साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन व चित्र प्रतियोगिता

मेरा नगर चाकसू- ललिता टाक

परिचय: मेरे गांव का नाम चाकसू है। जिसमें एक नगर पालिका ,एक तहसील है। चाकसू एक कस्बा है चाकसू भारत के राजस्थान राज्य के जयपुर जिले में स्थित एक नगर पालिका है। यह शहर जयपुर जिले के 13 तहसील मुख्यालयो में से एक है ।यह कस्बा जयपुर से कोटा राष्ट्रीय मार्ग संख्या 12 पर जयपुर से 40 किलोमीटर टोंक से  57 किलोमीटर, सवाई माधोपुर से 150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है ।यहां रेल मार्ग,सड़क मार्ग दोनों राज्य देश प्रमुख शहरों से जुड़े हुए हैं ।हवाई यात्रा के माध्यम से भी चाकसू पहुंचा जा सकता है ।चाकसू लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर सांगानेर हवाई अड्डा स्थित है ।यहां पर वैभवशाली विरासत के साक्षी प्रमुख प्राचीन मंदिर, तालाब, शिलालेख ,आज भी मौजूद है। सघन आबादी वाले क्षेत्र स्थित है lआसपास के क्षेत्र में उपजाऊ कृषि भूमि भी है। चाकसू कस्बा जयपुर के दक्षिण में स्थित है। जो जिला उपखंड मुख्यालय भी है। चाकसू ओर आस पास के  गांवों में गुर्जर और मीणा बहूसंख्यक जाति में है। आज कल चाकसू एक विधानसभा क्षेत्र भी है । चाकसू में एक विधानसभा सीट भी है। चाकसू जयपुर के दक्षिण में स्थित है जो उपखंड मुख्यालय भी है । सन 1853 में चाकसू में लक्ष्मी नाथजी का मंदिर व  जलाल बुखारी दरगाह का निर्माण हुआ। चाकसू कस्बे में शीतला माता का मंदिर प्रसिद्ध है। यहां की मिठाई और त्योहार भी प्रसिद्ध है।

 मेरा आदर्श गांव/अतीत की यादें : वर्तमान चाकसू के बारे में यह कहावत है /कहा जाता है कि इसका सात बार जमीदोस हो चुका है । (उलट-पुलट)   जिसके नाम इस प्रकार से हैं 1. चंपा  2. चैट्सू 3.चंपावती4.तांबावती 5.फैफावती(पपपावती)  6.लीलावती 7. चाकसू चाकसू एक जगत प्रसिद्ध शीतला माता का मंदिर है।  भृतहरी जी का मंदिर है जोगा बाड़ी तालाब के पास है। तमाडिया गांव में भैरुजी का मंदिर यहां पर प्रतिवर्ष मैंला लगता है सप्तमी के दिन । टोंक रोड पर हनुमान मंदिर है। विश्व की सबसे बड़ी तोप जयबाण से दागे हुए गोले से बने गड्डे के कारण गोली राव तालाब का निर्माण हुआ। जयपुर टोंक रोड पर चाकसू नगर पालिका स्थित है। चाकसू सड़क मार्ग से कोटा टोंक ,जयपुर फागी ,दूदू ,दोसा ,लालसोट आदि जुड़े हैं। जयपुर सवाई माधोपुर, कोटा ब्रॉडगेज रेलवे लाइन शहर के पश्चिम की तरफ से गुजरती है जिस कारण यह रेल मार्ग द्वारा आसपास के क्षेत्र ,राज्य व देश के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

