सृजन-अनीता

जनवरी 2023

तोपचंद- आप गीत अच्छा लिखती हैं। 
हम- धन्यवाद। 
एक ठो अमुक पर लिखिए ना! 
क्यों? 
अरे बढ़िया लिखती हैं इसलिए कह रहा हूँ? 
क्यों? क्यों लिखूँ? 
कमाल है! मैंने कुछ गलत कह दिया? 
हम रसगुल्ले भी बढ़िया बना लेते हैं। तो क्या आप कह देंगे दो किलो बना लाइये? 
अरे! 
हम सिलाई भी कर लेते हैं तो क्या कह देंगे – दो जोड़ी कुर्ता- पजामा सी कर लाइये? 
ऐसे कैसे कह देंगे? सब में कुछ न कुछ लगता है। ऐसे ही नहीं बन जाता। 
सृजन में भी लगता है… कुछ। जिसमें नहीं लगता वह सृजम, सृजन नहीं होता। 

अनीता श्रीवास्तव टीकमगढ़

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