प्‍यार के भूखे बच्‍चे-ज्‍योति सिंह

प्यार के भूखे बच्चे-ज्‍योति सिंह

राधा और किशन एक ही कॉलेज में पढ़ते थे धीरे-धीरे उन दोनों में आपसी प्रेम बढ़ने लगा और दोनों प्रेमसूत्र में बंधने लगे।
एक दिन राधा बोली किशन कब से हम फ्रेंडशिप में रहेंगे अब हमें घर में यह सब बातें बताने होगी ताकि माता-पिता के आशीर्वाद से हम दोनों विवाह के परिणय सूत्र में बंध सके और अपना गृहस्थ जीवन यापन कर सकें ।
किशन बोला तुम बहुत जल्दी परेशान हो जाती हो अभी 1 साल और रुको मेरी नौकरी तो लग जाने दो… अभी अभी तो कॉलेज खत्म हुआ है इतनी भी क्या जल्दी है ?वैसे भी राधा तुम यह क्यों नहीं समझती कि बेरोजगार लड़के से कोई अपनी बेटी का विवाह नहीं करेगा इस बात को अगर तुम समझ गई तो सही होगा।

राधा भावुक होकर अपने घर वापस लौट आयी तभी सुबह उसकी आंखें जब खुलीं नींद से उठी तो देखी की किशन अपने पूरे परिवार के साथ उसके घर के बरामदे में चाय कॉफी पी रहा है और जब राधा पर किशन की नजर पड़ी तो किशन मुस्कुरा रहा है ।राधा बहुत ही व्याकुल हो कर अंदर ही अंदर सोच रही थी कहीं मैं सपने में तो नहीं हूं आखिर यह कैसे हो सकता है अभी कल तो यह हमसे समय मांग रहे थे फिर आज अचानक घर पर कैसे आ गए
वोह!
लगता है यह सपना है
उसने बार-बार अपनी आंखें मली और किशन की ओर देखा तभी राधा की मां ने राधा को आवाज देते हुए कहा अरे- अरे ओ! राधा इधर आओ किचन में मां की आवाज सुनते ही हो सरपटा गई और अपना कदम बढ़ाते हुए किचन में गई मां की ओर राधा ने देखा तो मां बोली अरे मुंह मत देखो जा जल्दी से तैयार हो जा लड़के वाले तुझे देखने आए हैं अच्छे से तैयार होना मैं किचन का काम कर रही हूं राधा को कुछ समझ नहीं आया फिर भी अंदर ही अंदर हो प्रसन्न हो रही थी तैयार होकर जैसे ही किशन के सामने आई बैठी सारे लोग उसे देखते ही बोले राधा जल्दी तू मेरे घर की बहू बन जाएगी राधा किशन की ओर देखी तो किशन बोला ऐसे मत देखो राधा…
राधा बोली कल ही तो आप मना किये तो आज घर कैसे मैं समझ नहीं पा रही हूं तब किशन बोला राधा मेरी नौकरी 6 महीने पहले लग गई थी और हमारे मां-बाप तुम्हारा मां-बाप से बात भी कर लिए थे किंतु आपके पिता को शादी के लिए वक्त चाहिए था तैयारी करने के लिए किंतु कल तुम इतनी उदास मन से घर लौट आई यह बात जब मैं घर पर मां -पापा को बताया तब मां पापा ने कहा सारा खर्च हम करेंगे आप चलो राधा को ज्यादा इंतजार करवाना सही नहीं तब हम लोग अचानक तुम्हारे घर आ गए तुम्हारा हाथ मांगने ………
तभी किशन के पिताजी ने बोला संम्धी जी आज 5 नवंबर है पंडित जी से 15 नवंबर का डेट हम रखवा चुके हैं चिंता मत कीजिए हम लोग आपकी मदद करेंगे और राधा बिटिया को जल्दी लेकर जाएंगे।सभी प्रश्नचित होकर एक दूसरे का मुंह मीठा किया और जल्दी शादी संपन्न हुआ गृहस्थ आश्रम में राधा किशन प्रसन्न मन से आ गए परंतु कुछ साल बीते किशन के ऑफिस का कार्य बोझिल होता जा रहा था वह हरदिन ऑफिस का काम घर बैठकर करने लगा है राधा को समय नहीं दे पता था राधा बीच-बीच में टोकने लगी तो किशन उसे समझाने लगता था फिर धीरे-धीरे राधा भी फोन उठाकर देखने लगी घर के काम खत्म कर फोन में लग जाती थी 2 साल बीते राधा को एक सुंदर बिटिया हुई धीरे-धीरे वह भी 3 साल की हुई जब 5 साल की बिटिया हो गई तो राधा किशन दिनों – रात पहले की तरह मोबाइल लैपटॉप को अत्यधिक समय देने वालों बच्चों पर कम ध्यान देने लगे और एक दूसरे पर भी बिल्कुल ध्यान नहीं देते थे एक दिन की बात है शाम का समय था उसकी बेटी शांत होकर अपने बगीचे फुलवारी में बैठी कुछ तितलियों को देख रही थी तीन तितली एक ही फूल पर बैठकर आपस में प्यार कर रहे थे उनको देख बच्ची के दिमाग में यही आया कि काश यह तीनों तितली हम और मां पापा होते यही सोचते हुए घर में दौड़ी आई बोली- पापा पापा चलो मैं गार्डन में तुम्हें कुछ दिखाती हूं