चाकसू : चाकसू एक  ऐतिहासिक स्थल है जो प्राचीन काल में चंपावती के नाम से जाना जाता था। कालांतर में चाट्सू के नाम से जाना जाता था। वर्तमान में जिसका नाम चाकसू है।  इसके पूर्व में ढूंढ नदी तथा पश्चिम में बांडी नदी है ।जिनके मध्य में यह कस्बा बसा हुआ  है।वर्ष 1637 में चाकसू आमेर राज्य का अंग बना तथा इसका शासन सवाई राजा जयसिंह के  हाथों में आया। इस प्रकार चाकसू ऐतिहासिक दृष्टि से तत्कालीन जयपुर रियासत से संबंधित रहा ।माना जाता है कि इस नगर का निर्माण सतयुग में तमावती के नाम से व इसके पश्चात त्रेतायुग में पद्मावती हुई ।सूर्यवंशी महाराज हरिश्चंद्र के पौत्र तथा महाराज रोहित के पुत्र महाराज  चंपक के नाम पर द्वापर में चंपावती नगर  नाम पड़ा। चाकसू को विख्यात  भृतहरि तथा विक्रमादित्य की जन्म भूमि रहने के सौभाग्य भी प्राप्त हैं। यहां की जलवायु ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक गर्म एवं शीत ऋतु में अधिक ठंडी होती है एवं वर्षा ऋतु में अल्पकालिक रहती है  वर्षा बहुत कम होती है।ग्रीष्म ऋतु में अत्यधिक तापमान सामान्यतः 44.3 डिग्री सेंटीग्रेड ,वह शीत ऋतु में न्यूनतम तापमान 2.1 डिग्री सेंटीग्रेड रहता है वर्षा सामान्यत: 674.0 डिग्री मिली. होती हैं। चाकसू के आसपास का क्षेत्र समतल है ।चाकसू अपने पृष्ठ क्षेत्र से सड़क से भली भांति जुडा होने के कारण यह जयपुर जिले का महत्वपूर्ण कस्बा है ।इस प्रकार सड़क मार्ग से जुडा होने के कारण क्षेत्रीय स्तर पर इसका अपना विशेष स्थान है। निकटवर्ती हवाई अड्डा चाकसू से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर सांगानेर में स्थित है। कस्बे की कृषि भूमि उपजाऊ है। जिसमें सरसों, मूंगफली, व गेहूं, जो चना आदि फसल प्रमुख है। जो राज्यों के अन्य जिलों व देश के  अन्य भागों में भेजी जाती हैं। अतः अतः चाकसू आसपास के कृषि प्रधान ग्रामीण क्षेत्र हेतु एक सेवा केंद्र के रूप में विकसित है।

