पांच गाँव एक देव खेरे वाले महादेव-संतोष शर्मा शान

उत्तर प्रदेश के जिला हाथरस में मथुरा कासगंज रोड़ पर मैंडू रेलवे स्टेशन से लगभग पांच किलोमीटर की दूरी पर मुख्य पांच गाँव ( अनिरुद्धपुर , बाघऊ, नगला अलिया , सूरतपुर एवं राजपुर ) के बीच स्थित है भगवान भोलेनाथ का अप्रतिम लगभग डेढ़ से दो सौ साल प्राचीन मंदिर जिसे खेरे वाले महादेव के नाम से जाना जाता है | इन गाँवों के बड़े बुजुर्गों के कथनानुसार ये भगवान भोलेनाथ का मंदिर में स्थित शिवलिंग अथाह है।
एक जमाने में बसे वहाँ के गाँव मकटोई के किसान को अपने खेतों में हल से जुताई करने के दौरान हल के लोहे वाली अग्र भाग ( जिसे फारी कहते हैं) से टकराई थी जिसे पत्थर समझकर उस किसान ने वहाँ से उसे हटाने की बहुत कोशिश की उसके टस से मस ना होने पर किसान ने वहाँ के आसपास की मिट्टी हटाई तो उसे शिव जी के लिंग का आकार जैसा पाया ‘उसने गाँव के कुछ और लोगों को इसकी सूचना दी तत्पश्चात उसे बीच खेत से हटा कर अलग एक तरफ रखने की भी कोशिश की किन्तु काफी प्रयास के बावजूद भी जब किसी को कोई सफलता नहीं मिली तब अंततः उसे वहीं उसी स्थिति में छोड़ दिया गया और तब से शिवजी की आस्था और विश्वास के साथ गाँव वालों ने पूजा अर्चना शुरू कर की , आज भी उस हल की फारी से लगी लगभग दो से तीन इंच की खरोंच की बनावट स्पष्ट रूप से दिखाई देती हैं।
डेढ़ से दौ सौ साल प्राचीन इस शिवलिंग पर उपरोक्त पांच गाँवों की क्रमशः फागुन माह की महाशिवरात्रि एवं श्रावण माह के प्रत्येक सोमवार और शिव चतुर्दशी को शिव भक्त कांवड़ियों का तांता लगता है।जहाँ मथुरा बरेली राष्ट्रीय रेल तथा सड़क राजमार्ग पर पड़ने वाले श्री सोरों जी ‌गंगा जी कछला घाट एवं रामघाट से पैदल यात्रा कर लाये गए पवित्र जल से भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक किया जाता है।प्राचीन समय के प्रतिकूल प्रभाव से ध्वस्त हो चुके गाँव मकटोई के बीच खेत में जंगली बबूल के पेड़ों का बीहड़ और उनके नुकीले कांटे भी शिव भक्तों को कभी रोक नहीं पाई।
इन डेढ़ दो सौ वर्ष प्राचीनता का‌ प्रमाण देने के लिए आज भी गाँव सूरतपुर की बुजुर्ग 98 वे बसंत देख चुकी माता श्रीमती कैलाशी देवी पत्नी स्वर्गीय सरदार सिंह दुबे एवं दूसरी बुजूर्ग 92 वे बसंत पार कर चुकी माता श्रीमती उर्मिला देवी पत्नी श्री रघुनाथ प्रसाद उपस्थित हैं उनका कहना है कि वहाँ के मकटोई गाँव के ध्वस्त हो जाने के बाद केवल बीहड़ ही बीहड़ था सुर्यास्त के बाद उधर जाना खतरनाक जीव जन्तुओं से पाला पड़ने का डर हो जाता था और कुछ के साथ हुआ भी परन्तु भक्तों की आस्था और जिस प्रकार पांचों गाँव के लोगों की जो मनोकामनाएं उस शिवलिंग पर जल चढ़ाने एवं पूजन से‌ चमत्कारिक ढंग से पूरे हुए उससे लोगों की तथा आसपास के अन्य और लोगों की आस्था बढ़ती चली गई और आज देखते देखते पांचों गाँव के श्रद्धालु भक्तों के सहयोग एवं भगवान भोलेनाथ की कृपा से एक भव्य मन्दिर का निर्माण हो चुका है जहाँ बीहड़ जंगल मात्र का पहरा हुआ करता था वहाँ सुन्दर फूलों के बाग क्यारियों के बीच सुन्दर दुर्वा की घास में विश्राम करने योग्य स्थान के साथ साथ एक छोटा सा पार्क भी तैयार है जिसमें बच्चों के लिए झूले की व्यवस्था भी है।यहाँ के कुछ उम्र दराज एवं बुजुर्गों के अनुसार कई लोगों के असंभव कार्य भी इस शिवलिंग पर जलाभिषेक पूजन करने से पूर्ण हुए हैं।
मनोकामनाएं पूरी होने और गाँव मकटोई के ध्वस्त स्थान पर स्थित होने के कारण आज इस भव्य मन्दिर को भक्तों श्रद्धालुओं की सर्व सम्मति से मुक्तेश्वर महादेव का नाम दिया गया है साथ ही वर्षों से चली आ रही कांवड़ियों के जलाभिषेक की परंपरा ने भी गति पकड़ी है।साथ ही भोलेनाथ की इच्छा अनुसार समय समय पर सत्संग भजन कीर्तन भंडारे का आयोजन भी होता है जिसके एक कण प्रसाद मात्र से मन को अत्यंत तृप्ति का अनुभव होता है।
फिलहाल के भी प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो यहाँ कई बार श्री मद्भभागवत कथा का सप्त दिवसीय आयोजन भी हुआ है होता है जिसमें इस मंदिर के आसपास कई विषैले काले लम्बे बडे़ बडे़ सर्पों को पाया गया वे सर्प कभी कुंडली मार कर क्षण भर बैठते हैं या भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग का चक्कर काट कर‌ ‘ जिसे भक्त अपनी अपनी आस्था विश्वास अनुसार उनके द्वारा भगवान शिव जी की परिक्रमा करने का भी नाम देते हैं परंतु आज तक कभी किसी को इनसे कोई हानि हुई हो ऐसी खबर नही है वे आते हैं अपने आप और चले जाते हैं।
बीहड़ से भव्यता की सीढ़ी पर बैठे भगवान‌ भोलेनाथ को मुक्तेश्वर महादेव नाम भले ही दिया हो लेकिन आज भी वे भक्तों की जिव्हा पर खेरे वाले महादेव के नाम से प्रचलित हैं जाने जाते हैं।प्रकृति की सौंदर्यता को बटोरे खेतों की हरियाली के बीच सुगंधित फूलों की मस्त बयार में विराजमान भोलेनाथ आज पांच गाँव के अलावा करीब दस अन्य गाँवों को भी अपनी भक्ति में डुबो चुका है।अपने परम भक्तों की मनोकामना पूर्ण कर रहे भक्ति आस्था के बीच एक ध्वस्त हुए गाँव की याद दिलाते भव्यता की ओर अग्रसर भोलेनाथ यूँ ही सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी कर जगत का कल्याण करें।श्री मुक्तेश्वर खेरे वाले महादेव को कोटि कोटि प्रणाम।आप सभी की आस्था भी यदि भगवान भोलेनाथ पर है तो एक बार अवश्य दर्शन करें।
हर हर महादेव

संतोष शर्मा ” शान “
हाथरस ( उ. प्र. ‌)

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