मीना का भाई मिट्ठू।

मीना का भाई मिट्ठू-बाल कथा

एक लड़की थी उसका नाम मीना था।मीना की माँ बचपन में हीं मर गई थी । जिस समय मीना की माँ मरी थी ,मीना चार साल की थी। मीना के पिता जी मीना के परवरिश के लिए दूसरी शादी कर ली। लेकिन जब मीना की नई माँ आई तो मीना को बहुत दुःख देने लगी । मीना अब छे -सात साल की हो गई थी,वह कुछ -कुछ समझने लगी थी। मीना के पापा मीना से बहुत प्यार करते थे।जब भी कहीं से आते तो मीना के लिए कुछ न कुछ जरूर लाते।ये सब देखकर उसकी नई माँ उससे जलती रहती थी।
जब मीना के पापा बाहर जाते ,उसकी माँ मीना के हाथों से सबकुछ छीन कर खा लेती थी । मीना चुपचाप देखती रहती और चुपके से रोती रहती थी। मीना की नई माँ उससे अपने घर का काम भी करवाती थी। मीना की कुछ सहेली थी उसके पापा उसका नाम पढ़ने के लिए स्कूल में लिखा दिए ।उसकी सहेली मीना के घर के बगल वाले रास्ते से स्कूल जाती थी ।
एक दिन मीना अपनी सहेली को स्कूल जाते देख ली और दौड़ कर अपने पापा से आकर बोली, पापा मैं भी स्कूल पढ़ने जाऊँगी, पापा बोले ठीक है कल तुम्हारा नाम स्कूल में जाकर लिखवा दूँगा ,परसों से तुम भी स्कूल पढ़ने जाना।ये बात जब उसकी नई माँ सुनी तो झट से बोल उठी। ये जो स्कूल जाएगी तो घर का झारू ,बर्तन सब कौन करेगा,एक बकरी है उसको कौन चराने जाएगा ।यह सुनकर उसके पिताजी चुप हो गए ,नई झगड़ालू पत्नी के डर से मीना के पापा कुछ नहीं बोले।
मीना घर का सारा काम भी करती और बकरी भी चराती। मीना की नई माँ उसको भरपेट खाना भी खाने नहीं देती थी ।मीना भूख के मारे दरवाजे पर जाकर खूब रोती।
एक दिन मीना बकरी चराने एक बगीचा गई,बकरी चर रही थी, मीना को बहुत जोड़ों की भूख लगी ।वह उसी बगीचे में एक पेड़ के नीचे जोर -जोर से रोने लगी।उस पेड़ पर एक सुग्गा था ,उस सुग्गे को मीना के रोने पर दया आ गई और मीना से पूछने लगा ,आप क्यों रो रही हो ,आपका क्या नाम है। क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकता हूंँ।मेरा नाम मिट्ठू है । मीना बोली मेरा नाम मीना है ,मुझे बहुत जोड़ों की भूख लगी है,भूख से पेट में काफी दर्द हो रहा है क्या तुम मुझे कुछ खिला सकते हो ।मिट्ठू बोला क्यूँ नहीं मीना दीदी अभी गया और अभी आया।
मिट्ठू तुरंत उड़कर गया और मीठा -मीठा फल लाकर मीना के आगे रख दिया । मीना तो कई दिनों की भूखी थी, भरपेट फल खाई और मिट्ठू से प्यार से बात की और बोली ,क्या तुम कल फिर इस पेड़ के नीचे मिलोगे। मिट्ठू बोला हाँ दीदी ,आज से आप मेरी बड़ी दीदी और मैं आपका छोटा भाई मिट्ठू।
अब शाम होने को चला, मीना मिट्ठू को बोली मिट्ठू मैं घर जा रही हूँ, कल यहीं पर मिलूँगी।यह कहकर मीना घर चली गई।इसी तरह मीना रोज बकरी चराने जाती और मिट्ठू उसे तरह-तरह के फल लाकर खाने को देता ।इस तरह से पतली छरहरी मीना मिट्ठू के लाए फल खाकर थोड़ी मोटी और खूबसूरत दिखने लगी ।
एक दिन मीना की नई माँ इस खूबसूरत और मोटापे की राज जानने के लिए मीना का पीछा किया और सबकुछ देख ली।और मन हीं मन सोचने लगी। ये सुग्गा इसको तरह -तरह का फल लाकर खिलाता है तभी तो यह मोटी और खूबसूरत हो गई है।अब उसकी नई माँ ने उस सुग्गे को मारने का प्लान बनाने लगी ।
जैसे हीं उसके पति शाम को घर वापस आए तो, मीना की नई माँ ने कहा एजी सुनते हो हमारे पीठ की रीढ़ की हड्डी बहुत कमजोर हो गई है, इसमें दवा काम नहीं करेगा ।एक वैद्य ने कहा कि फलाने बगीचे में एक पेड़ पर सुग्गा रहता है,उस सुग्गे का माँस खाने से आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होगी ,सो आप मुझे वो सुग्गा मारकर ला दीजिए।ये बात जब उसकी माँ अपने पति से कह रही थी,तो चुपके से मीना ने सारी बातें सुन ली और सुबह होते हीं मीना बगीचा गई और रोते -रोते सारी बातें मिट्ठू को बता दी ।और “हाथ जोड़कर उससे विनती की “कि मैं अब किसी तरह अपना जिंदगी जी लूँगी ,लेकिन भाई तुझे मैं मरने नहीं दूँगी ,तुम इस बगीचे को छोड़कर दूसरे बगीचे चले जाओ नहीं तो तुमको मारकर मेरी नई माँ खा लेगी । मिट्ठू अपनी बहन मीना की बातें गौर से सुना और रोते हुए मीना दीदी से गले मिला और वो वहाँ से नौ दो ग्यारह हो गया।

नीतू रानी
स्कूल -म०वि०सुरीगाँव
प्रखंड -बायसी
जिला -पूर्णियाँ बिहार।
मोबाईल नम्बर -7258079282

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