह कहावत आपने सुनी होगी
दूध का जला छाछ भी
फूंक कर पीता है
शादीशुदा जिंदगी यदि प्यार की डोर से बंधी हो तो जिंदगी में मिठास भर जाती है l

श्रीमती कंचन योगेंद्र अग्रवाल
पुणे महाराष्ट्र

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