प्यार और तकरार-पूनम झा

गैस पर चाय चढाकर अमन विचारों में खो गया।हमारी को शादी को पाँच साल हो चुके थे। दोनों एक-दूसरे से बहुत प्यार करते थे, लेकिन छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा हो जाता था। एक दिन, सुबह की चाय पर बहस शुरू हो गई।मैंने कहा, “तुम हमेशा देर से उठती हो, रिया।”
रिया ने नाराज होकर जवाब दिया, “और तुम हमेशा ऑफिस का काम घर पर ले आते हो, उसका क्या?”

वैसे क्या गलत कहा था रिया ने ? सच ही तो कहा था।

हम दोनों ने तय किया कि वे कुछ समय के लिए अलग हो जाएंगे और सोचेंगे कि क्या करना है। मैं अपने दोस्त के घर जाने का फैसला किया और रिया ने अपनी मां के पास जाने का सोचा।

रास्ते में मुझे अपने दोस्त की बात याद आई, “झगड़े तो होते रहते हैं, लेकिन प्यार और समझदारी से ही रिश्ता चलता है।”

उसे एहसास हुआ था कि वह रिया को कितना याद कर रहा है। उसने सोचा, “अगर मैं सही हूं, तो भी रिया को छोड़कर जाने से क्या मिलेगा?”

इधर रिया बिस्तर पर अमन को नहीं देखकर उठकर कमरा से बाहर आयी तो उसने देखा अमन गैस पर कुछ बना रहा है।

वह छिपकर अमन को निहारने लगी साथ ही मन में डुबकी लगाने लगी ‘मैं अपनी मां के पास पहुंचने पर बहुत उदास थी।

मां यह भांपकर उससे पूछा, “क्या हुआ बेटा?”

मैंने सब कुछ बताया।

मां ने समझाया “रिश्ते में प्यार और समझौता दोनों जरूरी हैं। अगर तुम्हें लगता है कि तुमने गलती की है, तो उसे स्वीकार करो और माफी मांग लो।”

उसने तुरंत अमन को फोन किया।
फोन का इंतजार जैसे अमन भी कर रहा था। हमने फोन पर ही एक-दूसरे से माफी मांगी और एक-दूसरे के बिना न रहने की बात कही।

अमन के बांहों की कसावट से रिया की तंद्रा भंग हुई।

अमन “कहाँ खोई हो मेरी जान ? चाय तुम्हारा इंतजार कर रहा है।”

रिया को अमन की बांहों के गिरफ्त में सुकून मिल रहा था।

–पूनम झा ‘प्रथमा’
जयपुर, राजस्थान

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