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वाह रे डाक्‍टर साहब-कान्ति शुक्‍ला


हमारे परिचित एक परेशान हाल पति अपनी बेहोश पत्नी को लेकर हास्पिटल पहुँचा । गंभीर स्थिति को देखकर उसे इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया और वहाँ मौजूदा चिकित्सक उसकी चिकित्सा करने में जुट गए। एक डाक्टर ने पति से पूछा कि बेहोश होने के पहले आपकी पत्नी ने क्या तकलीफ़ बताई थी। पति बोला -हाँ कह रही थी दिल घबड़ा रहा है और बहुत जोरों से हाथों में जलन हो रही है । डाक्टर चौंका- हाथों में जलन, ये कार्डियक अटैक में हाथों की जलन कौन सा नया ट्रेंड आ गया । उसने अपने सीनियर को बताया। हास्पिटल में अफ़रा-तफ़री मच गई। सारे हार्ट स्पेशलिस्ट यहाँ तक कि हेड आफ दि डिपार्टमेंट भी उस महिला के इर्द-गिर्द जमा हो गए और गहन जांच प्रक्रिया शुरू हो गई परंतु कुछ विशेष समझ में नहीं आ रहा था। डाक्टर चिंतित से विमर्श करने में व्यस्त हो गए कि अटैक में तीव्र दर्द ऐंठन तो स्वाभाविक है पर ऐसी हाथों -हथेलियों में जलन जैसा तो नहीं सुना, यह तो कोई रेयर केस लग रहा । फिर डाक्टर महिला के पति से मुखातिब होकर बोले , अभी आप काउंटर पर फिलहाल एक लाख रुपए जमा कर आइए – इनकी कई जांचें और करनी पड़ेगीं तब शायद कुछ नतीजा हासिल हो , एकदम नयी तरह का केस है ।
तभी महिला ने आँखें मिचमिचाईं डाक्टर सतर्क हो गए और महिला के पूरी तरह से होश में आने की प्रतीक्षा करने लगे । खैर महिला होश में आई तो डाक्टर ने पूछा आपको पहले भी कभी दिल घबड़ाने के साथ हाथों में जलन हुई है क्या। महिला बोली हाँ अक्सर। अब तो डाक्टरों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा। महिला आगे बोली- डाक्टर साहब तबियत ख़राब होने के पहले मैंने हरी मिर्चें काटी थीं जो बहुत तेज रहीं फिर पकौड़े तल रही थी तो मिर्च भरे बेसन में देर तक हाथ रहा इसलिए बहुत जलन हो रही थी अभी तक ठीक नहीं हुई। अब स्तब्ध होने की बारी डाक्टरों की थी जो एक-दूसरे का मुँह ताक रहे थे।

कान्ति शुक्‍ला
प्रधान संपादक
साहित्‍य सरोज

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    One comment

    1. Pradeep Kumar Sharma

      खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
      अंतिम पंक्ति तक सोचता रहा कि क्या हुआ होगा। जय हो। बढ़िया व्यंग्य रचना।
      हार्दिक बधाई आपको एक उत्कृष्ट सृजन की

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