विश्व हिंदी दिवस 10 जनवरी के अवसर पर
भारत की आत्मा हिंदी देश के भूभागों में वृहद् स्तर पर बोली जाती है। देश की राजभाषा के रूप में स्थापित हिंदी ने देश के विभिन राज्यों के बीच महत्वपूर्ण सेतु के रूप में कार्य किया है। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान देश के सभी भूभाग के निवासियों को एक साथ लाकर स्वतंत्रता आंदोलन को गति देने में हिंदी की महती भूमिका है। देश की सीमाओं के बाहर वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए प्रतिवर्ष विश्व हिंदी दिवस का आयोजन प्रत्येक वर्ष 10 जनवरी को किया जाता है। भाषायी नदियां हिंदी रूप सागर में समाहित है । कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी एवं असम से लेकर गुजरात तक किसी भाषा का सबसे प्रचलित प्रयोग हिंदी भाषा है। देश के प्राचीन इतिहास से लेकर स्वतंत्रता संग्राम एवं आधुनिक समय तक हिंदी ने देश के कोने-कोने से सभी निवासियों के मध्य सेतु के रूप में कार्य किया है।भारत में व्यापक रूप से प्रचलित हिंदी देश के बाहर नेपाल, सूरीनाम, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो, गुयाना एवं फिजी में बोली जाती है। देश में हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया गया है। प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह के द्वारा प्रतिवर्ष 10 जनवरी 2006 को वैश्विक स्तर पर हिंदी दिवस मनाने की घोषणा होने के पश्चात प्रतिवर्ष 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस के प्रथम सम्मेलन का आयोजन 10-14 जनवरी 1975 में नागपुर में तत्कालीन प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गाँधी जी द्वारा किया गया था।
10 जनवरी 2006 को विश्व हिंदी दिवस के प्रमुख उद्देश्य में वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार प्रसार को बढ़ावा देना , संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी भाषा को आधिकारिक भाषा के रूप मेंQक स्थापित करना , हिंदी के प्रति जागरूकता पैदा करने हेतु कार्य , हिंदी को प्रमुख वैश्विक भाषा के रूप में स्थापित करना , हिंदी की त्रुटियों को दूर करके हिंदी भाषा में सुधार करना ,वैश्विक स्तर पर हिंदी के महत्व को बढ़ाना एवं प्रसार करना है। प्रथम विश्व हिंदी दिवस को वर्ष 2006 में मनाया गया था। इस वर्ष ही तत्कालीन प्रधानमन्त्री डॉ. मनमोहन सिंह जी के द्वारा विश्व हिंदी दिवस को मनाने की घोषणा की गयी थी। हालांकि प्रथम विश्व हिंदी समेल्लन को 14 जनवरी 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था जिसके उपलक्ष में विश्व हिंदी दिवस को वर्ष 2006 से मनाने की शुरुआत हुई है। करोड़ों लोगों के लिए यह रोजगार की भाषा हिंदी है । भारत के अलावा मॉरीशस, फिजी, सूरीनाम, गुयाना, त्रिनिदाद एवं टोबैगो और नेपाल समेत कई अन्य देशों में भी हिंदी का चलन है । हिन्दी भाषा का इतिहास करीब 1,000 साल पुराना माना गया है. सामान्यतः प्राकृत की अन्तिम अपभ्रंश अवस्था से ही हिन्दी साहित्य की शुरुआत मानी जाती है. उस समय अपभ्रंश के कई रूप थे और उनमें सातवीं-आठवीं शताब्दी से ही ‘पद्य’ रचना शुरू हो गई थी. हिन्दी भाषा व साहित्य के जानकार अपभ्रंश की अंतिम अवस्था ‘अवहट्ट’ से हिन्दी का उद्भव स्वीकार करते हैं ।भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू जी की सरकार ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा संसद में की थी ।
राष्ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 को मनाया गया था । प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन नागपुर (महाराष्ट्र) में 10 जनवरी 1975 में आयोजित करने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा 10 जनवरी 206 को विश्व हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की गई थी । हिंदी को 14 सितंबर 1949 को देवनागरी लिपि हिंदी को भारत की राजभाषा तौर पर स्वीकार किया गया था । 26 जनवरी 1950 को संविधान के अनुच्छेद 343 में हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गयी थी ।भाषायी मंथन के बाद हिंदी को भारत सरकार द्वारा राजकीय भाषा का दर्जा के लिए 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में फैसला लिया गया कि हिंदी केंद्र सरकार की आधिकारिक भाषा बनाई गई । संविधान में हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किए जाने का इस रूप में उल्लेख किया गया है- ‘संघ की राष्ट्रभाषा हिंदी और लिपि देवनागरी होगी। संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए प्रयोग होने वाले अंकों का रूप अंतरराष्ट्रीय रूप होगा।’ साहित्यकार व्योहार राजेंद्र सिंह ने दूसरे साहित्यकारों आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, काका कालेलकर, मैथिली शरण गुप्त, सेठ गोविंद दास के साथ मिलकर हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा बनवाने में अथक योगदान दिया। इस संयोग कहेंगे कि राजेंद्र सिंह के जन्मदिन 14 सितंबर को ही संविधान सभा ने हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में स्वीकार किया।
