यह कहानी है एक मराठी लड़की और बिहारी लड़के की जो एक ही स्कूल में बचपन से पढ़ते थे और जैसे ही जैसे इनकी समझ बढ़ती गई यह एक दूसरे के करीब आते गए।कहानी एक नई मोड तब लेती है जब यह दोनों 19 साल के हो जाते हैं लड़का जो कि बिहार है इसका नाम आशीष था यह अपने माता-पिता दादा दादी तीन पीढियों से महाराष्ट्र में ही रहता था और जस्ट अपने सामने वाले गली में रहने वाली लड़की आयुषी से प्रेम कर बैठा आयुषी के घर में उसके बड़े ताऊजी ताई जी, मां-बाप ,भाई-बहन रहते थे जोकि एक नंबर के उत्तर भारतीय लोगों के खिलाफ थे किंतु उनको यह नहीं पता था कि यही उनके घर का दामाद बनेगा।आशीष जिसके घर में दादा – दादी, मां – बाबा और छोटी बहन रहती थी इसका परिवार बहुत ही सीधा-साधा और मानव प्रेमी व्यक्तित्व से भरा था।
1 दिन की बात है आशीष घर से स्कूल के लिए बस स्टैंड पर खड़ा था और जस्ट उसके बगल में आयुषी भी खड़ी थी आयुषी आशीष एक दूसरे को बहुत ही गौर से देख रहे थे किंतु एक डर था कि कहीं मैं आयुषी से इस तरह बात करूं तो उसके लोग यानी महाराष्ट्रीयन मराठी लोग बूरा ना मान जाए किंतु आयुषी को इन बातों की कोई फिक्र नहीं थी आशीष मुंह फेर कर खड़ा हो गया और आयुषी आशीष के सामने आकर खड़ा होकर बोली!
ऐसे क्यों अनदेखा कर रहे हो क्या तुम मुझसे बात करना पसंद नहीं करते ?
अब तुम्हारे लिए भी मैं अजनबी बन गई आशीष बोला नहीं आयुषी ऐसी कोई बात नहीं है बस हर जगह बात नहीं किया जाता बात करने के लिए भी समय और जगह देखा जाता है आयुषी मजाक करने लगी बोली ओ हो ये बात _
तो अब तुम्हें एकांत समय चाहिए मुझसे मिलने और बात करने के लिए आशीष घबराते हुए बोला !
आयुषी ऐसी कोई बात नहीं है मेरे कहने का मतलब था कि बस स्टैंड पर बहुत सारे लोग खड़े हैं किसको हमारा बात करना अच्छा लगे और किसको नहीं इसलिए मैं तुमसे बात नहीं किया मुझे माफ करना तुम जाओ अपने साइड हम लोग कॉलेज में पहुंच कर बात करते है
ऐसे कहीं भी बात करना तुम्हारे लिए सही नहीं होगा ।
आयुषी फिर भी हट करके उसके सामने खड़े होकर उसे गले लगाने लगी आशीष को गुस्सा आ गया बोला देखो आयुषी तुम समझ नहीं रही हो तुम्हारी इज्जत हमारी इज्जत है इसलिए मैं तुमसे प्रेम करता हूं इसका यह मतलब नहीं है कि मैं कहीं भी तुमसे छेड़खानी या तुम्हें इस तरह गले लगा कर अपनापन दिखाऊं अपनापन प्यार तो दिल में होता है यह बातें सुनते ही सारे वहां उसको घूर-घूर कर देखने लगे और तब तक बस आ गई सब लोग बस में चढ़ गए।
और जैसे ही आशीष कॉलेज के गेट पर पहुंचा 5 और 6 मराठी उसको घेर लिये और बोले अरे ! ओ—- बिहारी पढ़ते – पढ़ते तू इश्क भी लड़ाने लगा तुझे और लड़की नहीं मिली हमारे ही बिरादरी की लड़की तुझे मिली थी नैन मटका लड़ाने के लिए लग रहा है तुझे सबक सिखाना ही होगा।
ऐसा कहते ही सारे लोगों ने उसको हॉकी से मारना शुरू किया आयुषी जैसे ही क्लास में गई उसको आशीष नहीं दिखा वह दौड़ी बाहर आई उसने देखा तो उसे दो-चार मराठी घेर के मार रहे हैं तब आयुषी ने उन लोगों को रोकते हुए बोला तुम लोग होते कौन हो मेरे और आशीष के बीच में बोलने वाले तुम्हें समझ नहीं आता हम दोनों प्यार करते हैं और तुम्हें इससे क्या परेशानी है तब तक सारे मराठी बोले !
