साप्ताहिक कहानी आयोजन 01
लक्ष्मी दीदी बहुत ही धर्म परायण, कर्तव्य निष्ठ, सबकी मदद करने वाली, घर में सब उसको बहुत चाहते थे l ससुर जी की भी लाडली थी l हमेशा खुश रहने वाली lएक जनवरी शाम सात बजे अचानक मुझे उनके बेटे का फोन आया मासी घर आओ तुरंत ,मैं कुछ पूछती इसके पहले फोन काट दिया l घर ज्यादा दूर नहीं था मैं पहुंच गई तुरंत l घर पहुंचते ही देखा दीदी का रोना अनवरत जारी था l ढाढस बंधाने के बाद भी समझ नहीं रहे थे l कभी सिसकियां, कभी दहाड़ मार के रोना, कभी भगवान को मदद के लिए चिल्लाना, अपने आंसू रोक ही नहीं पा रहे थे l
लाख चुप कराने के बाद भी बस बोले ही जा रहे थे, तेरे जीजाजी को बहुत दर्द हो रहा होगा, उनको ठंड बर्दाश्त नहीं होता बहुत ठंड लग रहा होगा l कोई तो जाकर उनको गर्म कंबल ओढ़ा दो l वो अपने जज्बात सम्भाल नहीं पा रहे थे और अपने आपको समझा नहीं पा रहे थे, उनको यकीन ही नहीं हो रहा था कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं रहे, उन्होंने शरीर छोड़ दिया है l
दीवाल पर टँगे घड़ी को मैंने देखा लगभग एक बजे थे l पूरे मोहल्ले में सन्नाटा पसरा हुआ था, उस शांति में दीदी की चीखें अपना दर्द बयान कर रहे थे l वो याद करके रोये जा रही थी और बोलने लगी मैं सुहागरात के दिन भी तेरे जीजाजी का इंतजार कर रही थी, कमरे में आते ही उन्होंने मेरा हाथ थाम लिया, कसम खाई थी जीवन भर साथ निभाने की l पायल की छनक, चूडियों की खनक, गजरे की महक, वो खूबसूरत सपने, कब रात बीत गई पता ही नहीं चला l पर उन्होंने सारे वादे तोड़ दिये, बीच मजधार में मुझे छोड़ दिये l वो रात प्यार का था, ये रात जुदाई का है l उनके प्यार में खनकती ये चूड़ियां अब उतर जायेगी, उनके इंतजार में छनकते घुंघरू अब बिखर जायेंगे l इतने दगाबाज वो कैसे हो गये l अब ये जीवन कैसे कटेगा, आपके बिना कैसे रहूंगी ये तो बता जाते, थोड़ा दुनियादारी मुझे भी सिखा जाते l
वो रात इतना हृदय विदारक, इतना लंबा लग रहा था l ऐसे लग रहा था कि कब सुबह हो और दीदी को उनके प्रियतम के अंतिम दर्शन हो l
पहली जनवरी का दिन, जब पूरा शहर कैलेंडर नववर्ष का जश्न मना रहा था तब ये घर गम में डूबा हुआ था l नववर्ष की शाम जीजाजी मोटर साइकिल में शाम को जगदलपुर से वापिस आ रहे थे, वो अपने साइड पर ही थे, विपरीत साइड से आ रहे बोलेरो ने उनको टक्कर मार दिया और दुर्घटना के बाद बोलेरो चालक फरार हो गया l थोड़ी देर बाद दुर्घटना स्थल पर ही उन्होंने अंतिम सांस ली और इस दुनिया को अलविदा कह दिया lदुर्घटना के बाद उनके शरीर को मर्चुरी में रखा गया था l इस घटना में लापरवाही किसी की भी हो पर एक घर संसार उजड़ गया, किसी के सपनों का दुखद अंत हो गया l
दीपमाला
कोंडागांव, cg
9753024524