मन की बात-दिनेश कुमार राय

सौंदर्य क्या है? क्या बाहरी रूप और दिखावट ही सौंदर्य है? आम तौर पर हम आँखों को सुकून देने वाली चीज़ों को सुंदर मान लेते हैं; जैसे, किसी फूल की पंखुड़ियाँ, किसी पर्वत की ऊँची चोटी, या किसी की मनमोहक मुस्कान। अब सवाल यह उठता है कि क्या जो दिखाई देता है वही सौंदर्य है? या फिर, वास्तविक सौंदर्य वह है जिसे हमारी आंखें देख नहीं पातीं, जो हमारे मन और आत्मा को छूकर एक अनजाने लोक में पहुंचा देती है? एक गहरा सत्य यह है कि सौंदर्य बाहरी आवरण मात्र नहीं है। यह इन सबके पीछे छिपे अर्थ, भावना और संदेश में निहित होता है।इस सत्य का सबसे सुंदर उदाहरण प्रकृति देती है। किसी फूल की सुंदरता सिर्फ उसके रंग और आकार में नहीं होती, बल्कि उसकी सुगंध, उसके अंदर छिपे पराग और उसके द्वारा पैदा किए गए जीवन में होती है। एक पेड़ की खूबसूरती को उसकी ऊँचाई या छाया से नहीं आंका जा सकता, बल्कि यह उसकी जड़ों में छिपे परिश्रम और संघर्ष में होती है, जो उसे ऐसी ताकत देती है कि वह तूफानों में भी खड़ा रह सके। यही है वह वास्तविक सौंदर्य, जो हमें प्रकृति के साथ जोड़ता है और हमें ऐसा अवसर प्रदान करता है कि हम उसकी गहराई को समझ सकें।
यह विचार तब और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है, जब हम मानव और मानवीय भावनाओं की बात करते हैं। आमतौर पर हम लोगों को उनके बाहरी रंग-रूप से आँकते हैं जबकि वास्तविक सौंदर्य उनकी मानवता, उनकी संवेदनशीलता, और उनके संघर्षों में छिपा होता है। महात्मा गांधी का साधारण-सा दिखने वाला चेहरा भी उनकी अहिंसा और सत्य के प्रति अटूट विश्वास के चलते खूबसूरत बन जाता है। मदर टेरेसा की झुर्रियों भरी मुस्कान उनकी सेवा और प्रेम के कारण दुनिया के लिए प्रेरणा बन जाती है। छिपा हुआ यही सौंदर्य हमें उनकी महानता का एहसास कराता है।इस छिपे हुए सौंदर्य की अभिव्यक्ति कला और साहित्य में भी होती है। एक कविता की सुंदरता उसके शब्दों में नहीं, बल्कि उसमें अभिव्यक्त भावों और संदेशों में होती है। मीरा के भजनों की मधुरता उनके प्रेम और भक्ति से उपजती है। किसी चित्र की खूबसूरती उसके रंगों से नहीं, बल्कि उसके पीछे छिपे चित्रकार के संवेदनशील मन से होती है। यही छिपा हुआ सौंदर्य कला को अमर बना देता है।आज की दुनिया में बाहरी दिखावट को अधिक महत्त्व दिया जाता है। सोशल मीडिया पर चमकते-दमकते फ़िल्टर्ड चित्र सौंदर्य के परिभाषा की परिधि से परे होते है। असली खूबसूरती तो हमारे अंदर है। हमारे सपने, हमारे संघर्ष, और हमारी मानवता ही हमें सच्चे अर्थों में सुंदर बनाते हैं।अंत में, मैं यही कहना चाहूंगा कि सौंदर्य केवल वह नहीं है जो दिखाई देता है, बल्कि वह है जो हमारी आँखों से ओझल होता है। हमारे अंदर छिपे भाव, विचार और संवेदनाओं में यह निहित होता है। यही छिपा हुआ सौंदर्य हमें जीवन की गहराई और सच्चाई से जोड़ता है, और हमें सच्चे अर्थों में सुंदर बनाता है।

दिनेश कुमार राय
चंद्रशेखर नगर, गोला रोड, पटना
97712 94806

अपने विचार साझा करें

    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    पर्यावरण — माधुरी सिंह

    पर्यावरण — माधुरी सिंह, पटना*पर्यावरण शब्द “परी” और “आवरण” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म