इसे 26 जनवरी 1950 को संविधान में स्वीकार कर लिया गया। 1953 में राजेंद्र सिंह के जन्मदिवस पर 1953 ई. में 14 सितंबर 1953 में प्रथम हिंदी दिवस मनाया गया था । इसके बाद देश में 14 सितंबर को प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई। हिंदी दिवस 14 सितंबर 1949 को हिंदी को सरकार द्वारा राजभाषा के रूप में स्वीकार करने के कारण हिंदी दिवस मनाया जाता है। वैश्विक स्तर पर हिंदी भारत से निकल विश्व के अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपना वर्चस्व स्थापित कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के पहल पर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बहुभाषावाद पर भारत के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए हिन्दी भाषा को अपनी भाषाओं में समाहित कर लिया है। इससे पूर्व यूएन में अरबी, चीनी, अंग्रेजी, रशियन, स्पेनिश और फ्रेंच छह आधिकारिक भाषाएं शामिल थीं। संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी का मान्यता प्राप्त होने के बाद यूएन के समस्त कार्यों और उसके उद्देश्यों की जानकारी हिन्दी में उपलब्धता से हिन्दी के वैश्विक प्रसार को निश्चित रूप से एक नया आयाम मिला है। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में बड़ा दिन ,अच्छा ,बच्चा , सूर्यनमस्कार , योग आदि हिंदी के शब्द शामिल किए गए हैं। विश्व के कंप्यूटर युग में बदलने के बाद हिंदी का प्रचार-प्रसार अत्यधिक तेजी से हुआ। कई तकनीकी विषयों की हिंदी में पढ़ाई ने हिंदी के प्रसार को नया आयाम दिया है। हिंदी के प्रभाव क्षेत्र का यह कारवां अंग्रेजी, स्पेनिश और मंदारिन के बाद हिंदी दुनिया की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। 2019 में 615 मिलियन बोलने वालों के साथ हिंदी विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, फिजी, सूरीनाम, टोबैगो, मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका सहित कई देशों में हिंदी बोली जाती है।
सरलता और सुगमता के कारण हिन्दी की गिनती दुनिया की वैज्ञानिक भाषाओं के रूप में होने लगी है । देशवासियों के बीच पारंपरिक ज्ञान, ऐतिहासिक मूल्यों और आधुनिक प्रगति के बीच सेतु हिंदी है। भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार करने के साथ 11 राज्यों और तीन केन्द्रशासित प्रदेशों में भी राजभाषा का दर्जा दिया गया है। हिंदी हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , पंजाब , गुजरात , असम , बंगाल , दिल्ली, चंडीगढ़ और दादरा और नगर हवेली के केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। देश की पहचान हिंदी सिद्धांतों, मूल्यों और संस्कृति से भी अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है । संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को आधिकारिक मान्यता दिलाने के लिए वर्षों के संघर्ष के बाद साल 2018 में संयुक्त राष्ट्र में ‘हिंदी यूएन’ परियोजना का आगाज हुआ था । भारत सरकार द्वारा संयुक्त राष्ट्र में हिन्दी भाषा के व्यवहार को प्रोत्साहित करने के लिए आठ लाख अमेरिकी डॉलर भी सहयोग के रूप में दिए गए थे। केंद्रीय सरकार के प्रयास से हिन्दी संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा है। हिन्दी को तकनीकी रूप से अधिक सक्षम बनाने के लिए सरकार द्वारा लर्निंग इंडियन लैंग्वेज विद आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (लीला) मोबाइल ऐप को भी लॉन्च किया गया है। हिन्दी के वैश्विक प्रसार के लिए भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा हर साल ‘‘विश्व हिंदी सम्मेलन’’, ‘‘प्रवासी भारतीय दिवस’’ जैसे कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। भारत में मैनेजमेंट और इंजीनियरिंग से लेकर कई प्रोफेशनल कोर्स हिंदी में प्रारम्भ कर दिए गए हैं ।
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