कहानी
रंजना बालकनी में खड़ी ठंडी हवा के झोंकों से आत्म विभोर हो रही है ,मन अतीत के गलियारों से गुजरने लगा!आज राकेश से शादी किए हुए एक वर्ष बीत गया, रंजना ने राकेश से पुनर्विवाह किया है।राकेश और रंजना एक ही आफिस में कार्यरत थे! रंजना के पति को ब्लड कैंसर था और 1 साल पहले उनकी मृत्यु हो गई थी।रंजना ने अपनी ससुराल में रहने का विकल्प चुना था परंतु बच्चा छोटा होने की वजह से जेठानी के बच्चों से मतभेद होता रहता था! फिर कुछ दिन रंजना अपने मां के घर गईं।
भाभी के बच्चों को लेकर वहां भी उसे समस्याओं का सामना करना पड़ा।“ उसको नौकरी भी करना जरूरी था” और बच्चे की देखभाल भी करनी जरूरी थी! इसी कसमकस से गुजरने की वजह से उसने सोचा था।उसके मन में प्रश्न उठा मैं क्यों ना पुनर्विवाह कर लूं? परंतु घर में किसी से अपने विचार व्यक्त नहीं किया! किसी तरह समय व्यतीत करने लगी तभी राकेश जी से उसकी उनकी और अपनी परेशानियों को लेकर बातें होती रहती थी ।राकेश जी की पत्नी की मृत्यु को 2 वर्ष हो गए थे वह उम्र में भी रंजना से काफी बड़े थे! वह रंजना से यही कहते थे कि तुम्हारी उम्र पड़ी है बच्चा भी छोटा है। “तुमको दूसरी शादी कर लेना चाहिए” परंतु रंजना सोचती थी की एक बच्चे के साथ दूसरे परिवार में सामंजस्य बैठा पाएंगी या नहीं इसी कसम कस में हमेशा चिंतित रहती थी! एक दिन उसने राकेश जी से कहा कि आप अकेले परेशान होते हो बेटी को लेकर।आप अपना दूसरा विवाह क्यों नहीं कर लेते?
राकेश जी बोले अब मेरी इस उम्र में कौन लड़की मुझसे शादी करना चाहेगी जिसकी १३ वर्ष की बेटी हो! हर लड़की की अपनी इच्छाएं होती है महत्वकांक्षायें होती है क्या कोई लड़की मुझसे शादी करना पसंद करेगी।“यह सुनने के बाद रंजना के मन में यह विचार आया था क्यों न मैं इनसे शादी कर लूं “और अपना और अपने बच्चे का जीवन सुरक्षित करूं! परंतु क्या उनकी बेटी मुझे दूसरी मां के रूप में सहन कर पाएगी?अब उसका बेटा 2 वर्ष का पूरा हो गया है। मेरा नौकरी करना भी बहुत जरूरी है अपने बच्चे के भविष्य के और अपने भविष्य के लिए क्या करूं कुछ समझ में नहीं आता।उसी ऑफिस में उसकी सहेली रमा भीजॉब करती थी उसने रंजना से कहा रंजना एक बात कहूं!“तुम पुनर्विवाह क्यों नहीं कर लेती” रंजना से पूछा तुम कहो तो मैं अपने ऑफिस के राकेश जी से बात करूं। पर वह तुमसे उम्र में बहुत बड़े हैं? रंजना ने कहां मुझे कोई आपत्ति नहीं है! इस तरह से रंजना और राकेश जी का विवाह हुआ था।वह अतिथि के गलियारे से गुजरते हुए सोचने लगी कि जो हुआ अच्छा हुआ है।इस समय उसका बेटा 3 वर्ष का पूरा हो गया है ,और राकेश की बेटी अंजली भी 14 वर्ष की हो गई है, अभी तक तो उसे रिश्तो में कोई कटुता नजर नहीं आ रही है। तभी अंजलि चाय का प्याला लेकर आई और रंजना को आवाज दी मां आप भी चाय रंजना की एकदम तंद्रा टूट गई बोली!अरे बेटा आप क्यों लेकर आई आपने क्यों बनाई ?अंजलि बोली मां बेटी को काम करना आना चाहिए रोज तो आप ही बनाती हो।मां भैया उठ गया है और मैं उसको लेने गई थी!पर वह मुझसे गुस्से से बोला आप मेरी दीदी नहीं हो, रंजना ने देखा अंजली की आंखें नम हो गई हैं। और उसका चेहरा मुरझा गया है!कमरे में आई और बेटे को डाँटा आप को दीदी लेने आई थी तो आप उसके साथ क्यों नहीं आऐ?