धनबाद (झारखंड)। समाजसेवा और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बनाने वाले श्री दुलाल मुखर्जी का जीवन संघर्ष और साहस का जीवंत उदाहरण है। 21 जनवरी 1992 को झारखंड के धनबाद जिले के ब्रह्मणडीहा गांव में जन्मे दुलाल मुखर्जी ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी मेहनत और संकल्प के बल पर सफलता की बुलंदियों को छुआ है।
श्री दुलाल मुखर्जी का जीवन बचपन से ही कठिनाइयों से भरा रहा। उनके पिता का निधन उनके बचपन में ही हो गया था, जिससे परिवार पर आर्थिक संकट छा गया। उन्होंने केवल 10वीं तक की शिक्षा प्राप्त की, जिसके बाद उन्हें जीविका के लिए कई संघर्ष करने पड़े। दिल्ली जैसे महानगर में उन्होंने मजदूरी, होटल में वेटर, चाय की टपरी पर काम और ट्रक पर कार्य करके अपना जीवन यापन किया।
हालांकि, इन संघर्षों ने उनके मनोबल को कभी कमजोर नहीं होने दिया। जीवन की चुनौतियों और असफलताओं से लड़ते हुए, उन्होंने समाज के लिए कुछ बड़ा और सार्थक करने की ठानी। उन्हें समाज सेवा का शौक बचपन से था, और इसी भावना ने उन्हें महिलाओं और जरूरतमंद लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से कार्य करने के लिए प्रेरित किया।
दुलाल मुखर्जी DMVV Bhartiya Mahila Shakti Foundation के संस्थापक सह निदेशक हैं। यह संस्था महिलाओं के सशक्तिकरण, रोजगार सृजन, और आर्थिक आत्मनिर्भरता के लिए कार्य कर रही है। इसके अलावा, वे SERS ANSHIKA UDHYOG PRIVATE LIMITED के प्रबंध निदेशक भी हैं। इस कंपनी के माध्यम से वे उत्पादन, बिक्री, और आयात-निर्यात के क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में यह कंपनी ग्रामीण विकास और स्वरोजगार के लिए निरंतर प्रयासरत है।
श्री दुलाल मुखर्जी का कहना है कि उन्होंने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया और कई लोगों द्वारा धोखा भी खाया, लेकिन इससे उन्हें और भी मजबूत बनने की प्रेरणा मिली। उनका मानना है कि आज उनके कंधों पर जो जिम्मेदारी है, वह बहुत बड़ी है और इस जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाना ही उनके जीवन का मुख्य लक्ष्य है।
उनकी स्व रोजगार क्रांति योजना के तहत, वे कुटीर उद्योगों के माध्यम से महिलाओं और गरीबों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम कर रहे हैं। उनका उद्देश्य ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करना और समाज के वंचित वर्गों को सशक्त बनाना है।
श्री दुलाल मुखर्जी की यह प्रेरणादायक यात्रा हमें यह सिखाती है कि जीवन में चाहे कितनी भी कठिनाइयां आएं, दृढ़ संकल्प और समाज सेवा की भावना से हर चुनौती को पार किया जा सकता है। उनकी इस यात्रा से न केवल वे स्वयं सफल हुए हैं, बल्कि समाज के अन्य लोगों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बने हैं।
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