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Tag Archives: साहित्‍य सरोज

वो अब भी याद आती है-यशोदा

वो अब भी याद आती है-यशोदा

बार-बार करवटें बदलती रही  पर सीने का दर्द था कि बेचैनी संग बढ़ता ही जा रहा था। चेहरा दर्द से सफेद हो गया और आवाज गले में ही जम गई। सर्द निगाहें खिड़की से झाँकते नीम की फुनगी पर टंँगे चाँद पर पड़ी। चाहे-अनचाहे,जाने-अनजाने उसे चाँद को देखना अच्छा नहीं लगा और …

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