राजस्थान के सुदूर उत्तर में अवस्थित श्री गंगानगर शहर से 10 किलोमीटर आगे स्थित एक गांव सहारणवाली जिसे जब 8 ए छोटी भी कहा जाता है, यहां एक निजी कारखाने में भगवान भोलेनाथ महादेव का मंदिर है ।यद्यपि इसका कोई पौराणिक इतिहास नहीं है और यह एक नवीनतम मंदिर है परंतु,श्रद्धा ,आस्था और प्रेम और मनोकामना पूर्ति के चलते भक्त इसे शिव के सिद्ध स्थान के रूप में देखते हैं। इस मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक बड़ी दिलचस्प कथा है
कारखाने के मालिक बचपन से ही शिव के दास रहे हैं।वे स्वयं को शिव का दास कहते हैं क्योंकि उनका कहना है कि भक्ति बगैर भगवत कृपा के नहीं आती परंतु इच्छा से दास तो बना जा ही सकता है। अपनी हर सुबह भोलेनाथ पर जल चढ़ाने से शुरू करके अपना पूरा दिन उन्हें समर्पित करके सोने वाले इस व्यक्ति की आस्था को इनके इर्द गिर्द रहने वाला व्यक्ति ही जान सकता है।
वर्ष 2018-19 में जब इस कारखाने का निर्माण शुरू हुआ तब कई लोगों ने उन्हें यहां पर पीर को जगह देने की बात कही।
ऐसी मान्यता है कि किसी भी कारखाने का निर्माण पीर की मजार बगैर सफल नहीं होता। तब उन्होंने कहा,” कि हम तो सनातनी हैं और हमारे पास अपने स्वयं के देवी_ देवता आशीष देने के लिए हैं।” उनकी पत्नी की इच्छा थी क्योंकि यह हमारी रोजी-रोटी का साधन बनने जा रहा है तो यहां पर देवी अन्नपूर्णा का छोटा सा मंदिर स्थापित किया जाए। सेठ जी हंसकर कहने लगे कि माता बिना भगवान शंकर के कैसे रहेगी और मजाक की बात वही आई गई हो गई।दंपति की इच्छा अनुसार निर्माण कार्य में लगे राजमिस्त्री को मंदिर की जगह बनाने का निर्देश दिया गया। जिस दिन मंदिर की नींव रखी जानी थी उस दिन किसी कारणवश सेठ जी को स्वयं शहर से बाहर जाना पड़ा और वे अपने बुजुर्ग पिता को इस निर्माण की देख रेख का जिम्मा देकर 2 दिन के लिए शहर से बाहर चले गए। पिता जो कि स्वयं विपश्यना साधना से जुड़े थे उन्होंने सोचा कि यदि इस कमरे को थोड़ा बड़ा ही बना दिया जाए तो क्या हर्ज है ।हम इसमें 8-10 आदमी बैठकर ध्यान लगा सकते हैं तो उन्होंने मिस्त्री को निर्देश दिया कि इस कमरे का साइज थोडा बढ़ा दिया जाए। 2 दिन बाद जब सेठ जी वापस पहुंचे तो इतना बड़ा कमरा देखकर वह हैरान रह गए अपने पिता से पूछा तो उन्होंने अपनी इच्छा से इसका साइज बड़ा करना बताया।
कारखाने का निर्माण पूरा हुआ परंतु अभी इसमें कुछ लिफ्ट लगाना बाकी था जिसका ठेका उज्जैन की एक निजी कंपनी को दिया गया था कंपनी के इंजीनियर्स द्वारा ही इसे फिट किया जाना था। लिफ्ट का सामान 12 बंडल में पैक होकर मार्च 2020 में श्रीगंगानगर पहुंचा तब तक कोरोना भारत में अपने पैर पसार चुका था। प्रधानमंत्री जी के निर्देश पर संपूर्ण भारत में लॉकडाउन लगा दिया गया। जिन इंजीनियर को यहां पहुंचना था वह अब किसी भी तरह नहीं पहुंच सकते थे अतः वह सामान महीना तक उन्हें बंडलों में बंद वहीं पड़ा रहा। जुलाई में जब सावन मास आया तब सभी मंदिर लॉकडाउन की वजह से बंद थे। सेठ जी पूरे सावन महीने