दिव्यांशी के पापा परदेश गए थे. घर पर मां अकेली कमाने वाली थी. घर खर्च के अलावा स्कूल में भी पैसे देने की तंगी थी. दिव्यांशी ने पापा को कई चिट्ठियां लिखीं. उसमें से भी कुछ आपको पोस्ट कर रहा हूँ।
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प्यारे पापा, नमस्ते।
सभी बच्चों की वर्दियां बन गई हैं, पर मेरी अभी तक नहीं बनी है। मैडम रोज डांटती हैं। किताबें भी पूरी नहीं खरीदी हैं ,जो खरीदी हैं, उन पर भी मम्मी ने खाकी जिल्द नहीं चढ़ाई है। अखबार की जिल्द लगाने के लिए मैडम मना करती हैं। कोई भी बच्चा अखबार की जिल्द नहीं चढ़ाता।
आप जल्दी घर पर आएं और वर्दी व जिल्द जरूर लाएं। मम्मी ने मुझे जो टीनू की पुरानी वर्दी दी थी, वह अब छोटी हो गई है। कई जगह से घिस भी गई है। मम्मी की आंख में दर्द रहता है।
आप की बेटी दिव्यांशी।
कक्षा-5
प्यारे पापा, नमस्ते.
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मेरे जूते और जुराबें फट गई हैं। मां ने जूते सिल तो दिए थे, मगर उन में अंगूठा फंसता है।ऐसे में दर्द होता है। मैडम कहती हैं कि जूते छोटे पड़ गए हैं, तो नए ले लो. ये सारी उम्र थोड़े ही चलेंगे। मेरे पास ड्राइंग की कलर पैंसिलें नहीं हैं।रोजरोज बच्चों से मांगनी पड़ती हैं।आप घर आते समय हैरी पौटर डब्बे वाली कलर पैंसिलें जरूर लाना।
हमारे स्कूल में फैंसी बैग कंपीटिशन है, पर मेरा तो बैग ही फट गया है।आप एक अच्छा सा बैग भी जरूर ले आना, नहीं तो मैं उस दिन स्कूल नहीं जाऊंगी।
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आप की बेटी दिव्यांशी।
कक्षा-5.
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प्यारे पापा, नमस्ते.
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हमारे स्कूल का एनुअल फंक्शन 15 दिन बाद है। सभी बच्चे कोई न कोई प्रोग्राम दे रहे हैं। मुझे भी देना है, कोई अच्छी सी ड्रैस ले आना। मम्मी के सिर में दर्द रहता है।डाक्टर ने बताया कि चश्मा लगेगा, तभी दर्द ठीक होगा। उन की नजर बहुत कमजोर हो गई है, पापा।
सभी बच्चों ने गरम वर्दियां ले ली हैं।ठंड बढ़ गई है, गर्मी वाली वर्दी रहने दें, अब सर्दी वाली वर्दी ही ले आएं। मम्मी ने इस बार भी अखबार की जिल्द चढ़ाई थी। मैडम ने 10 रुपए जुर्माना कर दिया है। 2 महीने की फीस भी जमा करानी है।आप इस बार पैसे ले कर जरूर आना, नहीं तो मेरा नाम काट दिया जाएगा।
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आप की बेटी दिव्यांशी।
कक्षा-5.
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प्यारे पापा, नमस्ते.
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मैडम ने कहा है कि स्कूल बस का किराया नहीं दे सकते, तो पैदल आया करो।कम से कम फीस तो हर महीने भेज दिया करो, नहीं तो किसी खैराती स्कूल में जा कर धूप सेंको। स्कूल में डाक्टर अंकल ने हमारा चैकअप किया था।मेरे नाखूनों पर सफेदसफेद धब्बे हैं. डाक्टर अंकल ने बताया कि कैल्शियम की कमी है।मम्मी की आंखें ज्यादा खराब हो गई हैं। वे दिनरात अखबार के लिफाफे बनाती रहती हैं। मैडम ने कहा है कि अगर घर पर कोई पढ़ा नहीं सकता, तो ट्यूशन रख लो।
पापा, आप घर वापस क्यों नहीं आते? मुझे आपकी बड़ी याद आती है। मम्मी कहती हैं कि आप रुपए कमाने गए हो, फिर भेजते क्यों नहीं?