हां तुझे यही बिहारी ही मिला था प्यार करने के लिए हम लोग इन लोगों से बहुत ही चिढ़ते हैं तुम्हें यह बात क्या पता नहीं है तुम्हारे घर वाले यह बताएं नहीं है तुम मराठी भी हो कि नहीं मुझे शक होता है लड़की बोली सुनो मैं एक मराठी ही हूं और यह भी एक हिंदू है फिर हम दोनों के प्रेम से मराठी समाज को क्या परेशानी आ रही है ।
कहीं मैं जिहाद में तो नहीं फंसी हूं अगर यही में जिहाद में रहती तो आप लोग उसको मारने नहीं आते और मैं अब तक जो सुरक्षित हूं एक हिंदू से प्यार करके एक बिहारी से प्यार करके वही अगर मैं एक देहाती से प्यार करती तो आप लोगों को कहीं सड़क के किनारे या बोरे में पड़ी मिलती यह बात आपको क्यों नहीं समझ में आता है अगर एक हिंदू लड़की हिंदू लड़के से शादी करना चाहती है वह किसी भी राज्य का हो तो आप लोग को क्या परेशानी है ऐसा बोलते ही आयुषी आशीष को हाथ देते हुए उठाई और क्लासरूम में ले जाकर बैठा दिया सारे लोग देखकर आशीष को हैरान हो गए और मराठियों के द्वारा किए गए व्यवहार को निंदनीय बताते हुए इस पर कड़ी एक्शन लेने की सोच की तो आशीष ने कहा छोड़ो इनके दिमाग में यह बैठ गया है कि हम उत्तर भारतीय लोग अच्छे नहीं होते इनको इतना ही समझ नहीं है कि जो खून इनका है वही खून हमारा भी है बस फर्क है भाषा का भाषा ज्ञान हमें इसलिए नहीं आता क्योंकि जैसे यह अपनी मातृभाषा का ज्ञान रखते हैं वैसे हमें भी भोजपुरी , बिहारी ही आती है और इसके साथ हिंदी, इंग्लिश हम मराठी सीख भी जाते हैं फिर भी इनको यकीन नहीं होता कि हम इनके लोगों की रिस्पेक्ट करते हैं ।
इनके दिमाग में हमारे खिलाफ इतना नफरत भरा है कि इनको हम कहीं कैसे भी नहीं मिटा सकते किंतु मैं इन मराठियों से इतना जरूर कहूंगा कि अगर हिम्मत है तो उन जिहादियों को जैसे मुझे मार रहे हैं मारो जिससे तुम्हारी बहन बेटी और हमारे भी बहन बेटी भी बच सके।
यह सुनते ही सारे लोग बोलने लगे बिल्कुल सही कह रहे हो आशीष और इतना कहते ही आशीष अपने घर के लिए आयुषी को लेकर निकल गया आयुषी आशीष के घर पर गई और जैसे ही घर के दरवाजे पर पहुंची दादा-दादी देखकर की आशीष को चोट कैसे आई है वह घबरा गए और सब हाल आशीष ने बताया तो उसके पिताजी गुस्सा करते हुए बोले जब आयुषी तुम्हें पता है कि यह प्रेम संभव नहीं है तो तुम क्यों मेरे बेटे को इस आग में धकेलना चाहती हो?
क्या यही तुम्हारा प्रेम है कि मेरे बेटे का बलिदान इसमें हो जाए ?
आयुषी रोने लगी तभी दादी और आशीष की मां उसे सहलाते हुए बोली बेटी तुम घर जाओ तुम्हारा इसमें कोई गलती नहीं है रात बहुत हो चुका था आयुषी को छोड़ने के लिए आशीष के पिता जी गए जैसे ही आशीष के पिताजी को आयुषी के घर वाले देखे वह लोग भी उसके पिताजी पर टूट पड़े तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी को आधी रात लाकर छोड़ने की उसके पिताजी कुछ ना बोले चले गए तभी उसके घर वाले आयुषी को ही सुनाने लगे क्यों तुम इसके साथ आई क्या हुआ इतना रात क्यों हुआ तुम अभी तक कहां थी सवालों का ढेर आयुषी के सामने देखकर आयुषी आराम से सोफे पर बैठकर बोली वह पिताजी मुझे इतनी देर हो गया फिर भी आप लोगों ने इन्फॉर्म नहीं करना चाहा कि तुम कहां हो कैसी हो आप लोगों में से कोई मुझे ढूंढने भी नहीं आया छोड़िए आप लोगों से मैं क्या कहूं?
