हम सबके जीवन में ढेर सारी समस्याएँ हैं। व्यक्ति समस्या से परे नहीं है। बावजूद इसके दुनिया में लोग अलग अलग स्तर पर इसलिए हैं क्योंकि उन्होनें समस्या का अलग अलग तरीके से समाधान किया। हर समस्या की एक सीमित अवधि होती है, श्रेष्ठ और साधारण लोगों के बीच एक यही फर्क होता है कि वो अपनी समस्या को किस नज़रिये से देखते हैं। जो नॉर्मल लोग होते हैं, वो छोटी सी समस्या को बड़ा कर देते हैं। समस्याओं पर चिंतन ज़्यादा और परिणाम पर कम चिंतन करते हैं। समस्याओं से निपटने में कैसी दिक्कतें आएँगी और वो समस्याएँ उन्हें कैसे तोड़ेंगी, उन्हें किस तरह नुकसान पहुंचाएंगी, इसी पर उनका सारा फोकस रहता है। वहीं जो लोग श्रेष्ठ रहते हैं वो समस्याओं को तार्किक ढंग से देखते हैं। समस्याओं के गुण-दोष के आधार पर निर्णय लेते हैं। वो समाधान पर ज़्यादा और समस्याओं पर कम फोकस करते हैं। हर जीवित व्यक्ति को कुछ न कुछ समस्याएँ ज़रूर होती हैं। आप कोई भी ऐसा जीवित इंसान नहीं ढूंढ सकते जिसके जीवन में कोई भी समस्या ही न हो। किसी को रोजगार की चिंता है किसी को रोटी की चिंता है किसी को स्वास्थ्य की चिंता है तो किसी को समय की चिंता है तो किसी को पैसे की चिंता है। हर समस्या में कोई सकारात्मक संभावना ज़रूर होती है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। किसी एक के लिए जो समस्या है, वह किसी दूसरे के लिए लाभ का सौदा हो सकती है। हर समस्या के पीछे कहीं न कहीं किसी कोने में समाधान छुपा होता है। समय से पहले और किस्मत से ज्यादा ना किसी को मिला है और ना कभी मिलेगा। ईश्वर हमें वह नहीं देता जो हम चाहते हैं बल्कि वह देता है जो हमारे लिए अच्छा होता है। अतः आत्मविश्वास बनाए रखना आवश्यक है।हर समस्या आपके अंदर बदलाव लाती है। कोई भी समस्या ऐसी नहीं जो आपके भीतर बदलाव न लाए। समस्याएँ आपको बलशाली और सशक्त बनाकर जाती हैं। यदि आप कमजोर या नेगेटिव व्यक्ति हैं तो समस्या आपको तोड़कर चली जाती है। आप कई बड़े लोगों के बारे में सुनेंगे कि जब समस्या आई, तो उन्होने उससे जूझने का निर्णय लिया। तो वहीं कुछ लोगों के मुह से सुनेंगे कि जब समस्या आई तो किसी व्यक्ति का सब कुछ नष्ट हो गया। यह आप पर निर्भर करता है कि आप समस्या को किस रूप में लेते हैं
शीला शर्मा
बिलासपुर