 सामाजिक /धार्मिक एवं सांस्कृतिक उत्सव : चाकसू जयपुर के समीप स्थित एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कस्बा है ।विभिन्न समुदायों द्वारा विभिन्न धार्मिक गतिविधियां आयोजित की जाती है। व त्योहार /पर्व आदी मनाए जाते हैं ।यहां सभी धर्मो के मुख्य त्योहार जैसे होली, गणगौर, तीज,जन्माष्टमी, रामनवमी, दशहरा ,दीपावली एवं ईदुलफितर, ईदुलजुहा, मोहर्रम तथा गुरु नानक जयंती,महावीर जयंती, आदि उत्सव उल्लास से मनाए जाते हैं ।इस प्रकार सामाजिक/ धार्मिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग है धार्मिक व सांस्कृतिक दृष्टि से चाकसू का शीतला माता मैला जो लक्खी मेला के नाम से विख्यात है, नगर पालिका द्वारा प्रतिवर्ष प्राय: मार्च , अप्रैल अप्रैल माह में शीतला अष्टमी को शील की डूंगरी में आयोजित किया जाता है ।इस मेले में आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में काफी मात्रा में लोग आते हैं। चाकसू से जुड़े 21 गांव: राज्य सरकार द्वारा चाकसू की नगरी क्षेत्र में निम्न किस गांव सम्मिलित किए हैं। चाकसू,बिहारीपुरा, मानपुर, डूंगरी, गढ़ी रामनगर,शील की डूंगरी, श्री जीवनपुरा, गोपीनाथपुर उर्फ कुतकपुरा, दादनपुर डूंगरी, बीड  संतोषपुरा, बाढ़महावतान,भगवानपुरा, बीड पिनारपुरा उर्फ बिहारी लालपुरा,तिगरिया,नैनवा की ढाणी, मोहम्मदपुरा,गिरधारी लालपुरा,भुरटिया कला, रामपुरा बुजर्ग,बिरधापुरा उर्फ स्वामी का वास दयापूरा, जयसिंहपुरा।
चाकसू कस्बा राजस्थान के सघन आबादी क्षेत्र में स्थित है। चाकसू राजस्थान के जयपुर जिले में एक नगर पालिका शहर है ।चाकसू शहर को 25 वार्डों में विभाजित किया गया है।जिसके लिए हर 5 साल में चुनाव होते हैं भारत की जनगणना 2011 की रिपोर्ट के अनुसार चाकसू नगर पालिका की जनसंख्या 33,432 है । चाकसू वर्तमान की अनुमानित जनसंख्या लगभग 45 हजार है।
चाकसू अपनी रंगीन संस्कृति और मैंलो और त्योहारों के लिए जाना जाता है ।एक त्यौहार शीतला अष्टमी का है।हालांकि यह त्यौहार राजस्थान के कहीं हिस्सों में मनाया जाता है। लेकिन चाकसू शीतला माता का मेला प्रसिद्ध है। बड़ा पदमपुरा में जैन मंदिर के पहले परम संत स्वामी राम प्रसाद जी महाराज द्वारा निर्मित अखिल भारतीय मानव कल्याण सेवा संस्थान हरि मंदिर बना हुआ है जो प्रसिद्ध है यह मंदिर खटीक समाज का है। जैन मंदिर, बरखेड़ा में बरखेड़ा जैन मंदिर, तामडिया गांव में भेरुजी का मंदिर ,श्री राम धाम ,मुख्य बाजार में राम मंदिर ,चम्पेश्वरजी महादेव मंदिर, मनोहर तालाब, गोली राव तालाब बड़े बालाजी, दरगाह वाले हनुमान जी नीलकंठ बालाजी,महादेव आदि प्रसिद्ध है। चाकसू में मोहन जी की कचोरी,बाहेती का  मिश्रीमावा और खासकर  चाकसू की लेसमी प्रसिद्ध है।
 प्रसिद्ध मंदिर 1.शीतला माता मंदिर,: इस मंदिर की स्थापना जयपुर राजवंश के राजाओं द्वारा की गई थी।राजघराने के बच्चों के माता निकलने से राजवंश से प्रथम पूजा मेले पर होती थी।
चाकसू के उत्तर में पहाड़ी पर शीतला माता का मंदिर  स्थित है जिसे शील की डूंगरी भी कहा जाता है। जयपुर राजस्थान की राजधानी के दक्षिण  दिशा में  करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है शीतला माता मंदिर माता की मूर्ति पत्थर की बनी हुई है।  मंदिर पहाड़ी पर दूर से ही नजर आता है यह मेला चैत्र माह में अष्टमी के दिन भरता है ।इसे बास्योड़ा के नाम से भी जाना जाता है। बास्योड़ा के मौके पर दो दिवसीय लक्खी मेला भरता है और रास्थान  में 2023 में शीतला माता का मेला 15 मार्च को मनाया गया।चैत्र मास की अष्टमी को शीतलाष्टमी कहते  है।  इस दिन ठंडे पकवानों का भोग लगाया जाता है ।और ठंडे पकवान खाये जाते हैं।
शिव डूंगरी: शीतला के पास ही शिव डूंगरी स्थित है। जहां पर भगवान शिव का मंदिर बना हुआ है ।शिव डूंगरी से कुछ दूरी पर ला खावास नामक जगह स्थित है। जहां वर्तमान में एक ए निकेत बना हुआ है ।यह स्थान हरा-भरा एवं पानी से भरा होने के कारण शहर सपाटे ,घूमने ,फिरने के लिए हॉटस्पॉट है बुजुर्गो व इतिहास कारों के अनुसार इस स्थान पर लाखा नामक एक कुमार रहता था जिसके पास एक गधा था जिसका नाम गंधर्व सेन था। वह गधा मानव की तरह बोलता था। चंपेश्वर महादेव: यह मंदिर दिव्य ,चमत्कारी तथा दर्शनीय स्थल है। यह मंदिर मनोहर तालाब के दक्षिण में चाकसू के पूर्व में स्थित है। मंदिर सूर्यवंशी राजा हरिश्चंद्र के पुत्र चंपक के द्वारा निर्मित माना जाता है इसके इसके अभिषेक के लिए एक कुआं भी बना हुआ है। यहां सैकड़ो भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
