कहानी

दिनेश कुमार राय की कहानी पहला प्‍यार

साप्‍ताहिक आयोजन क्र-2 कहानी शीर्षक पहला प्‍यार पुरानी दिल्ली में ब्रह्मपुरी एक साधारण-सा मुहल्ला है। तंग गलियां और घनी बसावट–इसके अलावा इसकी कोई और पहचान भी नहीं है। मगर, मेरा मन आज भी वहीं कहीं विचरता रहता है। बचपन की यादें बार-बार उन्हीं गलियों में खींच ले जाती हैं। लगता है जैसे कल ही की बात हो। विद्यालय में स्वतंत्रता-दिवस …

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श्राद्ध-किरण बाला

पंडित जी, जरा सही से सामान लिखवा दीजिएगा। पिताजी के श्राद्ध में कोई कमी न रह जाए …लोगों को भी तो पता चलना चाहिए कि कितनी शानौ-शौकत से हमने ये सब किया है| (सिद्धार्थ ने पंडित जी को हिदायत देते हुए कहा)क्या बात कर रहे हो यजमान, पहली बार थोड़े ही कर रहे हैं ये काम ….पूजा में कोई कमी …

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अपूर्ण प्रेम-दीपमाला

जनवरी का ठंड संक्रांति का समय सुबह सुबह ठंडी ठंडी सी हवा में स्वर्णिम धूप का आनंद l अपने आप में रोमांचित करने वाली l आज बच्चों को बाहर स्कूल प्रांगण में ही विद्या अध्ययन करवा रहे थे l सहसा टेबल पर रखी अखबार पर नजर पड़ी l बटालियन के छह जवान शहीद, मुख्य समाचार को देखते ही मैंने आगे …

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आधी रात -संगीता गुप्‍ता

साहित्य सरोज साप्ताहिक आयोजन 01 ( 01) सोमवार से मंगलवार कहानी शीर्षक- आधी रात मैं आध्यात्मिक दिनचर्या को जीना बहुत पंसद करती हूॅं। प्रातः लगभग साढे़ 7 बजे मेरा मेडिटेशन पूरा हुआ। कुछ घर के काम इत्यादि निपटा कर मेनें खाना खाया और आफिस चली गई। आज का दिन न जाने को बहुत व्यस्तता का दिन रहा। लौट कर आई …

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आधी रात – दीपमाला

साप्‍ताहिक कहानी आयोजन 01 लक्ष्मी दीदी बहुत ही धर्म परायण, कर्तव्य निष्ठ, सबकी मदद करने वाली, घर में सब उसको बहुत चाहते थे l ससुर जी की भी लाडली थी l हमेशा खुश रहने वाली lएक जनवरी शाम सात बजे अचानक मुझे उनके बेटे का फोन आया मासी घर आओ तुरंत ,मैं कुछ पूछती इसके पहले फोन काट दिया l …

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आधी रात-किरण बाला

साप्ताहिक प्रतियोगिता (कहानी लेखन) जाड़े की कंपकंपाती रात… सन्नाटा चारों ओर अंधकार का दुशाला ओढ़ कर गहन निद्रा की मुद्रा में सिमटा सा बैठा था कि अचानक से कुत्तों के भौंकने की आवाज़ से इस प्रकार सकपका गया जैसे शांत सरिता में किसी ने अचानक जोर से कोई कंकड़ फेंका हो और वो तरंगित हो भय से तितर- बितर होने …

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ज्‍योति की कहानी

अश्वित बड़े दिनों से आइसक्रीम खाने की जिद कर रहा था। आज आखिरकार उसके घर वालों ने उसे दस रुपये दे ही दिए। मगर पैसे देते समय उसकी माँ ने कहा, “ये लो दस रुपये! अब तुम भले इससे आइसक्रीम खरीदना या अपने लिए नया पेन। ” अश्वित घर से तो आइसक्रीम खरीदने ही निकला था लेकिन कुछ देर चलकर …

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बुरे लम्हे-शीला श्रीवास्‍तव

एकता ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रही थी तभी फोन की घंटी घनघना उठी एकता झुंझलाते हुए कहा “पता नहीं इस समय किस का फोन आ गया”आज तो जरूर ऑफिस पहुंचने में देर हो जाएगी । “हैलो” एकता मैं अरुण बोल रहा हूं! मैं ऑफिस के बाहर तुम्हारा इंतजार करूंगा ऑफिस खत्म होते गेट पर  मिलना। “ठीक है”। फोन …

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इंसान भी बसते हैं- अंजू

मैं और दरम्यानी उम्र की वे महिला आगे-पीछे ही स्टेशन से बाहर निकले। मौसम उमस से भरा था और बावजूद इसके कि एक कुली उनके साथ आये पांच-छ‌: नग को अपने ऊपर लादे था, वे पसीने से तरबतर थी।   मेरे पति तो सामान के पास मुझे खड़ा कर ऑटो देखने चले गये और वे कुली को पैसे देने लगी। …

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सुनील की कहानी -जैसी करनी वैसी भरनी

काम-धंधे के सिलसिले में जब रमेश पहली बार  शहर आया तो उसे अपने मकान में ठहरने की जगह सुरेश ने ही दी थी।उस समय सुरेश अपने कमरे में अकेला ही रहता था। रमेश और सुरेश एक ही गांव के रहने वाले थे और बचपन में साथ- साथ एक ही स्कूल में पढ़े भी थे। परिवार की माली हालत ठीक न …

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