शिव जिसे पूरा ब्रह्मांड संचालित होता है जो जग के विस्तारक और कल्याण कारक है पृथ्वी ,आकाश, पाताल सभी जगहों स्थानों पर शिव का ही वास मिलता है ऐसे ही हमारे शिव का सावन माह में एक विशेष महत्व माना जाता है उस महत्व को जानना है तो हमें शिव के साकार और निराकार रूप को दर्शाने की आवश्यकता है दोनों ही उनके अस्तित्व के अलग-अलग पहलू है सर्वप्रथम हम निराकार स्वरूप का भेदन करते हैं निराकार स्वरूप जिसे निर्गुण भी कहा जाता है वह है जो किसी विशेष आकार या रूप में बंधा नहीं है यह असीम और अपरिवर्तनीय है।उसके विपरीत साकार रूप स्वरूप जिसे प्रत्यक्ष समक्ष भी कहा जाता है वह है जो एक विशिष्ट रूप जैसे की मूर्ति या चित्र में प्रकट होता है और भक्त उसे अपने प्रेम और भक्ति से पूजते हैं अपने मन में उसी स्वरूप मूर्ति की पूजन कर उन्हें संवारते हैं और हृदय में इस रूप को बसा कर उनके भक्ति में लीन हो जाते हैं।
इसी तरह 12 वर्षीय में श्रावण माह भगवान शिव का बहुत ही प्रिय मास के रूप में जाना जाता है इस महीने में भगवान भोले की पूजा अर्चना का विशेष फल प्राप्त होता है ऐसा मान्यता है कि जो सावन में सोमवार को व्रत करता है उसकी सभी इच्छा पूर्ण होती है सावन में शिवजी पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों पर अपनी कृपा आशीर्वाद बरसाते हैं सावन माह में ही भोले बाबा ने विष का प्याला पिया और देवताओं ने जल डालकर उन्हें शांत और तृप्त किया था इसलिए उन्हें जल बहुत प्रिय है इस माह में जल अर्पित करना शुभ माना जाता है सभी परेशानियां दूर हो जाती है और सुख समृद्धि आती है माता पार्वती जी ने तपस्या कर सावन माह में ही शिव भगवान को पति के रूप में स्वीकार किया था भगवान भोले के लिए मां गौरा ने तपस्या किया और सावन महीने में भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाने के कारण सृष्टि का संचालन हमारे महादेव ही करते हैं इसलिए सावन माह अपने आप में एक विशेष माह के रूप में जाना जाता है।
सावन माह में एक कांवर यात्रा भगवान महादेव को प्रसन्न करने और उनके जल अभिषेक करने के लिए निकाली जाती है यह यात्रा भगवान शिव के प्रति अटूट श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है कुछ कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम ने सबसे पहले कावड़ यात्रा की शुरुआत की थी कांवर यात्रा भक्तों की आस्था समर्पण और मानसिक शारीरिक साधना का प्रतीक है कावड़ यात्रा के कुछ खास नियम कावड़ यात्रा के दौरान भक्तों को कुछ विशेष नियमों का पालन करना होता है जो इस प्रकार से है-नशा बिल्कुल नहीं करें कावड़ को जमीन से स्पर्श न कराये।यह यात्रा संयम आस्था और धार्मिक नियमों के साथ ही की जाती है।
यह रहा सावन में बाबा भोले की महिमा का अनोखा विवरण अब बात करते हैं कि श्रावण महीना में सबसे खास और मनमोहन चीज क्या होती है तो हम पाते हैं कि श्रावण महीना में जिस तरह महिलाएं अपने सुहाग के लिए हरे वस्त्र में ऊपर से नीचे सजकर सुशोभित लगती है ठीक उसी प्रकार पुरुष भगवे रंग में रंग के भगवान भोले के प्रति समर्पित हो जाते हैं और कावड़ यात्रा लेकर बहुत ही आनंद के साथ बाबा भोले को जल चढ़ाने के लिए चल पड़ते हैं यही गहरी आस्था हमारे ईश्वर की अटूट महिमा को दर्शाती है जो सदैव से चली आ रही है और जब तक यह सृष्टि गतिमान रहेगी हमारे ईश्वर की कृपा उनकी महिमा इसी तरह हम भक्तों पर भी बरसाती रहेगी।
ज्योति राघव सिंह
वाराणसी- ( उत्तर प्रदेश)
वर्तमान पता- लेह-लद्दाख
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