बड़े हनुमान जी का मंदिर बड़े: यह मंदिर टोंक रोड पर स्थित है शिव मंदिर व 11 फीट के हनुमान जी व गणेश जी की दिव्य मूर्ति प्रतिष्ठित है यहां प्रति मंगलवार को दर्शनों के लिए भारी संख्या में भीड़ होती है ।दरगाह वाले बालाजी के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि वही मंदिर के सामने रोड की दूसरी साइड पर दरगाह स्थित है।
नीलकंठ के बालाजी एवम नीलकंठ के महादेव जी: यह मंदिर टोंक रोड से साइड में चाकसू बस स्टैंड एवं नगर पालिका के बीच में स्थित है। इस मंदिर में शिव जी का मंदिर एवं बालाजी की बड़ी मूर्ति स्थापित है। यहा हमेशा दर्शनों के लिए लोग आते जाते रहते हैं एवं शनिवार व मंगलवार को भारी संख्या में भीड़ रहती है दर्शनों के लिए।
खाल के बालाजी: इस मंदिर में प्राचीन मूर्ति स्थापित है ।पास में ही एक बावड़ी भी बनी हुई है जिसका निर्माण बिना चुना, माटी ,के पत्थर से हुआ है ।मंदिर का वर्तमान में नवनिर्माण हो चुका है एक संत के रहने से सुंदर बगीची भी बनी हुई है । यहा मंगलवार और शनिवार को दर्शनों के लिए भारी भीड़ लगी रहती हैं।
सूर्य कुंड: चाकसू के पूर्व में है इस कुंड में 25 बड़ी सोने की होना बताया जाता है या हनुमान जी की मूर्ति  तिबारा है। कुंड मिट्टी के अंदर दबा हुआ है।
सूर्य मंदिर: चाकसू के मध्य में कोर्ट में सूर्य मंदिर है। इसमें सात घोड़े पर सवार सूर्य देव व उनकी पत्नी की सुंदर मूर्ति बनी हुई है ।इस मंदिर का निर्माण संभवत:है गोहिल वंशी राजपूतो ने किया, भीतर दीवार पर लंका युद्ध, भगवान विष्णु के 24 अवतार ,दुर्गा द्वारपाल पर जय विजय तथा युद्ध युधिष्ठिर के चित्र बने हुए हैं।
देवनारायण जी का मंदिर: चाकसू से कुछ ही दूरी पर कोटखावदा रोड पर गुर्जर समाज का देवनारायण जी का मंदिर बनाया गया है ।जहां पर जोधपुरिया स्थान पर जाने वाले श्रद्धालुओं का सत्कार किया जाता है।
मालोराय: लक्ष्मण जी का मंदिर बना हुआ है ।जिसका जिर्णोद्धार किया जा चुका है। मंदिर के पीछे मालोराई  नामक तालाब स्थित है। जहां कभी सिंघाड़े की खेती की जाती थी। अन्य मंदिर: गणेशपुरी मंदिर ,श्री बाबनजी का मंदिर, चतुर्भुज जी का मंदिर ,लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर, ध्यानेश्वर शिव मंदिर आदि प्रसिध्द है।
प्रसिद्ध तालाब/ बावड़ी/ तलाई :  गोलीराव तालाब :चाकसू का गोली राव तालाब प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि विश्व की सबसे बड़ी तोप जयबाण जयपुर के जयगढ़ दुर्ग से गोला दागा गया तो वह गोला चाकसू मे   आकर गिरा था। और उस जगह बहुत बड़ा गड्ढा बन गया  था।गोला गिरने की वजह से वहां पर बने  गड्डे के कारण तालाब का निर्माण हुआ था। जिसका नाम गोली राव तालाब पड़ गया।जयबाण  को पहली बार टेस्ट फायरिंग के लिए चलाया गया था तो जयपुर से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित चाकसू नामक कस्बे में गोला गिरने के कारण तालब बन गया था। 35 किलोमीटर तक मार करने वाले इस टॉप को एक बार फायर करने के लिए 100 किलो गन पाउडर की जरूरत होती है।  मनोहर तालाब:इसको मलोखरा के नाम से भी जाना जाता है ।यह मंदिर टोंक रोड पर चमकेश्वर महादेव व गण गौरी मैदान के पास स्थित है और रोड पर से ये तालाब दिखाई देता है।और बहुत सुंदर प्रतीत होता है इसके सौंदर्य करण के लिए कार्य  किया जाएगा।  जोगाबाड़ी: ये तालाब जोगाबाडी के नाम से प्रसिद्ध है ।पुराने समय में नहाना, धोना,पशु पक्षियों का पानी पीने का मुख्य स्थान था। जिसमें जिसके आस पास खार पैदा होता था उसे ही कपड़े धोए जाते थे ।सभी  जन नहाने धोने के लिए जाते थे साथ ही वहां पर भृतहरी जी का मंदिर  बना हुआ है। जिसका जिर्णोद्धार हो चुका है।