.आप की बेटी दिव्यांशी।
कक्षा-5.
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प्यारे पापा, नमस्ते.
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मैं ने ट्यूशन रख ली है, मगर आप पैसे जरूर भेज देना। अगले महीने से इम्तिहान शुरू हो रहे हैं। सारी फीस देनी होगी,आप वर्दी नहीं लाए। मुझे ठंड लगती है,मैडम कहती हैं कि यह लड़की तो ठंड में मर जाएगी, क्या मैं सचमुच मर जाऊंगी, पापा?
पापा, ट्यूशन वाले सर भी रुपए मांग रहे हैं।वे कहते हैं कि जब रुपए नहीं हैं, तो पढ़ क्यों रही हो? किसी के घर जा कर बरतन साफ करो।हां पापा, मुझे ड्राइवर अंकल ने स्कूल बस से नीचे उतार दिया. आजकल पैदल ही स्कूल जा रही हूं।पढ़ने का समय नहीं मिलता। हमारी गाय भी थोड़ा सा दूध दे रही है। मम्मी कहती हैं कि चारा नहीं है।लोगों के खेतों से भी कब तक लाते रहेंगे।
पापा, आप हमारी बात क्यों नहीं सुनते?
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आप की बेटी दिव्यांशी।
कक्षा-5.
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प्यारे पापा, नमस्ते
मेरे सालाना इम्तिहान हो गए हैं। मां ने गाय बेच कर सारी फीस जमा करा दी।😭 ट्यूशन वाले सर के भी रुपए दे दिए हैं। बाकी बचे रुपयों से मां के लिए ऐनक खरीदनी पड़ी।पिछले दिनों आए तूफान व बारिश से घर की छत उखड़ गई है।
पापा, आप खूब सारे रुपए ले कर जल्दी घर आएं, तब तक मेरे इम्तिहान का रिजल्ट भी निकल जाएगा, पापा। क्या आप को हमारी याद ही नहीं आती? हमें तो आप हर पल याद आते हैं।
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आप की बेटी दिव्यांशी।
कक्षा-5.
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प्यारे पापा, नमस्ते
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मेरा रिजल्ट आ गया है।मैं अपनी क्लास में फर्स्ट आई हूं।मुझे बैग, जूते और वर्दी लेनी है, और हां पापा, इस बार मैं पुरानी नहीं, नई किताबें लूंगी. पुरानी किताबों के कई पन्ने फटे होते हैं।
आजकल स्कूल में मेरी छुट्टियां चल रही हैं। सभी बच्चे बाहर घूमने जाते हैं। मैं भी मम्मी के साथ कागज के लिफाफे बनाना सीख रही हूं, ताकि इस बार मुझे स्कूल पैदल न जाना पड़े।
पापा, बारिश में छत से पानी टपकता है।बाकी बातें मैं आप के घर आने पर करूंगी. अब की बार आप घर नहीं आए, तो मैं आप को कभी चिट्ठी नहीं लिखूंगी। तब तक मेरी और आप की कुट्टी।
.आप की बेटी दिव्यांशी।
कक्षा-5.
दिव्यांशी की लिखी इन सभी चिट्ठियों का एक बड़ा सा बंडल बना कर संबंधित डाकघर ने इस टिप्पणी के साथ उसे वापस भेज दिया, ‘प्राप्तकर्ता पिछले साल तीर्थ स्थल पर सड़क दुर्घटना में मारा गया, इसलिए ये सारी चिट्ठियां वापस भेजी जाती हैं.।
दिनेश पाल सिंह दिलकश
चन्दौसी जनपद संभल उत्तर प्रदेश

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