मां आप भी चलो वहां हम सब खेल रहे हैं तितली बनकर जब राधा कृष्ण गए तो तितली को देखा तभी उसकी 5 वर्षीय बेटी बोली आप दोनों हमें प्यार नहीं करते दिन भर फोन लैपटॉप में घुसे रहते हैं ऐसा क्यों करते हो पापा मैं तितली जैसी सुंदर नहीं हूं क्या ? या फिर मैं तितली की बेटी हो जाऊं।
राधा बच्ची की ऐसी बातें सुनकर मन ही मन गुस्सा कर रही थी और जब अपनी बेटी को रोते हुए देखी तो किशन से झुंझला कर बोल उठी देख लो मेरी बातें तुम्हें आज तक समझ नहीं आई अब बेटी की बात सुनो और सोचो आपकी वजह से हमें तन्हाइयों में फोन की लत लग गई जिससे आपको तो कभी फर्क नहीं पड़ा किंतु मेरी बच्ची को बहुत गहरा फर्क पड़ा है शादी के पहले इतना प्यार जताते थे जब पास आए तो कदर ही नहीं किया ये कह कर राधा रोते हुए घर के अंदर चली गई तभी उसकी बेटी देखते ही देखते बगीचे में धडाम से गिरकर बेहोश हो गई कुछ समय बाद भी जब उसे होश नहीं आया तो उसके परिवार में दादा-दादी, मां-बाप सारे लोग उसे देख परेशान हो गए और हॉस्पिटल लेकर गए अस्पताल ले जाते ही डॉक्टर ने बोला इसे हाट अटैक आया है एक 5 साल के बच्चीं के साथ आप लोग कैसा व्यवहार करते हैं कि इसको हार्ट अटैक आया तभी राधा बोली नहीं मेरे बच्चे को हार्ट अटैक नहीं आ सकता यह तो बहुत छोटी है यह कहकर जोर-जोर से रोने लगी स्वयं को कोसने लगी किशन भी चुपचाप आंखों से आंसू बहाने लगा तब राधा की सास अपने बेटे के सर पर हाथ रख कर बोली बेटा याद कर तू कैसे राधा कुछ कहती तो तू झुंझलाहट से बोल उठता था जब तेरी बच्ची हुई तो तेरे पास प्यार दुलार से जाती थी तो भी उसे दांत के फटकार के भगा देता था और वह सबसे घूम- घूम के कहने लगी मेरे पापा हमसे प्यार नहीं करते इसका गहरा असर उसके हृदय पर पड़ा है नाजुक से हृदय वाली मेरी पोती आज इस फोन और मोबाइल के कारण इस हालत में पहुंची है उसके जिम्मेदार तुम हो काश तुम्हारी नौकरी ना लगी होती और तुम खेती करते क्योंकि नौकरी लगने का मतलब है कि तुम दिनों- रात सोशल मीडिया पर रहते हो ।
मां -बाप ,पत्नी -बाल बच्चों पर ध्यान नहीं देते और स्वयं का दर्द भी नहीं कह पाए इसी कारण आज मोबाइल फोन से रिश्तों में खटास हो रहा है दूरियां बढ़ रही हैं लोग अपनों को खोते जा रहे हैं इसका एहसास जब होता है तब तक बहुत देर हो जाता है।
मां की यह सब बातें सुनकर किशन फुट- फुट के रोने लगा बोला मां मेरी बेटी सही हो जाए मैं पहले परिवार फिर कार्य पर ध्यान दूंगा क्योंकि जब परिवार ही नहीं रहेगा तो कार्य करके क्या फायदा राधा मेरे इस व्यवहार को झेल गयी लेकिन मेरी छोटी बच्ची नहीं झेल पाई इन दोनों का दोषी और मां आपका पिताजी का दोषी मैं ही हूं मैं खुद में इतना खो गया कि मुझे यह नहीं पता लगा मेरे पीछे कोई मेरा प्यार खोजता है कोई मेरा इंतजार करता है कोई मुझे कुछ कहना चाहता है मुझे माफ करना मुझे माफ कर दे मेरी बिटिया अब से तेरा बाप हर कमियों को पूरा करेगा और फोन लैपटॉप को अपने से दूर रखेगा क्योंकि यह हम लोगों के रिश्ते का विनाश है।

ज्योति राघव सिंह
वाराणसी- (उत्तर प्रदेश)
वर्तमान पता-( लेह-लद्दाख)
मोबाइल नंबर- 8736 84 380 7

अपने विचार साझा करें

    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    seema-varnika-ki-kahani-ghar-wapsi

    सीमा वर्णिका की कहानी घर वापसी

    कुछ दिनों से संगीतज्ञ राधारमण जी के पास एक युवती संगीत सीखने आ रही थी। …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म