आसोलाई: यह स्थान रामानंद संप्रदाय का है। यहां ठाकुर जी ,सीताराम जी के मंदिर बने हुए हैं ।मंदिर के पीछे राम तलाई नमक तालाब बना  हुआ था ।एक बार एक संत यज्ञ करवा रहे थे अचानक घी कम पढ़ने के कारण से इस तालाब से पानी लेकर यज्ञ करवाया गया था बाद में उतना ही घी महाराज ने उसे तालाब में डलवाया था । जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता है वह सावन में बड़े पेड़ों पर झूला डाला जाता है इस मंदिर के कुछ दूरी पर ही रावण दहन स्थल बना हुआ है ।नगर पालिका द्वारा दशहरा कार्यक्रम किया जाता है।
सोनतलाई: यह तालाब कस्बे में  स्थित है। माना जाता है कि इसमें पहले सोना था।  जिसे निकाल लिया गया। रामद्वारा तालाब: यह रामस्नेही संप्रदाय का आदि स्थान है। रामचरण जी महाराज जिनका जन्म सन 1808 में हुआ था। बाल्यावस्था में सन 1817 में तालाब के किनारे भजन कीर्तन करने लगे उसके बाद में स्थल रामद्वारा करने लगा। गढ़ व छतरी : गढ़वासी: चाकसू के निकट गढ़वाली स्थान पर एक गढ़ बना हुआ है माना जाता है कि गढ़ तूंगा  मराठा युद्ध का साक्षी रहा है। यहां पर सैनिक असला( गोला बारूद) रखा करते थे ।ऐसा भी माना जाता है कि तत्कालीन जागीरदार जयसिंग गोमिया यहां पर जुझार हुए थे। गढ़ में वर्तमान में शिवजी का मंदिर भी बना हुआ है।

