साहित्‍य सरोज साप्‍ताहिक लेखन व चित्र प्रतियोगिता

शर्म आती है? अखंड सिंह गहमरी

पापा आज भी खाने में सब्जी नहीं है।
बेटा आज खा लो, कल जरूर सब्जी बनेगी और साथ में दाल भी।
आप तो रोज कहते हैं पापा, सब्जी बनेगी मगर आज कितने दिन हो गये, दूध भी नहीं मिला।
बेटा आप जाओं पढ़ाई करों कल सब कुछ मिलेगा।
लपलू चुपचाप मुहँ बनाते हुए चला गया, तभी अंदर से मटकनिया अपने हाथ पोछते हुए आई।
कहॉं से कल सब्जी लाओंगें सोमारू, अब तो चावल और आटा भी नहीं है, दो दिन से आधा पेट खिला कर बच्चों को पानी पिला रही हूँ तो आज तक चला है, वह रूऑंसी स्व र में बोल पड़ी।
कही न कही से व्यवस्था तो होगी ही, लाओं मेरा फोन दो, सोमारू ने कहा।
टक टक टक टक हैलों
मैं लाजिक पुरी क्‍वाटर नम्बर 403 से बोल रहा हूँ साहब घर में खाने को राशन नहीं है मदद चाहिए।
ठीक है अपना नाम पता लिखवा दें सुबह ही आपको सहायता दी जायेगी, उधर से आवाज आई।
ये क्या किया आपने ? सहायता के लिए फोन कर दिया लोग जानेगें तो क्या कहेगें ? मटकनियॉं ने सोमारू की तरफ क्रोध से देखते पूछा।
जिसको जो कहना है कहता रहें अब बच्चों की लाचारी हमसे देखी नहीं जाती। पैसे के आभाव में उनकी आनलाइन क्लास पहले ही बंद हो चुकी है अब भूख से मरने नहीं दूँगा।
मटकनियॉं के ऑंख में आसूँ आ गये, वह सोमारू का हाथ पकड़ कर बोली परेशान न हो ये दिन भी कट जायेगा।
रूको मैं खाना लाती हूँ खालो वह खाना लाने चली गई।
एक थाली में तीन रोटी और थोडी चटनी के साथ नमक मिला पानी था, लो खा लो ।
तुमने खाया ?
नहीं मैं खा लूँगी तुम खा लो ।
मैं जानता हूँ अब रोटी नहीं है आओ आधा आधा खाते है।
सुबह तड़के ही दरवाजे की घंटी से नींद खुलती ।सामने देखा तो चार लोग, जिसमें एक पुलिस का अधिकारी लग रहा था, बाकी तीन अन्ये थे। सबके हाथो में राशन था और जो अधिकारी था उसके हाथो में हाथ पते की पुर्जी।
अधिकारी ने रोब दिखाते हुए पूछा ये पता आपका ही है ।
सोमारू जी यह पता मेरा ही है ।
आपने ही मदद के लिए काल किया था ?
जी मैने ही किया था ।
अधिकारी ने अंदर झाकते हुए कहा फोन करने से पहले आपके हाथ नहीं कॉंपे, यह मदद तो गरीबों के लिए है। भगवान की दया से आपका इतना बड़ा मकान है।
जी सर मेरे हाथ नहीं कॉंपे इन मदद के लिए फोन करते समय, आप यह राशन मुझे दें और देते हुए दो फोटो लेकर सोशलमीडिया पर डाल दें, और लिख दें अमीरो ने डाला गरीबो के राशन पर डाका, बड़े घर में रहने वाले मॉंग रहे है सरकारी मदद।
अजी सुनती हो बाहर आओ यह राशन लो सोमारू ने अपनी पत्नी को आवाज देते हुए कहा।
वह बाहर आई और अपनी पति के बगल में खड़ी हो गई।
दीजिए साहब राशन दीजिए हम दोनो पति-पत्नीो सामने है फोटो ले लीजिए।
सामने खड़े लोगो को समझ नहीं आ रहा था कि ये क्याग हो रहा है, पुलिस का वह अधिकारी भी इस वाक्ये को समझ नहीं पा रहा था।
उसने राशन देने के लिए अपने लोगो को ईशारा किया, सबने अपने हाथ मे पकड़ा राशन तो दे दिया परन्तु किसी ने अपने जेब से मोबाइल नहीं निकाला।
पुलिस का वह अधिकारी ने एक गिलासा पानी मॉंगा, सभी अंदर आ गये।
सोमारू ने पानी दिया और बोल पड़ा साहब ये दिवारे ये सजावट भोजन नहीं देते, मेरी होजरी की दुकान है। होल सेल का काम है, शहर के मुख्यस चौराहे पर।
सबकी ऑंखे फटी की फटी रह गई।
तो फिर आपने यह मदद क्यों मॉंगी ?आपको शर्म नहीं आई ? उन चारो में एक बोल पड़ा।
बिल्कुल नहीं आई मुझे मेरे हाथ भी नहीं कॉंपे क्यों कि मेरे ऑंखो के आगे बच्चों का भूख से पीला चेहरा था।
