मातृ भाषा को भी वही सम्मान प्राप्त होता है जो माँ को प्राप्त होता है। समाज में माँ के अमूल्य योगदान को सम्मान देकर और स्मरण कर हम जिस प्रकार खुद को सम्मानित करते हैं उसी तरह मातृभाषा का सम्मान कर हम अपने आप को एक विशेष पहचान देते हैं। जिस प्रकार मॉं बच्चों के जीवन को आकार देने, नैतिक मूल्यों को स्थापित करने ,सहायता प्रदान करने और विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उनकी अटूट भक्ति और निस्वार्थ प्रेम पारिवारिक जीवन की आधारशिला के रूप में कार्य करती है तथा ऐसे संबंध बनाते हैं जो पीढ़ीयो तक चलते हैं उसी तरह मातृभाषा हमें आपस में बांध कर रखती है, हमारी पहचान बना कर रखती है। हम कहीं भी रहे चाहे वह विश्व का कोई कोना हो हमारी ध्वनि में अपनी मातृभाषा का पुट आ ही जाता है। और दूर देश में रह रहे अपनों को अपनी तरफ खीच लेता है। मातृभाषा दिवस एक ऐसा अवसर है जिस दिन आप अपनी भाषा के संघर्षों का एक खास ढंग से सम्मान कर सकते हैं। वैसे तो अपने दिल की बात को अपने समाज तक पहुंचाने के लिए कई मौके कई दिन होते हैं, हर दिन बोल सकते हैं, लेकिन इस खास दिन के जरिए हम अपनी मातृभाषा को खास रूप से याद करके उसक महत्वपूर्ण होने एहसास करते भी हैं और कराते भी हैं।
हम महिलाओं की तो जिन्दगी में हमेशा दोहरापन होता है, हम एक जगह पैदा होते हैं और दूसरी जगह आकर जिन्दगी जीते है, हमारी तो विवाह के बाद जिन्दगी बदल जाती है। और मातृभाषा भी इससे अछूती नहीं रहती है। हम हरियाणा में पैदा लेकर हरियाणवी बोलते हैं हमारी मातृभाषा हरियाणवी होती है लेकिन विवाह के बाद हम सैकड़ो किलोमीटर दूर पटना आ गये जहाँ हमारी भाषा पूरी तरह बदल कर हरियाणवी से भोजपुरी हो गई। और हमें उसके साथ ही अब जीवन यापन करना है। और यह हमारी नहीं हर महिला के साथ होता है। बस अंतर यही है कि यदि कोस कोस पर बदले पानी और तीन कोस पर बदले वाणी के क्षेत्र में विवाह होता ताे समस्या कम हाेती है परन्तु यही जब सैकड़ो किलाेमीटर की दूरी हो जाये तो हमारे जैसों के लिए काफी कुछ परेशानी का सबक बनता है।
आज के कवि और साहित्यकार भी अपनी मातृभाषा को सम्मान देने के लिए भले हिन्दी में लिखते हो, अंग्रेजी में लिखते हो मगर इस दिन शायरी का सहारा लेकर या फिर कोई कहानी का सहारा लेकर, उपहार स्वरूप अपनी मातृभाषा को खास होने एहसास करा सकते हैं। इंसान अपने वजूद को जान पता है इसी उद्देश्य से हर वर्ष दुनिया में जिस प्रकार मातृ दिवस मनाया जाता है। जिससे कोई किसी भी कार्य में व्यस्त क्यों ना हो एक दिन अपनी मां के लिए जरूर निकलता है। साहित्य में मां शब्द के रूप में मातृभाषा एक ऐसा विषय है जिस पर अनेक कवियों ने शायरों ने अपने दिल की बात रखी है। मां और मातृभाषा शब्द भले ही छोटा है परंतु यह दुनिया के लिए सबसे बड़ी और सबसे ताकतवर शब्द है।
आप सभी को मेरी तरफ से मातृ भाषा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
माधुरी सिंह
पटना (बिहार)
7488297438
अपने विचार साझा करें