हरजीमल की छतरी: चाकसू में गोली राव तालाब के किनारे पूर्व में चाकसू के चौधरी हरजिमल की स्मृति में बनाई गई छतरी मौजूद है। जहां आज भी चौधरी वंश के लोग पूजा का अर्चना करते हैं। अजमेर कलेक्टर वैभव गालरिया के भी यह आराध्य हैं। इस तालाब में वर्षों पूर्व कमल के फूल खिला करते थे जिसे दूर-दूर से लोग पूजा अर्चना हेतु ले जाते थे।
प्रमुख हवेलियां एवं मोहल्ले: हवेलियां: चाकसू नगर के मध्य में प्रमुख रूप से हवेलिया स्थित है हरजिमल की हवेली यह कोर्ट के मोहल्ले में ,पटेल जी की हवेली इसके पास है लक्ष्मी नाथ जी का मंदिर , व कुछ ही दूरी पर चतुर्भुज मंदिर भी बना हुआ है।

प्रमुख मोहल्ले: पूर्व में इस मोहल्ले में चाकसू नगरी बसी थी ।जो चारों ओर से कोर्ट द्वारा बंद थी। जिसमें मुख्य चार दरवाजे है ।इस मोहल्ले में ठाकुर जगमोहन मंदिर ,दिगंबर जैन मंदिर ,पांडे की हवेली ,चौधरी जैन की हवेली स्थित है। इनके अलावा प्रमुख मामोड़ियो का मोहल्ला ,दलालों का मोहल्ला, नगोरियो का मोहल्ला , करार खानिया कहानी का मोहल्ला, मोडा पाड़ा मोहल्ला, बालवाड़ी मोहल्ला ,मालियों का मोहल्ला ,कुम्हारों का मोहल्ला आदि प्रमुख हैं।चाकसू का काफी विस्तार हो गया है।और अब कई उपनगर भी बस चुके हैं।

मोजड़ी व जूतियां/और पत्थर की कढ़ाई: यहां के कारीगरों  द्वारा कुटीर उद्योग के रूप में मोजड़ी व जूतियों का निर्माण किया जाता है। यहां पर अपने मन मुताबिक मोजड़ी बनवा सकते हैं ।यह परंपरागत रूप से बनाई जाती है। इनकी बिक्री स्थानीय स्तर से लेकर बाहर तक होती है ।इन कारीगर परिवारों की ओर से खजूर से खजूर की  पंखिया भी बनाई जाती है।  पत्थर की गाढ़ाई:

चाकसू में कुमावत व कुम्हार समाज के लोगों के द्वारा पत्थर पर सुंदर गढ़ाई व नक्काशी का काम किया जाता है ।जिनमें आकर्षक  मेहराब,बाई , व बावने पर नक्काशी का कार्य किया जाता है ।चाकसू नगर पालिका का द्वारा पत्थर पर नक्काशी का एक शानदार नमूना माना जा सकता है।

धार्मिक संस्थाएं: 1. राम कला मंडल 2. राधे राधे मंडल 3. आयोजन : इनके द्वारा नवरात्रि पर  दशहरे के मौके पर रामलीला मंचन पर मंडल के द्वारा किया जाता है ।विभिन्न धार्मिक उत्सवो का आयोजन एवं भजन कीर्तन किया जाता है ।नवरात्रि के प्रथम दिन गोवर्धन की पदयात्रा इन के द्वारा ले जाई जाती है ।चाकसू में तेजा दशमी के दिन ग्रामीणों द्वारा बिंदोरी निकाली जाती है। जिसमें सभी समाज के लोग बढ़  चढ़कर हिस्सा लेते हैं। कार्यक्रम में ग्रामीण कलाकारो द्वारा कच्छी घोड़ी नृत्य किया जाता है। इस तरह  एकादशी पर ठाकुर जी की डोल निकालकर नौका विहार कराया जाता है। सावन के महीने में हिंडोला महोत्व का आयोजन प्रमुख रूप से होता है।

