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माइक्रोफाइनेंस सफल जीवन की आसान राह-मनोज

आज के समय में जब बेरोजगार और बेरोजगारी चुनावी शब्‍द बन कर रहे गये हो। इनकी याद शासन-प्रशासन को केवल चुनाव में आती हो। बेरोजगार आर्थिक समस्‍या से, मार्गदर्शन के आभाव में, टीम वर्क की कमी से जूझते हुए जब अपनी जिन्‍दगी से परेशान और हताश हो जाता है। ऐसे में उसे माइक्रोफाइनेंस डूबते को सहारे के रूप में प्रकट होता है।

मनोज कुमार सिंह

माइक्रोफाइनेंस, या लघु वित्त, वित्तीय सेवाओं की वह प्रक्रिया है जिसमें गरीब और निम्न-आय वाले व्यक्तियों को छोटे-छोटे ऋण, बचत खाते, बीमा, और अन्य वित्तीय सेवाएं प्रदान की जाती हैं। इसका मुख्य उद्देश्य उन लोगों को वित्तीय समर्थन प्रदान करना है जो पारंपरिक बैंकिंग प्रणाली से बाहर हैं और जिन्हें आमतौर पर बैंकों द्वारा ऋण प्राप्त करना मुश्किल होता है। इक्रोफाइनेंस की भूमिका सामाजिक, आर्थिक और वित्तीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहाँ माइक्रोफाइनेंस की भूमिका को विभिन्न पहलुओं से समझाया गया है। माइक्रोफाइनेंस छोटे उद्यमों और स्वरोजगार को प्रोत्साहित करता है, जिससे आर्थिक विकास में योगदान होता है। जब लोग छोटे-छोटे ऋण प्राप्त करते हैं, तो वे छोटे व्यवसाय शुरू कर सकते हैं या अपने मौजूदा व्यवसाय का विस्तार कर सकते हैं। इससे न केवल उनकी आय में वृद्धि होती है बल्कि रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होते हैं, जिससे गरीबी कम करने में मदद मिलती है।गरीबी उन्मूलन में माइक्रोफाइनेंस की भूमिका महत्वपूर्ण है। यह उन लोगों को वित्तीय संसाधन प्रदान करता है जो पारंपरिक बैंकिंग सेवाओं का उपयोग नहीं कर सकते। छोटे-छोटे ऋण, जिन्हें माइक्रोक्रेडिट कहा जाता है, गरीब परिवारों को अपनी आय बढ़ाने, अपने जीवन स्तर को सुधारने और अपने बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च करने की क्षमता प्रदान करते हैं।

माइक्रोफाइनेंस विशेष रूप से महिलाओं के सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता और व्यवसायिक अवसर प्रदान करके, माइक्रोफाइनेंस उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाता है। यह देखा गया है कि जब महिलाएं वित्तीय निर्णयों में शामिल होती हैं, तो वे परिवार और समुदाय के कल्याण के लिए बेहतर निर्णय लेती हैं।माइक्रोफाइनेंस सामाजिक न्याय और समावेशन को बढ़ावा देता है। यह उन लोगों को वित्तीय सेवाएं प्रदान करता है जो समाज के हाशिए पर हैं और जिनके पास पारंपरिक वित्तीय संस्थानों तक पहुंच नहीं है। इससे आर्थिक असमानता को कम करने में मदद मिलती है और समाज में अधिक समावेशी विकास को प्रोत्साहन मिलता है।माइक्रोफाइनेंस द्वारा प्रदान किए गए संसाधन गरीब परिवारों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और शिक्षा का लाभ उठाने में सक्षम बनाते हैं। जब परिवारों को वित्तीय स्थिरता मिलती है, तो वे स्वास्थ्य सेवाओं पर अधिक खर्च कर सकते हैं, जिससे उनकी संपूर्ण जीवन गुणवत्ता में सुधार होता है। इसी तरह, माता-पिता अपनी आय का एक हिस्सा बच्चों की शिक्षा पर खर्च कर सकते हैं, जिससे अगली पीढ़ी को बेहतर अवसर मिलते हैं।माइक्रोफाइनेंस के माध्यम से स्थानीय समुदायों में निवेश बढ़ता है, जिससे सामुदायिक विकास को प्रोत्साहन मिलता है। स्थानीय व्यवसायों को समर्थन मिलना, व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि और आर्थिक संबल प्रदान करना, ये सभी कारक समुदायों को अधिक समृद्ध और स्वावलंबी बनाते हैं।

माइक्रोफाइनेंस संस्थान अपने ग्राहकों को वित्तीय शिक्षा और जागरूकता भी प्रदान करते हैं। यह ग्राहकों को वित्तीय निर्णय लेने में मदद करता है और उन्हें अपने आर्थिक संसाधनों का प्रबंधन करने की समझ विकसित करता है। वित्तीय शिक्षा से न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामूहिक वित्तीय सुरक्षा में भी सुधार होता है।माइक्रोफाइनेंस संस्थान तेजी से नई तकनीकों और डिजिटल साधनों का उपयोग कर रहे हैं ताकि अपनी सेवाओं को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचा सकें। मोबाइल बैंकिंग, डिजिटल भुगतान और ऑनलाइन ऋण आवेदन जैसी तकनीकें वित्तीय सेवाओं को सुलभ और सस्ता बनाती हैं, जिससे गरीब और ग्रामीण क्षेत्रों में वित्तीय समावेशन बढ़ता है।माइक्रोफाइनेंस वित्तीय संस्थानों के लिए नवाचार का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। ये संस्थान लगातार नए उत्पाद और सेवाएं विकसित कर रहे हैं ताकि गरीबों की विशेष आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके। इन नवाचारों में कृषि ऋण, लघु व्यवसाय ऋण, और आपातकालीन ऋण शामिल हैं, जो वित्तीय सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करते हैं।

कुछ माइक्रोफाइनेंस संस्थान पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम भी चलाते हैं। ये संस्थान पर्यावरण के अनुकूल परियोजनाओं के लिए ऋण प्रदान करते हैं, जैसे सौर ऊर्जा, जल संरक्षण, और जैविक खेती। इससे पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ आर्थिक विकास भी होता है।माइक्रोफाइनेंस की भूमिका बहुआयामी है और यह न केवल व्यक्तिगत और पारिवारिक स्तर पर बल्कि सामुदायिक और राष्ट्रीय स्तर पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव डालती है। यह वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करता है, गरीबी उन्मूलन में सहायता करता है, महिलाओं को सशक्त बनाता है और समग्र आर्थिक विकास में योगदान देता है।माइक्रोफाइनेंस का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि यह पारंपरिक वित्तीय प्रणालियों की सीमाओं को पार करते हुए समाज के उन वर्गों तक पहुंचता है, जो अन्यथा वित्तीय सेवाओं से वंचित रह जाते। इस प्रकार, माइक्रोफाइनेंस एक शक्तिशाली उपकरण है जो न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक परिवर्तन भी ला सकता है, और इसे प्रभावी रूप से लागू करने से समाज में समग्र समृद्धि और स्थिरता लाई जा सकती है।

मनोज कुमार सिंह
गहमर,गाजीपुर, उत्‍तर प्रदेश 6204 755 404
‘*लेखक एक माइक्रो फाइनेंस कम्‍पनी में उच्‍च पद पर तैनात हैं और 20 सालो का इस क्षेत्र में अनुभव रखते हैं।

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