सीमा की कहानी वैलेंटाइन डे

साहित्‍य सरोज कहानी प्रतियोगिता 2025, कहानी पर कमेंट जरूर देंं।
सुबह आँख खुलते ही राजन ने अपना मोबाइल उठाया जैसे ही व्हाट्सएप चेक किया एक नए नंबर से ‘हाय’ का मैसेज पड़ा था । उसने उत्सुकतावश डीपी चेक की.. किसी बहुत खूबसूरत लड़की का फोटो था.. उसने दिमाग पर जोर डाला.. उसे याद नहीं आ रहा था.. इससे कभी मिला है ..कोई अपरिचित थी ..उसे लगा शायद रॉन्ग नंबर होगा गलती से आ गया है। तभी पत्नी की आवाज सुनकर वह हड़बड़ा कर उठ गया उसका मन उस मैसेज को डिलीट करने का नहीं हो रहा था और भय भी था.. पत्नी न देख ले । वह अपना फोन चार्जिंग पर लगाने के बहाने अपने साथ ले गया ।
फ्रेश होकर नाश्ता करने बैठा मन तो व्हाट्सएप में अटका था ।उसने इमोजी सेंड कर दी ..वॉट्सएप पर मेसेज करते हुए वह ऊहापोह में था, लड़की ने उसके इमोजी को देखकर स्माइली भेज दी और व्हाटसप्प स्टेटस की तारीफ की थी ।उसने कुछ मेसेज नहीं किया। दफ़्तर के लिए तैयार होते वक़्त आँखें घड़ी की तरफ थी कभी फोन पर। ऑफिस का समय हो रहा था।
मेट्रो में बैठते हुए बस  हेलो …फिर..गुड-मॉर्निग लिखा  राजन ने। आँखें और मन बदस्तूर मोबाइल पर जमा था। प्रतीक्षा की घड़ियाँ बेसब्री बढ़ा रही थी । मेसेज मिल गया था , पहले एक टिक का निशान, फिर डबल नीले टिक। मेसेज पढ़ लिया है उसने ।राजन ने गहरी साँस ली  । ऑफिस नजदीक आ गया था उसने फोन जेब में डाल लिया ।
एक दो दिन बीत गए संकोच में तीसरे दिन उसने हिम्मत करके मैसेज डाला ‘आप कहाँ रहती हैं’

