पटना में मिला 500 साल पुराना शिवलिंग-माधुरी

आज मैं सावन मास के इस पावन महीने में आपको अपने पटना जिले की एक महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रही हूं ,शिवलिंग के बारे में।पटना के त्रिपोलिया इलाके में 500 साल पुराना शिव मंदिर मिला है यह मंदिर कूड़े के ढेर के नीचे दबा हुआ था। यह पटना जंक्शन से 7 किलोमीटर दूरी पर स्थित त्रिपोलिया इलाके में है। इसकी खुदाई 2025 के जनवरी माह में किया गया था।जिसे स्थानीय लोग ने खुदाई करके निकला है। मंदिर में एक शिवलिंग भी है। जिसे 500 साल पुराना बताया जा रहा है।

यह मंदिर पटना के वार्ड नंबर 54 में मिला है और स्थानीय लोगों ने ही इसकी शुरुआती खुदाई की थी। मलवा हटाने के बाद मंदिर और शिवलिंग को साफ किया गया और अब पूरे स्थल को साफ कर दिया गया है।यह मंदिर एक अनोखी खोज है। क्योंकि यह एक कूड़े के ढेर के नीचे दबा हुआ था और स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर भगवान शिव का है और यह बहुत ही अद्भुत है कुछ स्थानीय लोगों का कहना है कि यह मंदिर पाटलिपुत्र के समय का ही है।क्योंकि बहुत ही छानबीन जांच पड़ताल व खोज करने के बाद यह पाया गया कि यह शिवलिंग त्रिपोलिया पटना में 500 साल पुराना है।पटना के त्रिपोलिया में 500 साल पुराने शिवलिंग की सच्चाई जानने के लिए पुरातात्विक और ऐतिहासिक अध्ययनों की मदद ली जा रही है।
स्थानीय लोगों से पूछताछ , मंदिर के इतिहास और संरचना का अध्ययन और शिवलिंग की विशेषताओं का विश्लेषण करके सच्चाई सामने आई।
पुरातत्व सर्वेक्षण या अन्य संबंधित संस्थाओं द्वारा पुरातात्विक खुदाई और अध्ययन किया गया है। और आगे भी किया जा रहा है।
इससे मंदिर की संरचना, निर्माण, सामग्री और कालखंड का पता लगाया गया।पटना के अन्य प्राचीन मंदिरों और शिवलिंग से इस शिवलिंग की तुलना करके समानताएं और असमानताएं पहचानी जा सकती है।जिससे कि इसकी ऐतिहासिक और महत्व को और बेहतर ढंग से समझा जा सकता है।यह मंदिर काले ग्रेनाइट पत्थरों से बना हुआ है और यहां शिवलिंग के साथ-साथ पैरों के निशान भी हैं। जो इसे और भी खास बनाते हैं।
इस शिवलिंग के ठीक सामने बगल में एक दो पैरों के निशान बने हुए हैं यह मंदिर जो कथित तौर पर 500 साल पुराना है इसे अब जांच भी लिया गया है। पटना के आलमगंज क्षेत्र के त्रिपोलिया में स्थित है यह मंदिर काले ग्रेनाइट के पत्थरों से बना हुआ है जो प्राचीन है और शिवलिंग के बगल में जो पैरों के निशान है वह इसे सबसे अलग और बहुत ही महत्वपूर्ण और आकर्षक बनाती है तथा विशिष्ट रूप देता है।
मंदिर की खोज के बाद स्थानीय लोगों में भारी उत्साह है और वह नियमित रूप से वहां पूजा पाठ करते हैं। उसे सजा दिया गया है। और वहां प्रतिदिन भक्तों का जमावड़ा लगा हुआ रहता है। यहां प्रतिदिन सुबह शाम शिवजी की आरती भी होती है।
दर्शन करने के लिए बहुत अधिक भीड़ रहती है। लोग यहां दर्शन के लिए लाइन लगाते हैं। बस एक पल महादेव को देखना चाहते हैं।यह मंदिर एक महत्वपूर्ण खोज है जो न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि पटना के इतिहास और संस्कृति के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है। मंदिर परिसर बहुत ही पुराने ईंटों से बना है। जिसे खजूरी ईट भी बोला जाता है। और यह ईट प्राचीन काल का है।
सबसे पहले यहां पर एक दीवार थी, जो अचानक जमीन धसने की वजह से दीवार गिर गई, दीवाल गिरने के बाद ,उस दीवार से कचरे के ढेर में कुछ लोग अंदर गए।तो उन्होंने एक सुरंग सा देखा, और कुछ बना हुआ देखा।जब उन्होंने वहां पर से कचरा हटाया, साफ किया, तो कचरे में उन्हें अंदर का नजारा दिखाई दिया । जो की मंदिर के आकार का था ।फिर एक से दो, दो से चार लोगों आगे आए ,और फिर लोगों ने वहां की सफाई शुरू की।
कचरे के ढेर को हटाना शुरू किया। सारे कचरो को सफाई करने के बाद फिर वहां पर खुदाई का काम शुरू किया गया। फिर खुदाई करने के बाद देखा कि अंदर मंदिर है फिर मंदिर को और क्लीन किया और दूर तक खुदाई किया।तो वहां एक-एक करके, एक के बाद एक और भी मूर्तियां निकल रही है। और प्रशासन का हेल्प लिया गया है जिससे वहां पर और खुदाई करके अच्छे से पूरे मंदिर को निकाला जा सके।जिसके दर्शन मैं स्वयं करके आई हूं। मुझे वहां अद्भुत शांति की भी प्राप्ति हुई है।

मैं चाहूंगी कि आप लोगों को भी जब भी समय मिले, भोलेनाथ जब भी आपको बुलाएं आप यहां पर जरूर आए यहां के दर्शन करें।यहां का मंदिर आलोकिक है और इच्छा पूर्ति मंदिर है।500 साल पुराना शिवलिंग होना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
माधुरी सिंह
पटना बिहार

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