कृषि मंडी व सब्जी मंडी: चाकसू में किसानों की  उपज को बेचने के लिए 1983 से कृषि मंडी स्थापित है ।कोटखावदा रोड पर स्थित इस मंडी में बड़े पैमाने पर आडत का व्यवसाय होता है। चाकसू और आसपास  के ही नही अपितु दौसा जिले से भी किसान यहा अपनी उपज को बेचने आते हैं । चाकसू में: कोटखावदा मोड़ पर संविधान के निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की अष्टधातु की राजस्थान की सबसे ऊंची मूर्ति लगी हुई है।

चाकसू :में दो प्रमुख सब्जी मंडिया है पहली मुख्य बाजार में तहसील के पास तो दूसरी निचले बाजार में स्थित है ।यहां पर किसान सब्जी  को बेचने व  फुटकर सब्जी व्यापारी सब्जी खरीदने के लिए आते हैं। यह सब्जी मंडिया  बड़ी मानलिया व छोटी मानलिया के नाम से जानी जाती है। मिश्रीमावा/मिठाई का स्वाद:  1.लेशमी: चाकसू की लेशमी  बहुत प्रसिद्ध थी। तीज त्योहार पर रेशमी के बिना स्वाद अधूरा सा ही लगता था।आजकल रेशमी का चलन काम हो गया है । लेश्मी की जगह मिशीमावा ने लेली।  2.मिश्रीमावास: चाकसू में बाहेती का मिश्रीमावा प्रसिध्द है।   चाकसू के बाजार:चाकसू के दो बाजार है जिनको बड़े बाजार एवम छोटे बाजार के नाम से जाने जाते थे।आजकल बाजारों का आधुनिकरण हो गया है और सब सामान वही मिल जाता है दूसरी जगह जाने की आवश्यकता ही नहीं होती है।  आधुनिक चाकसू:1. मिल्क कोल्ड स्टोरेज 2. जगन्नाथ यूनिवर्सिटी 3. रियल एस्टेट 4. 440 वोट पवार ग्रेड 5. रिंग रोड परियोजना 6. ऑयल स्टेशन सरकारी प्रतिष्ठान: 1.  बैंक शाखाएं 2. राजकीय एवं अर्द्ध राजकीय कार्यालय 3. स्कूल/ कॉलेज 4. आवागमन सड़क यातायात  आदि निर्माण हुआ है एवम विकास हुआ है।

चिकित्सा चिकित्सा: हले राजकीय चिकित्सालय सुविधाओ के अंर्तगत 30 बेडेड एक राजकीय सामान्य चिकित्सालय था।एक एवम आयुर्वेदिक होम्योपैथिक चिकित्सालय है ।राजकीय चिकित्सालय  नगर पालिका के पास रोड पर है। कार्यालय के समीप जयपुर रोड पर स्थित है ।शहर में चिकित्सा अपर्याप्त थी। जिसमें सुधार की आवश्यकता थी।निजी स्तर पर निजी स्तर पर नर्सिंग होम क्लीनिक आदि चिकित्सा सुविधाएं विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध है यहां पर एक अदद बड़े अस्पताल की आवश्यकता थी।आज आज अस्पताल को बढ़ाकर सैटेलाइट अस्पताल कर दिया गया है। बेड बढ़ा दिए गए हैं ।हर तरह की सुविधा उपलब्ध है।

कोलोनिया: वर्तमान में चाकसू  में चैंपेश्वर कॉलोनी, सूर्य कॉलोनी ,  इच्छेश्वर  कॉलोनी जैसी कई कालोनियां बस चुकी है। यहां पर कोटखावदा रोड, पर गोलीराव तालाब के निकट जलदाय विभाग द्वारा पानी की टंकी बनाई गई है। जिससे पूरे चाकसू में पानी के आपूर्ति की जाती है।

Lalita tak
senior nursing officer
31/426 sec.3 pratap nagar sanganer jaipur
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