उधर से जवाब आया ‘एलेनगंज आर्शीवाद कंपलेक्स’
अरे !मैं भी उधर ही रहता पर आपको कभी देखा नहीं.. उसने मैसेज किया ।
‘कौन-कौन है आपके घर में’ उसने उत्सुकता जताते हुए जानना चाहा ।
“मैं तो अकेले रहती हूँ और आपके घर में ,”उसने पूछा ।
सोच में पड़ गया क्या कहें.. कहीं सच बोलते ही स्वप्न टूट कर चूर-चूर ना हो जाए.. वह लड़की के सम्मोहन में फँसता जा रहा था ।
“क्या हुआ आपने बताया नहीं,” लड़की ने फिर पूछा
ओह्ह ! क्या इत्तेफाक है.. मैं भी अकेला रहता हूँ.. तो फिर क्या मिलते कभी.. बैठकर ढेर सारी बातें करेंगे.. एक दूसरे को जानेंगे ।
“ओके ..मुझे कुछ काम है बाद में बात करते,”मैसज करके लड़की ऑफलाइन हो गई ।
  राजन अंदर ही अंदर बहुत खुश था डर भी लग रहा था । कहीं पत्नी को पता चल गया तो मुसीबत हो जाएगी ।
दिनभर थोड़ी-थोड़ी देर पर व्हाट्सएप चेक करता रहा ऑफिस में कुछ लोगों ने मजाक भी उड़ाया.. क्या हुआ आज किसके मैसेज का इंतजार कर रहे हो.. बार-बार फोन देख रहे हो.. उसने फोन अपनी जेब में डाल दिया । उसका मन तो फोन में ही रखा था ।
   शाम का 5:00 बज गया तेज कदमों से वो मेट्रो स्टेशन की ओर चल दिया जैसे ही मेट्रो में बैठा तेजी से मोबाइल निकाला और मैसेज चेक करने लगा ।
ग्रीन डॉट देखके अति उत्साहित हो उठा जल्दी से मैसेज खोला ..एक सुंदर सी गुड इवनिंग पोस्ट थी.. बादलों.. डूबते सूरज ..पक्षियों में.. बहुत देर तक कुछ खोजता रहा.. रिप्लाई में गुड इवनिंग लिख कर सेंड कर दिया । बार बार चेक करता रहा.. मैसेज डिलीवर हुआ या नहीं.. नीली धारियाँ देख कर.. मन उछल पड़ा.. फिर प्रतीक्षा अगले मैसेज की ।
 घर आ गया था.. पत्नी उसे देखकर कुछ पूछतीं.. वह नजरें चुराकर ..टीवी के सामने बैठ गया.. फोन हाथ में था निगाह टीवी से ज्यादा फोन पर टिकी थी । बैठा बैठा नेट पर गुड मॉर्निंग गुड इवनिंग पोस्ट ढूँढता रहा आज वह स्वयं को कॉलेज बॉय से महसूस कर रहा था । तभी फोन की घंटी बजी नंबर देखकर ..हेलो.. हेलो करता बाहर निकल आया । यह ससुरा नेटवर्क तो आता ही नहीं.. आपकी आवाज नहीं सुनाई दे रही.. एक आँख पत्नी की ओर लगी थी । गनीमत थी ..वह अंदर चली गई थी.. फोन कट गया था ..बात नहीं हो पाई पर उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था । आज उसे अपने ही घर में कैद महसूस हो रही थी और पत्नी जेलर ।
सिलसिला चलता रहा एक सप्ताह में वह अब मैसेज ही मैसेज में बात करते.. आपस में खुलने लगे थे.. काफी कुछ एक दूसरे की व्यक्तिगत बातें, समस्याएँ व पसंद नापसंद पता चल गई थीं । उसका नाम रश्मि था अभी व्हाट्सएप पर ही वार्तालाप सीमित था ।राजन ने दो दिन बाद आ रहे है वैलेंटाइन डे पर उससे मिलने का आग्रह किया । जगह नियत हो गई ।
   वैलेंटाइन डे पर उसने एक महँगा सा बुके व सुंदर सा गिफ्ट खरीदा.. वह बहुत उत्साहित था.. एक अच्छे होटल में टेबल बुक की .. मैसेज में सब तय हो गया था । होटल सामने था उसका दिल धड़क रहा था वह इधर उधर देखते हुए अपना माॅस्क और ऊपर चढ़ा कर होटल की सीढ़ियों पर चढ़ने लगा.. वह निश्चिंत था.. माॅस्क में कोई पहचान नहीं पाएगा ।
सामने टेबल पर रश्मि पहले से बैठी हुई थी । उसकी पीठ थी । उसने दुपट्टे से चेहरा ढक रखा था गाॅगल से ऑंखें.. डियो खुशबू उसे और दीवाना बना रही थी । राजन ने टेबल के करीब पहुँचकर प्रेम पूर्वक अभिवादन किया और धीरे से अपना माॅस्क हटा कर उससे भी चेहरा खोलने का आग्रह किया । वह से देखना चाहता था.. डीपी तो बहुत सुंदर थी.. वह उसे साक्षात देखने के लिए व्याकुल था । जैसे ही उसने दुपट्टा अपने चेहरे पर से हटाया ..राजन के चेहरे का रंग उड़ गया ..गला सूख गया.. शब्द गले में अटक  गए तुम ..तुम.. यहाँ.. कैसे वह हकला गया था.. क्यों मैं नहीं आ सकती वह व्यंग से मुस्कुराते हुए बोली ..अरे!आज वैलेंटाइन डे है । राजन मन ही मन सोच रहा था ..असली वैलेंटाइन तो घर पर मनेगा ।
श्रीमती सीमा सक्सेना ‘वर्णिकाʼ 
कानपुर, उ0प्र0
फोन नम्बर-7376498172

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