प्रियतम
सब कुछ सकुशल है सिवाय मेरे हाल-ए-दिल के। पत्र तो बहुत लिखे तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे नाम से लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं हुई की पोस्ट कर सकूं। तुम्हारा नाम लेते ही कितनी यादें में महक उठती है। सोचती हूं ये भी लिखूं वो भी लिखूं और जब लिखने बैठी हूं तो दिल की सारी बेचैनी उतार देती हूं। पता है पूरा लेटर पैड भर जाता है और आहिस्ते-आहिस्ते एक-एक अक्षर को स्पर्श करती हूं तो तुम्हारा हाथ उंगलियां सब हाथों में महसूस होता है। काश उस दिन कह देती जब तुमने पूछा था कि यह शायरी गजल गीत किसके लिए लिखती हो। तुम्हे गले लगाकर काश कह सकती की-“तुम कितने बुद्धू हो जो समझ ना सके कि इन शायरी गीत गजल में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा जिक्र है” और तुम्हें खुद से दूर जाने से उसी दिन रोक लेती। कितना कुछ कहने को है तुमसे। मैं सुनना चाहती हूं प्रेम की हर वो कविता जो मैंने सिर्फ तुम्हारे लिए लिखी है। मैं खुद को तुम्हारा नाम समर्पित करना चाहती हूं और कहना चाहती हूं कि हां मुझे भी इश्क है तुमसे। बस एक बार आकर इन नाम आंखों में देखो कितना प्रेम है तुम्हारे लिए। आकर मेरे गले को स्पर्श करो और महसूस करो वो जो मैं चाह कर भी तुमसे कभी कह नहीं पाई। हां मैं चाहती हूं कि मैं चीख चीखकर कह सकूं कि मुझे भी इश्क है तुमसे। खैर सब छोड़ो बस इतना बताओ क्या उस अजनबी शहर में कभी मेरी याद नहीं आती। आती है तो लौट आओ ना। यह आंखें तरस गई है तुम्हें देखने के लिए। रोज बस छलक जाती है तुम्हारे प्यार में।
तुम्हारी प्रेयसी
सब कुछ सकुशल है सिवाय मेरे हाल-ए-दिल के। पत्र तो बहुत लिखे तुम्हारे जाने के बाद तुम्हारे नाम से लेकिन कभी हिम्मत ही नहीं हुई की पोस्ट कर सकूं। तुम्हारा नाम लेते ही कितनी यादें में महक उठती है। सोचती हूं ये भी लिखूं वो भी लिखूं और जब लिखने बैठी हूं तो दिल की सारी बेचैनी उतार देती हूं। पता है पूरा लेटर पैड भर जाता है और आहिस्ते-आहिस्ते एक-एक अक्षर को स्पर्श करती हूं तो तुम्हारा हाथ उंगलियां सब हाथों में महसूस होता है। काश उस दिन कह देती जब तुमने पूछा था कि यह शायरी गजल गीत किसके लिए लिखती हो। तुम्हे गले लगाकर काश कह सकती की-“तुम कितने बुद्धू हो जो समझ ना सके कि इन शायरी गीत गजल में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा जिक्र है” और तुम्हें खुद से दूर जाने से उसी दिन रोक लेती। कितना कुछ कहने को है तुमसे। मैं सुनना चाहती हूं प्रेम की हर वो कविता जो मैंने सिर्फ तुम्हारे लिए लिखी है। मैं खुद को तुम्हारा नाम समर्पित करना चाहती हूं और कहना चाहती हूं कि हां मुझे भी इश्क है तुमसे। बस एक बार आकर इन नाम आंखों में देखो कितना प्रेम है तुम्हारे लिए। आकर मेरे गले को स्पर्श करो और महसूस करो वो जो मैं चाह कर भी तुमसे कभी कह नहीं पाई। हां मैं चाहती हूं कि मैं चीख चीखकर कह सकूं कि मुझे भी इश्क है तुमसे। खैर सब छोड़ो बस इतना बताओ क्या उस अजनबी शहर में कभी मेरी याद नहीं आती। आती है तो लौट आओ ना। यह आंखें तरस गई है तुम्हें देखने के लिए। रोज बस छलक जाती है तुम्हारे प्यार में।
तुम्हारी प्रेयसी
पता- 116/666 केशव नगर रावतपुर गांव कानपुर
दूरभाष संख्या 8318611805