महान स्वतंत्रता सेनानी समाज सेवक एवं आध्यात्मिक नेता आचार्य विनोबा भावे जी ने एक अवधारणा बनाई जो सामाजिक संगठन से संबंधित है। आचार्य विनोबा भावे जी एक राष्ट्रीय अध्यापक की तरह हमेशा मूल रूप से एक चलता-फिरता विश्वविद्यालय होने के नाते, उन्होंने इन पांच जन शक्ति को आम लोगों के …
Read More »संस्कार की पाठशाला- दीपमाला
कभी मैकाले ने जो बीज बोये थे, आज उनकी कटीली फसल से समूचा देश लहूलुहान हो रहा है l पर मैकाले से मुकाबला कौन करे?यह सवाल आज के दौर में उसी तरह से है, जिस तरह कभी चूहों के झुंड में यह सवाल उठता था कि बिल्ली के गले में …
Read More »विज्ञापन और धोखाधड़ी-ज्योति किरण रतन
वर्तमान समय में सोशल मीडिया के जरिए लोगों पर दिखावे की संस्कृति ज्यादा हावी हो गयी है ।किसी कम्पनी ने दावा किया कि उसके बनाये प्रोटीन पावडर से बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा या बच्चों में विकास भली भांति होगा तो बिना विचारे लोग उसी प्रोडक्ट का प्रयोग बच्चों के …
Read More »अहिल्याबाई होलकर एक अद्वितीय प्रतिभा की साम्राज्ञी- डॉ शीला शर्मा
बहुत कम लोग ऐसे होते है जो स्थान और समय की सीमाओं को तोड़ , लोगो के दिलो में अपना स्थान बना लेते है , जीते जी किवदंती बन जाते है। होल्कर साम्राज्य की महारानी अहिल्याबाई ऐसी ही एक महिला थी जो अपनी न्यायप्रियता और प्रजावत्सलता के लिए जानी जाती …
Read More »झूला का रहस्य-
गाँव के पास एक बहुत पुराना पीपल का पेड़ था और उस पर एक झूला बंधा हुआ था। कहा जाता था कि ये झूला बहुत ही खास है। कोई नहीं जानता था कि किसने इसे यहाँ बाँधा लेकिन गाँव के बच्चे कहते थे कि रात में ये झूला अपने आप …
Read More »रतन टाटा जी के चले जाने पर आम आदमी रोया क्यों? रेखा
रतन टाटा का नाम सिर्फ एक सफल उद्योगपति के तौर पर ही नहीं, बल्कि एक आदर्श इंसान के तौर पर भी लिया जाता है। उन्होंने भारतीय व्यापारिक जगत में बेजोड़ मुकाम हासिल किया है, लेकिन इसके साथ-साथ उनके मानवीय और संवेदनशील स्वभाव ने उन्हें आम जनता के दिलों में खास …
Read More »मौन के मनके लघुकथा -अनीता सैनी
साल अस्सी का ही रहा होगा। पिरामल, पोद्दार का बोलबाला चहुँ ओर था पर तुम्हें इन सभी से क्या मतलब था? तुम दो जोड़ी बैल से जीवन हाँकते रहे और मैं तुम्हारे पीछे-पीछे खुडों में साँसें खपाती रही। बेटी के बाप का संघर्ष सहज ही पीछा नहीं छोड़ता। मेरे बार-बार …
Read More »सत्य का आग्रह सत्याग्रह:गीता सिंह
2 अक्टूबर को जब गांधी जयंती आती है तो हम अनेकों विचारों से घिर जाते हैं, उसमें से एक सबसे त्वरित और सम्मोहित कर देने वाला शब्द होता है सत्य। सत्य क्या है ? आखिर क्यों हर व्यक्ति दूसरों से तो इस सत्य की उम्मीद करता है परंतु खुद उलझ …
Read More »हर समस्या का समाधान होता है आवश्यकता है उसको पहचानने की- डॉ शीला शर्मा
हम सबके जीवन में ढेर सारी समस्याएँ हैं। व्यक्ति समस्या से परे नहीं है। बावजूद इसके दुनिया में लोग अलग अलग स्तर पर इसलिए हैं क्योंकि उन्होनें समस्या का अलग अलग तरीके से समाधान किया। हर समस्या की एक सीमित अवधि होती है, श्रेष्ठ और साधारण लोगों के बीच एक …
Read More »देश सुरक्षित नहीं है तो कोई सुरक्षित नहीं-हृदय नारायण
इस देश का बंटवारा धर्म के आधार पर हुआ। जिन्ना ने पाकिस्तान को इस्लामी राष्ट्र बना दिया। अब भारत को इसे हिंदू राष्ट्र घोषित करना था किंतु नेहरू जो खुद ही मुसलमान थे उन्हें यह बात पसंद नहीं थी और सरदार पटेल के बार-बार कहने के बाद भी इसे हिंदू …
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