रवींद्रनाथ टैगोर, जिन्हें स्नेह और सम्मान से गुरुदेव कहा जाता है, एक नोबेल पुरस्कार विजेता कवि, दार्शनिक और साहित्यकार के रूप में सबसे ज़्यादा जाने जाते हैं। लेकिन कम लोग जानते हैं कि उन्होंने अपने जीवन के आखिरी वर्षों में चित्रकला की दुनिया में भी एक अनोखा और गहरा योगदान दिया। उन्होंने पेंटिंग की शुरुआत काफी देर से की, फिर …
Read More »धैर्य और समर्पण की शिक्षा-डॉ. ऋषिका वर्मा
राजस्थान के एक छोटे से गाँव में एक बुज़ुर्ग कुम्हार रहता था, जिसका नाम रामू था। वह मिट्टी के बर्तन बनाता, उन्हें बाज़ार में बेचता और सादा जीवन जीता। गाँव के बच्चे अक्सर उसके पास बैठते, उसकी कहानियाँ सुनते और उसे काम करते देखते। रामू काका के चेहरे पर सदा एक मधुर मुस्कान रहती थी, और उसकी आँखों में ऐसा …
Read More »गजगमिनियाँ का पर्यावरण दिवस-अखंड गहमरी
कलेजे में बहुत दर्द हो रहा है। बस आप यूँ समझ लें कि दर्द के मारे मेरी हालत वही है जो आपकी तब होती है जब आप अपनी घराणी से छुपकर अपनी बहराणी यानी बाहर वाली से मिलने जाते हैं। वही हालत आज मेरी इस दर्द की है। और देखिए न आपको बता भी नहीं सकता कि यह दर्द क्यों …
Read More »प्यार के भूखे बच्चे-ज्योति सिंह
राधा और किशन एक ही कॉलेज में पढ़ते थे धीरे-धीरे उन दोनों में आपसी प्रेम बढ़ने लगा और दोनों प्रेमसूत्र में बंधने लगे।एक दिन राधा बोली किशन कब से हम फ्रेंडशिप में रहेंगे अब हमें घर में यह सब बातें बताने होगी ताकि माता-पिता के आशीर्वाद से हम दोनों विवाह के परिणय सूत्र में बंध सके और अपना गृहस्थ जीवन …
Read More »मैं हूँ फिट पाया ईनाम
फिटनेस कोच
ममता सिंह धमेन्द्र सिंहFITNESS का अर्थ – एक प्रेरणास्पद व्याख्या 🌟 F – Focus:सेहत की ओर ध्यान देना पहला कदम है। जब लक्ष्य साफ़ हो, तो राह भी साफ़ दिखती है। I – Intensity:हर प्रयास में जोश और ऊर्जा होनी चाहिए। बिना जुनून के कोई भी बदलाव संभव नहीं। T – Training:नियमित अभ्यास ही शरीर और आत्मा को निखारता है। …
Read More »शिक्षामित्रों के नेता शिक्षामित्रों के हितैसी या दुश्मन
संपादकीय: शिक्षामित्रों के नेता – शिक्षामित्रों के हितैषी या दुश्मन? उत्तर प्रदेश में शिक्षामित्र योजना की शुरुआत 1999 में हुई थी, जब राज्य सरकार ने प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए 11 महीने की संविदा पर बारहवीं पास युवाओं की नियुक्ति का आदेश जारी किया। उसके बाद से लेकर 25 जुलाई 2017 तक शिक्षामित्रों ने …
Read More »फर्जी गंगापुत्र और रोती मॉं गंगा
संपादकीय: फर्जी गंगापुत्र और रोती मॉं गंगा संपादकीय: स्वंय घोषित गंगापुत्र और रोती मॉं गंगा महाकुंभ 2025 में एक बार फिर गंगा की पीठ पर पाखंड का बोझ लादा गया। करोड़ों रुपये की फंडिंग, बड़ी-बड़ी योजनाएं, दिखावटी पोस्टर, झूठे आँकड़े और खोखली घोषणाएं – लेकिन जब श्रद्धालु गंगा तट पर पहुंचे, तो वहाँ सिर्फ बदबू, कीचड़, प्लास्टिक और सीवेज का …
Read More »गन्नू बाबू का जलवा-गन्नू ग्लोबल हो गये।
संपादकीय: गन्नू बाबू का जलवा-गन्नू ग्लोबल हो गये संपादकीय: गन्नू बाबू का जलवा-गन्नू ग्लोबल हो गये गन्नू बाबू अब बड़े हो गए हैं! पूरे तीन साल के! मोहल्ले में अब उनका जलवा है। अरे भइया, अब वो कोई आम बालक थोड़े हैं, अब तो वो अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने जाने लगे हैं! मतलब, अब वो ‘ए फॉर एप्पल, बी फॉर …
Read More »मैं कविता थी, मुझे जोकर बना दिया
संपादकीय: कविता का हाल और हमारी ज़िम्मेदारी संपादकीय: कविता का हाल और हमारी ज़िम्मेदारी आजकल जैसे ही कोई घटना होती है, हमारे कवि और लेखक तुरंत सक्रिय हो जाते हैं, जैसे उनके भीतर छिपा कोई रिपोर्टर फुल स्पीड में ऑन ड्यूटी आ गया हो। संवेदना, शोध, भावना और मौलिक सोच को किनारे रखकर वह किसी घटना को समझते हैं कि …
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