स्‍वास्‍थ ही सुख का आधार है-ममता सिंह

आज फिटनेस व स्वास्थ का नाम लेते ही सामने से एक आवाज आती है हम तो पूरी तरह फिट है देखीये या हम तो पूरी तरह स्वस्थ है, देखीये। चाहे वह अंदर ही अंदर कितनी भी स्वास्थ समस्याओं से ग्रसित होगा लेकिन कहेगा यही। यह कोई एक आदमी की बात नहीं है यह बात 99 प्रतिशत लोगों में देखी जाती है। इसका मूल कारण होता है एक अंजाना डर। अब आप के मन में सवाल आ रहा होगा कि डर किस बात का तो डर इस बात का कि बातों एक जॉंच में कोई गम्भीर बिमारी का लक्षण न निकल जाये या यह कोई उपाय में खर्चीला उपाय न बता दें। मगर वही जब हम बिस्तर पर पड़ जाते है या असहनीन कष्ट से पीड़ित हो जाते हैं तो न सिर्फ हजारों रूपये डाक्टर को देते हैं बल्कि दिन-रात उसके चक्कर भी लगाते हैं।आज के भौतिक जीवन में खास तौर से 1995 के दशक तक जो मधुमेह, उच्च रक्त चाप, मोटापा, दिल का दौरा पड़ना यदा-कदा ही देखा जाता था आज 20वीं शताब्दी के प्रारंम्भ में ही आम हो गया है। हर तीसरे व्यक्ति को उच्च रक्त चाप, मधुमेह है, अधिक वजन से पीड़ित है। और यही दो-तीन बिमारियॉं सैकड़ो बिमारियों को जन्म देती है, वह हमारे शरीर के पूरे तंत्र को इस प्रकार निष्कृय कर देती है कि हमारा रोग प्रतिरोधक क्षमता ही खत्म हो जाता है।
हमने कभी अपने मन को स्थिर कर दिल दिमाग से सोचा है कि महज बीस साल में ऐसा क्या होगा कि हम तमाम बिमारियों से जूझने लगे, हमारे कार्य करने की क्षमता दिन-प्रतिदिन खत्म होने लगी, हमारे शरीर का वजन बढ़ने लगा और शरीर के ऑंख-कान-दिल की कार्य क्षमता घटने लगी। नहीं हम कभी सोचते ही नहीं, हमारे पास अपने आप को देने के लिए समय ही नहीं है। हम तो इतने व्यस्त हो गये है कि खाना बनाने या खाना बनाने के सामान को जुटाने के डर से बाजार से मोमोज-पिज्जा, चाउमीन-मैगी, ब्रेड-बर्गर पर निर्भर हो गये। जब हम खाने बनाने और जुटाने में समय नहीं रहे हैं तो क्या आप आशा करते है, कि हम अपने स्वास्थ पर, अपनी फिटनेस पर समय दे पायेगें। हम तो अब अपने बच्चे को खिलाने, उसे मॉं-बाप का प्यार देने का समय नहीं दे पा रहे हैं, आधुनिकता और कार्य के दौड़ भाग में हम अपने दुधमुहें बच्चें को मोबाइल पकड़ा कर कार्टून और दादा-दादी की कहानियां दिखा रहे हैं। मैं आपसे पूछती हूॅं कि बताईये दुधमुहे बच्चे की ऑंखो पर, उसके दिल पर उसके शरीर पर इस मोबाइल के स्क्रीन की लाइट और मोबाइल से निकलने वाली किरणों का बच्चे पर कितना बुरा असर पड़ता होगा? और भगवान न करे उसे कुछ गंम्भीर बिमारी हो गई तो हम भगवान को दोष देगें।
वर्तमान में समय में अशु( खान-पान और अनियिमित दिनचर्चा हमारे फिटनेस को पूरी तरह बिगाड़ कर रख दिया है, जिससे हमें सॉंस फूलना, थकान, अनिद्रा, जोड़ो में दर्द, मधुमेह, उच्चरक्त चाप जैसे गंम्भीर बिमारियों का समाना करना पड़ रहा है। इस लिए जरूरत है कि हम अपने जीवन में अपने लिए कुछ समय निकलें, न्यूट्रिशियन पर, योगा पर ध्यान दें। समय समय पर अपनी जॉंच करायें। अपने वजन को नियंत्रित रखें। वजन को नियंत्रित रखने के लिए कभी डायटिंग न करें। डायटिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जो फायदा कम नुकसान बहुत अधिक देती है। आप किसी भी फिटनेस कोच या फिटनेस एडवाइजर से मिल कर आप अपने को फिट कैसे रखें इसकी पूरी जानकारी न सिर्फ प्राप्त करें बल्कि उसके द्वारा बताये गये उपायों को अपनाये, तभी आप अपने जीवन में सुख से रह सकेगें, स्वस्थ रह सकेगें। आपको यह अच्छी तरह समझना होगा कि बिना शरीर के स्वस्थ रहे आप किसी प्रकार का सुख प्राप्त नहीं कर सकते हैं।

ममता सिंह वेलनेस कोच 8004975834
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