तभी आयुषी की मां बोली बेटा बता तू कहां थी तो आयुषी बोली मां मैं आशीष के साथ थी यह सुनते ही उसके पिता उसे एक झापड़ तेज से मार दिए आयुषी फिर भी डरी नहीं और बोली ठीक है आपने मुझे मार लिया और आपके लोगों ने मेरे प्रेम आशीष को मार दिया इससे आपको क्या हासिल हो गया क्या मैं आप लोगों से यह पूछ सकती हूं हमें एक बात बताइए आप लोग की आशीष से प्यार करने का सजा दे रहे हैं या फिर वह बिहार से है इसलिए उसके बाप ने बोला ! मैं प्यार के खिलाफ नहीं हूं सुन ले तू लेकिन मैं बिहारीयों के खिलाफ हूं।
इसलिए मैं उसे कभी तेरी शादी नहीं होने दूंगा तभी आयुषी मुस्कुराई बोली पिताजी अगर यही मैं एक मुस्लिम से प्यार कर बैठी और आप लोग को बिना बताए भाग जाती तो ना आपकी बेटी मिलती ना आप लोगों की इज्जत बताइए वह लड़का बचपन से ही मुझे जानता है हम लोग एक साथ रह रहें हैं आपको भी पता है किंतु मैं उससे प्रेम करती हूं यह आपको नहीं पता था अगर वह गलत रहता तो क्या आपकी बेटी आज आपके सामने सही सलामत होती क्या हुआ आपकी बेटी के लिए भरी समाज में मार खाता।
तभी आयुषी के ताऊ जी ने बोला बेटा बात जो कुछ भी हो हमारा समाज कभी भी एक बिहारी और यूपी के लड़के को अपना दामाद स्वीकार नहीं करेगा और रही बात जिहादियों की तो वह भी हमें स्वीकार नहीं है तब आयुषी ताऊजी को अपने पिताजी अपने घर वालों को बैठने को बोली पहले मैं कुछ बात कहना चाहूंगी आप लोग मेरी बात सुनिए फिर आप लोग जैसा कहेंगे मैं करूंगी वह लोग बैठकर आयुषी की बात सुनाने लगे
आयुषी बोली ! पिताजी आज के तारीख में अगर आपकी बेटी या किसी और के बेटी एक हिंदू लड़के से स्वेच्छा से विवाह करना चाहे तो आप लोग खुद को खुश नसीब समझिए क्योंकि हमारे जैसी लड़कियां जिहादियों के चक्कर में फंस के बहुत कुछ सह रही है और उसके साथ उनके परिवार भी किंतु हमारे हिंदू जो हमारे रक्षक है वह कभी भी हमारा गलत इस्तेमाल नहीं करते और दूसरी बात आप लोग के दिमाग में जो यह बैठा है कि अन्य स्टेट से आए लोग आप जैसे नहीं हैं आपको इज्जत नहीं दे रहे तो यह आपकी भूल है क्योंकि कोई भी ऐसा बिहारी या यूपी अन्य स्टेट के लोग ऐसे नहीं है जो हमारे समाज का इज्जत ना करें और सीधे कहते हैं कि पूर्वज हमारे छत्रपति शिवाजी महाराणा सांगा अन्य वीर जितने भी हैं वह हमारे पूर्वज हैं और हम उनके ही वंशज है उनके दिखाए गए मार्ग पर हम चलते हैं यह बात करके आयुषी हाथ जोड़ के खड़ी हो गई तभी तक दरवाजे पर देखा तो आशीष भी अपने घर वालों के साथ आया और बोला आप अपनी लड़की का शादी हमसे करें या ना करें किंतु मैं यही कहूंगा कि अपने दिमाग से यह निकाल दें कि हम लोग अच्छे नहीं हैं इसका सबूत तो हम नहीं दे सकते हैं किंतु हम आपकी खुशी के लिए अपने प्यार को त्यागने के लिए तैयार है जिससे आप लोग खुश रहें आयुषी बोली अरे !
आशीष अरे ! पिताजी आप लोग यह क्या कह रहे हो आशीष बोला हां तुम्हें जो जन्म दिया है वही तुम्हारा असली प्यार के हकदार है ना कि मैं यह सुनते ही आयुषी की मां और पिताजी सारे लोग आशीष को देखते रह गए और आशीष बोला आयुषी आज से हम और आप कभी नहीं मिलेंगे।
यह कहकर आशीष निकलने लगा तभी उसके ताऊजी आशीष का हाथ पकड़ कर बोले बेटा ऐसी कोई बात नहीं है हमारी आंखें खुल चुकी है हम तुम्हें दामाद के रूप में स्वीकार करते हैं किंतु हमारी एक शर्त है —–
सारे लोग बोले क्या – क्या गंभीर मुद्रा में देखने लगे कौन सा शर्त है आपका तब ताऊ जी ने कहा पहले तुम लोग कम से कम 25 साल के हो जाओ तब मैं विवाह करूंगा ताकि तुम लोग अपनी पढ़ाई को कंप्लीट कर लो सब हंसने लगे बोले हां हम लोग भी यही चाहते हैं यह कहकर आशीष और आयुषी एक दूसरे को गले लगा कर बड़ों का आशीर्वाद लेकर अपने-अपने घर को चले गए।
ज्योति राघव सिंह
वाराणसी – (उत्तर प्रदेश)
वर्तमान पता – (लेह लद्दाख)
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