तुम अपनी दीदी से माफी मांगो दीदी तुमको कितना प्यार करती है तुम आजकल कहना नहीं मानते गलत बात है! बेटा अंशु जोर जोर से रोने लगा।रोने की आवाज सुनकर राकेश जी कमरे में आए और बोले यह सुबह सुबह से क्या होने लगा।किस बात में रोना धोना मचा है?रंजना बोली देखिए ना यह आपका बेटा बिगड़ता जा रहा है।“ इसे हमने अगर अभी नहीं संभाला तो हम लोगों के रिश्ते बिगड़ जाएंगे”राकेश जी बोले अरे अभी यह छोटा है बड़ा होगा सब समझ जायेगा! रंजना बोली नहीं नहीं इसे दीदी से अभी माफी माँगनी होगी।तभी अंजलि बोली मां आप चिंता ना करें मैं अपने भैया को खट्टे मीठे रिश्तो में अच्छे से संभाल लूंगी!राकेश बोले रंजना अंजली बहुत समझदार है।
“इसी ने मुझे पुनर्विवाह करने को बाध्य किया” कहने लगी आप पापा दूसरी शादी कर लो एक बेटी को मां की छाया बहुत जरूरी होती है! रंजना ने अंजलि को अपने सीने से लगाकर बोली सच में मेरी बेटी समझ दार है।
समाज में सौतेली माँ के प्रति बच्चों में भ्रांतियां भर दी जाती है! और उनकी सोच दूसरी मां के प्रति नकारात्मक हो जाती है।
ईश्वर का लाख-लाख शुक्र है! कि हमारी अंजलि की सोच बहुत अलग है वह सकारात्मक वातावरण में पली बढ़ी है।अंशु से राकेश जी बोले बेटा आपकी अंजलि दीदी आपको बहुत प्यार करती है! देखो कल बाजार बाजार गई थी और तुम्हारे लिए कार लेकर आई है यह रिमोट से चलती है ।दीदी को आवाज दो वह आपको लाकर देगी! अंशु ने आवाज लगाइए सॉरी दीदी मैं आपकी बात मानूंगा।तभी अंजलि दौड़ती हुई कार लेकर आई बोली लो भैया और उसे गोदी में उठा लिया “अंशु ने भी दीदी को पप्पी दी”पति-पत्नी दोनों यह माजरा देख खुशी के आंसू बहाने लगे।यदि परिवार का माहौल सकारात्मक विचारों से भरा हो तो रिश्ते कभी नहीं टूटते।दोनों पति-पत्नी सोचने लगे कि हमने बच्चों के भविष्य के लिए जो पुनर्विवाह करने का फैसला लिया लगता है सही है।
समय व्यतीत होते देर नहीं लगती आज अंजलि डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है! और अंशु भी दसवीं बोर्ड की परीक्षा देने वाला है।
रंजना ने बड़ी सूझबूझ से बच्चों को अच्छे संस्कार दिए हैं । दोनों भाई-बहन इतना घुल मिलकर रहते हैं की अंशु जब तक दीदी नहीं आ जाती खाना नहीं खाता! माँ कहती है बेटा दीदी डॉक्टरी की पढ़ाई कर रही है उसको कभी-कभी कॉलेज में देर भी हो जाती है आप खाना खा लो।राकेश जी कहने लगे रंजना अब आप अपनी नौकरी छोड़ दीजिए घर में काफी आपको काम करना पड़ता है!अब अंजलि भी आपकीकोई मदद नहीं कर पाती।रंजना बोली मैं हमेशा थोड़ी नौकरी करूंगी जब मेरी बेटी डॉक्टर बन जाएगी तब मैं जरूर अपनी नौकरी छोड़कर घर में आराम करूंगी।दोनों भाई बहन में इतना प्यार है कि अंशु की तो मुझे बिल्कुल चिंता ही नहीं है। दोनों पति-पत्नी ने ईश्वर को शुक्र अदा किया कि हमने जो कदम उठाया वह हमारे भविष्य को चिंता से मुक्त कर रहा है। शाम हो रही है चलो मंदिर में दर्शन करके आते हैं राकेश जी बोले दोनों मंदिर की ओर चल पड़े।।
रचना -शीला श्रीवास्तव
पता” बी 413” सागर लैंडमार्क
अयोध्या बायपास रोड
भोपाल मध्य प्रदेश
पिन कोड 46 20 10
मोबाइल 9318356454

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