संस्मरण-सोनू

संस्मरण-सोनू

कमलेश द्विवेदी लेखन प्रतियोगिता -4 संस्‍मरण
साहित्‍य सरोज पेज को लाइक एवं फालो करें, परिणाम व लिंक पेज पर https://www.facebook.com/profile.php?id=1000891281349

गांव की बरसाती डाई नदी पर बने पुल पर लगभग गांव के सभी बच्चों के साथ साथ रंग बिरंगे सुंदर कपड़ो से सुसज्जित स्त्री पुरुषों की चहलकदमी से गोवर्धन पूजा की  दोपहर बहुत मनमोहक हो गई  ।गांव की सारी गायें नदी की रेत पर मनमोहक अप्सराओं से कम प्रतीत नहीं हो रही । आखिर सुंदर लगे भी क्यों नहीं । ग्वाल सफेद , लाल गायों को  दो दिन से लाल और पीले रंग से  हाथ के छापों से सजा रहे थे । हर ग्वाल अपनी गायों को सबसे सुंदर गाय का दर्जा ऐसे लेना चाह रहा है । जैसे मिस काऊ इंडिया कंपीटीशन चल रहा हो । गायों के सींगो पर  चमकली पन्नियां लपेटने से उनकी सुंदरता और बढ़ गई । सभी गायें रैंप पर चलने के लिए तैयार खड़ी  । बच्चे तो बस अपनी ही दुनिया में मशगूल । पटाखे छोड़ने का यह सुनहरा अवसर किसी भी हालत में गंवाना उन्हें मंजूर ना था । पटाखे देखते ही मैं भी अपनी बहन के साथ उस तरफ निर्बाध कदमों से बढ़ गई ।  ”  यह वाला पटाखा कौनसा है ? और यह वाला भी बताओ ना ? क्या यह रॉकेट की तरह ऊपर जाएगा  ? ” मेरे बालमन की जिज्ञासा खत्म नहीं हुई उससे पहले । ” अरे ! दूर हट जाओ । रावण पटाखा छूटने वाला है । ” बच्चों की भीड़ में से एक लड़का चिल्लाता हुआ  । हमारे कदम दूर ही ठिठक से गए । सभी बच्चों की नजर उस पर थी ।
जैसे सच में रावण दहाड़कर उठेगा और नीले गगन में विलीन हो जायेगा । लेकिन रावण पटाखा कुछ देर तक शांत रहा तो , मुझसे रहा नहीं गया । लपककर शांत रावण के मुंह में फूंक मार दी । फिर क्या हुआ पूछो मत । रावण क्रोधित होकर छूट गया ।  नीले गगन के बजाय मेरे मासूम चेहरे पर । मुझे आंखों का बल्ब फ्यूज सा प्रतीत होने लगा । चारो तरफ घना अंधेरा छा गया ।  इधर गाएं दौड़ पड़ी चमड़ा लेकर दौड़ते युवक के पीछे । कहा जाता है कि इतनी गायों में से एक गाय चमड़े वाले युवक के हाथ से चमड़े को मुंह से पकड़ लेती है तो , उस साल अच्छी फसल होती है । ” यह तो अच्छा हुआ कि मेरी छोटी बहन मेरा हाथ पकड़कर घर ले आई । मैं पुल से घर तक का सफर आज भी भूल नहीं सकती हूं । क्योंकि आंखों की रोशनी का महत्व मैं समझ गई थी ।” आंखों से झर झर पानी बहने लगा । घर जाते ही मम्मी को जैसे ही बहन ने सबकुछ बताया । मैंने सोचा अब मार पड़ने वाली है । लेकिन मम्मी खुद रोने लगी । ठंडा सूती कपड़ा मेरी आंखों पर रखा । हमारे इष्ट देव से हाथ जोड़कर मिन्नते करने लगी । मुझे तो आभास होने लगा कि मेरी आंखों की रोशनी मुझसे रूठकर चली गई । लेकिन मां की दुआओं में बहुत ताकत होती है । मेरी आंखों की रोशनी पुन : लौट आई । और सामने मां का खुश चेहरा था ।

सोनू कुमारी टेलर जावला जिला केकड़ी राजस्थान मो० न० 8278647282

अपने विचार साझा करें

    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    अविस्मरणीय यादें -क्रिसलय दुबे

    प्रेरणास्रोत-कुंदन पाटिल

    हम सहकर्मी कुल छः मित्र बाबा अमरनाथ की यात्रा पर गए थे। कहते हैं कि …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म