प्रतिदिन रुद्राभिषेक करते थे परंतु इस बार परेशान थे कि सब मंदिर बंद है क्या किया जाए? उन्होंने कहा किसी चल शिवलिंग की व्यवस्था करते हैं पुरोहित जी आपका भी कार्य हो जाएगा और मेरा भी। स्थान पूछने पर उन्होंने कहा कि कारखाने में मंदिर के लिए एक नया कमरा तैयार हुआ है जो खाली पड़ा है वही कर लेते हैं। पूरे श्रावण मास उस कक्ष में अभिषेक चलता रहा और जब सावन माह समाप्त हुआ उसके अगले ही दिन लाकडाऊन खत्म होने की सुगबुगाहट होने लगी। सेठ जी ने कंपनी के इंजीनियर्स को निर्देश दिया कि वे तुरंत पहुंचकर लिफ्ट का कार्य शुरू करें।
जब भी यहां पहुंचे तो उन्होंने पार्सलों की गिनती में एक पार्सल अपना ना होना बताया। तब उसे देखने के निर्देश पर उठाने की कोशिश की गई लेकिन वह काफी भारी था नहीं उठाया जा सका तो उसे वहीं पर खोलने का निर्देश दिया गया। उसे खोलने पर उसमें से 21 इंच लंबा काफी वजनी नर्मदेश्वर शिवलिंग प्रकट हुआ। सब हैरान रह गए सेठ जी ने पीछे ट्रांसपोर्ट कंपनी से पता किया की तो ट्रांसपोर्ट कंपनी द्वारा इस मामले में उनका पार्सल सुरक्षित होना बताया गया साथ ही है भी बताया कि इस शिवलिंग की स्थापना सावन के महीने में लेह लद्दाख में की जानी थी और यह पता नहीं गलती से कैसे वहां गंगानगर पहुंच गया इसे बहुत ढूंढा गया परंतु यह नहीं मिला। तब सेठ जी ने उन्हें पीछे पता करने का निर्देश दिया और कहा कि भी अपना शिवलिंग ले जा सकते हैं मंदिर स्थापना समिति से पूछने पर उन्होंने कहा कि वह अब एक नए शिवलिंग की स्थापना कर चुके हैं यह आपके पास अपनी इच्छा से गया है इसे आप ही रखिए। सेठ जी ने देखा कैसे भोलेनाथ ने अपने आप अपने लिए अपनी जगह तैयार करवा ली और पुरोहितों से मुहूर्त पूछ कर उन्होंने 5 दिसंबर 2020 को वही इस कारखाने के परिसर में बकेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना की। जहां पर आने जाने की सभी को अनुमति दी। आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग उसे मंदिर में पूजा के लिए आने लगे जहां पर एक ही बार मांगने पर कई लोगों की इच्छा पूर्ति भगवान शंकर की कृपा से होने लगी। इसकी खबर धीरे-धीरे शहर और फिर दूर दराज के इलाकों में भी फैली। तो दूर से भी लोग यहां आने लगे । कारखाने के चारों तरफ कीनू और संतरे के बाग है इसका वातावरण अत्यंत सुरम में लगता है । कमरे के बाद काफी परिसर मंदिर के लिए सुरक्षित कर दिया गया ।परंतु आज भी इस मंदिर में किसी से सहयोग नहीं लिया जाता है प्रतिदिन आने जाने वाले को प्रसाद की व्यवस्था भोलेनाथ जी की तरफ से उपलब्ध रहती है ,किसी के चढ़ावे का ₹1 भी इस मंदिर के निर्माण या अन्य कार्य में उपयोग नहीं लिया जाता। यह मंदिर पूरा सावन आने वाले भक्तों को अपनी तरफ से रुद्राभिषेक करने की सुविधा प्रदान करता है बिना किसी खर्च के ताकि धन के अभाव में कोई पूजा से वंचित न रहे और प्रत्येक हिंदू सनातन से जुड़ सके।
अंजू नारंग
श्रीगंगानगर
मोबाइल 9413934395

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