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गली का निर्माण

कर्ई सालो बाद हमारे मुहल्ले की गली के निर्माण का प्रस्ताव नगर निगम से पारित हुआ। लगभग 8-10 साल पहले गली का निर्माण हुआ था, जिस कारण अब हमारे गली की स्थिति काफी खराब हो गई थी। जगह जगह ईठे उखड़ी हुई थी, नालिया टूटी हुई थी, जिस कारण मुहल्ले वालो को आने जाने में परेशानी हुआ करती थी।

हमारे मुहल्ले में अशिक्षित बेरोजगार युवको की भी भरमार है, जिन्हे गली के आरसीसी निर्माण में रोजगार के अवसर मिल गये, और उन्होने इस अवसर को मजदूरी के रुप में लपक लिया। यानि आम के आम, गुठलियों के दाम। यानि गली के निर्माण के साथ रोजगार के अवसर भी मिल गये।

शुरुआत हुई गली में लगी पुरानी ईठे उखाड़ने से, उसमें भी सोर्स, सिफारिश और वरियता का क्रम शुरु हो गया। यानि हमारे गली में नेतागिरी करने वाले लोग पहले अपनी तरफ का काम पूरा करवाना चाहते थे। इसी क्रम में गली एक तरफ से न उखाड़ के इधर उधर से उखाड़ी जा रही थी। जिससे अव्यवस्था फैल गई थी। हर मुहल्ले में कुछ मठाधीश हुआ करते है। वैसे ही हमारे मुहल्ले में भी कर्ई मठाधीश रहते है। ये मठाधीश हर काम में अपने आप को निपुण समझते है। वैसे ही हमारे मुहल्ले में हमारे एक पट्टीदार है। अगर मुहल्ले में किसी का मकान बन रहा है, तो वो जरुर वहाँ पहुँच जाते है। और अपनी निशुल्क इंजीनियरिंग सेवा जरुर प्रदान करते है। उनके छोटे भाई तो चार – पाँच घंटे रोज निर्माणाधीन स्थान पर हवाबाजी करेगे।

इधर उधर की खोदाई के चक्कर में हमारे मकान समेत दो और मकानो के समाने खुदाई करके मजदूर काफी आगे चले गये। यानि हमारे मकान से दो मकान और एक मकान पीछे पुराने खडंजे बिछे थे। यानि नेतागिरी और मठाधीशी करने वाले लोगो ने हमारे बाद अपनी गली खुदवाई भी, और उसे सीमेंटेड भी करा लिया। हफ्तेभर बाद अब हमारे तरफ की बारी आई तो आगे और पीछे के खड़जे उखड़वाए गये, और सीमेंटेड होना चालू हुआ, तो   हमारे मकान के एक मकान पहले तक शाम हो गई, जिस कारण काम खत्म हो गया।

अब हम लोग दूसरे दिन की आस लगाए थे। पर गली से लगे मकान के एक मठाधीश महानुभाव ने ठेकेदार को अपनी तरफ के काम को पूरा करने का दबाव डाल दिया। अब हमने सोच लिया था कि आशा लगाने का कोई अर्थ नही है, जब काम होगा, तब देखा जाएगा। बोलेगे तो और भी देरी हो सकती है।जिस दिन मुहल्ले में दो जगह शादी का कार्यक्रम था, और हमे उम्मीद भी न थी, उसी दिन हमारे तरफ गली का निर्माण शुरु हो गया। सुबह 10 बजे ही मजदूर मिस्त्री अपने काम पर लग गए, और सभी लोग अपने अपने दरवाजे पर बैठकर काम देखने लगे।अब क्या मुहल्ले के सभी मठाधीश, नेतागिरी करने वाले लोग एक एक करके आने जाने लगे। 

हमारे घर का दरवाजा पूर्व दिशा की ओर खुलता था, मकान के उत्तर में एक मकान छोड़कर सड़क की ओर जाने के लिए एक गली थी। दक्षिण की ओर पाँच – छः मकानो के बाद पश्चिम दिशा की ओर सड़क के लिए गली थी। हमारे मकान की एक सीढ़ी गली में बनी थी, जो एक परिवार को अखरता था, जबकि उसकी तीन – चार सीढ़ी गली में बनी थी। जिससे उसके तरफ की गली सिकुड़ गई थी, पर उसको तो  गली में आ रही मेरी एक सीढ़ी से तकलीफ थी।

अब जैसे जैसे मजदूर मेरे मकान के पास आकर सीमेंट डालने लगे, तो उस पड़ोसी का भाई मनोज जो मुहल्ले में ही रहता था, वो मेरी सीढ़ी के बराबर ऊँचाई तक सीमेंटेड कराने पर लग गया। तभी मैने मिस्त्री को अपनी तरफ मिलाकर यानि घर में रखी मिठाई की पीस खिलाकर अपनी सीढ़ी पर सीमेंट डलवाकर उसे और ऊँची करवा लिया, जिससे उन लोगो की सारी नेतगिरी धरी की धरी रह गई। किसी तरह मेरे घर से आगे काम बढ़ा, तो इस दौरान खुन्नस खाए हमारे पड़ोसी सहित मुहल्ले के छुटभैया नेता बार बार इधर से उधर राउंड मार रहे थे, पर

हम भी पूरा दिन दरवाजे पर बैठे रहे थे, तब जाकर ये सभी गली में   नालियो के किनारे लगे ईठो से गुजर रहे थे, जबकि ये घर के उत्तर दिशा से लगे मकान की बगल वाली गली से भी सड़क जा सकते थे। पर मन तो इन लोगो का कुलबुला रहा था। इन लोगो की कुलबुलाहट देखकर गुस्सा तो आ रहा था। पर अगर कुछ बोलते तो ये और बदमाशी करते।

किसी तरह शाम होने तक आने जाने वालो पर नजर रखी ताकि किसी का गलती से भी पैरो के निशान गली में न छपे।

दूसरे दिन सुबह जैसे ही मैं टहलने निकला तो मेरे बगल वाले मकान के सामने पता नही कहाँ से गाय आ गई, उसने मेरे पड़ोसी के घर के सामने अपने पैरो के निशान बना दिए। मै तुरंत एक्टिव हुआ, ताकि ये मेरे घर की तरफ न आए। मैने उसे हुर हुर करके भगाया, तभी चाची जी अपने घर से बाहर निकल आई। उन्होने कहाँ क्या हुआ ? तो मैने गाय की तरफ जैसे ही इशारा किया, वैसे ही गली बंद करने के लिए लगाई गई उनकी बाइक को गाय ने धक्का मारते हुए भाग गई। चाची जी कुछ बोलती, उससे पहले मैं  वहाँ से चुपचाप निकलते बना।

अब गली थोड़ा सूख भी गई थी, जिससे लोगो का आना जाना शुरु हो गया। पर अभी भी गाड़ी का प्रवेश वर्जित था। फिर भी एक दिन पहले जबरजस्ती इधर उधर राउंड मारने वाले मनोज वेडलर अपनी गाड़ी लाकर हमारी गली में खड़ी कर दिए। शाम तक गली के बाहर रहने वाले मठाधीश जी भी पैर रेंगते रेंगते हमारी गली में दो चार बार आ जाकर मुआयना कर गये। इस तरह हमारी गली को मजबूती का साटिफिकेट मिल गया, और गली का पूर्ण निर्माण संभव हुआ।

रोहित मिश्रा, प्रयागराज

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