आप तो इनते बड़े आदमी है फिर भी आपके पास पैसे नहीं है सुलगता हुआ एक सवाल उनमे से एक ने फिर उछाला।
साहब पॉंच महीने हो गये दुकान की हालत खराब हुए, पहले तो खुलती नहीं थी, अब खुलती है तो समय निर्धारित है, और ग्राहक भी तब आते है जब बहुत जरूरी हो, आज भूख से मरती जनता 2 कपड़े पर गाड़ी खीच रही है।
पुलिस अधिकारी सही बात है।
और जो आमदनी हो रही है उसमें दुकान का किराया, बैंक का लोन, मकान की किस्‍त, बिजली का बिल, और दुकान पर काम करने वालो कर्मचारीयों का वेतन, इस काल में किस कर्मचारी को भूखों मरने के लिए छोड़े ?
ये लीजिए पानी तभी मटकनियॉं सबके सामने पानी रहती है।
सभी ने अपने अपने गिलास उठा लिये।
आप की बात सही है लेकिन फिर भी आप जैसे लोगो को गरीबो का हक नहीं मारना चाहिए, उन चारो में एक बोल पड़ा।
आपने बिल्कुतल सही कहा हमें प्रतिष्ठाी की आग में बच्चों को झोंक देना चाहिए, घर के सामानों , गहने जेवरो को को गिरवी रख कर,अपने सपनो को तोड़ कर किसी तरह यह ईंट पत्थकर की छत तैयार में बच्चों का कब्र बना देना चाहिए तब हम सही रहेगें।
नहीं ऐसी बात नहीं है पुलिस अधिकारी बोल पड़ा।
क्यों नहीं ऐसी बात है ? सर ईंट पत्थीर का यह मकान देख कर ही तो आप हमारी प्रतिष्ठाो का मुल्याकंन कर रहे हैं, और आप करें भी क्यों नहीं ? हमने ही तो इसे अपनी प्रतिष्ठ बताई है, सोमारू बोला।
साहब हम मध्यवर्गी परिवार का आसमान से गिरे खजूर पर लटके वाला हाल है, उच्च वर्ग किसी तरह परेशान नहीं, और गरीब यानि समाज का अंतिम वर्ग कही बैठ कर शान से खा लेगा, लाइन में लग गरीबी योजना का लाभ ले लेगा। मटकनियॉं ने सुलगती ऑंखो से बोला ।
मम्मीय मम्मी अंदर से आवाज आई मटकनीयॉं अंदर की तरफ भागी
साहब हम तो अपने प्रतिष्ठां पर न लाइन में लग कर राशन ले सकते हैं और न किसी से अपना दु:ख कह सकते हैं क्योंकि हमें लोग अमीर कहते हैं। प्रतिष्ठां बचानी है। पर भूख से तड़पते बच्चें हाथो को सहायता नम्बर डायल करने पर मजबूर कर देते है।
न जाने क्यों उस पुलिस अधिकारी के ऑंखो से ऑंसू बह रहे थे, वह कुछ बोल नहीं पा रहा था, तभी उसके मोबाइल पर घंटी बजी उसने बात किया और उठने लगा।
भाई साहब हम किसी से एक रूपया मॉंगते है तो लोग कहते है क्यों मज़ाक कर रहे है ? आप के पास पैसे की क्या कमी ?और इधर उधर की बाते कर हमारे अतीत को याद दिलात हुए फोन काट देते हैं, जीवन की यह सच्चाेई है, सोमारू बोला ।
माफ करीयेगा मुझे, आप की बातें और हालत हर सभी के हैं मगर कोई किसी से कहे कैसे, वैघा मारे रोवन न दे वाली कहावत हर मध्य,वर्गी परिवार के साथ। आज आपने हमारी ऑंखे खोल दिया, मगर हम आपकी इस राशन पैकेट के अलावा कोई मदद नहीं कर सकते है। पुलिस अधिकारी यह कहते हुए तेजी से दरवाजे की तरफ चल दिया।
दरवाजा खोलते ही वह सन्नक रह गया, पुलिस और पैकेट देख कर आनंद लेने दरवाजे पर खड़े लोगो के ऑंखो में ऑंसू थे, सभी कठपुतलियों की तरह खड़े थे।
सब को बाहर निकलता देख वह रास्ते से हट कर पीछे मुड़ गये।
और अंदर काफी दिनो के बाद कूकर की सीटी दाल बनने की गवाही दी, आज शायद भर भेट भोजन इस अमीरो परिवार को मिलेगा।

अखंड गहमरी 9451647845

अपने विचार साझा करें

    About sahityasaroj1@gmail.com

    Check Also

    मधुमेह को ले गंम्‍भीरता से- धर्मेन्‍द्र सिंह निशा

    मधुमेह को ले गंम्‍भीरता से- धर्मेन्‍द्र सिंह निशा

    कई बार हमें रात में बार-बार प्यास लगती है, जिससे हमारी नींद में भी खलल …

    Leave a Reply

    🩺 अपनी फिटनेस जांचें  |  ✍️ रचना ऑनलाइन भेजें  |  🧔‍♂️ BMI जांच फॉर्म