तू अपनी मोहब्बत मेरे नाम कर दे
बस इतना सा मुझपे तू एहसान कर दे
सिवा तेरे कुछ मैंने चाहा नहीं है
खुदा से भी कुछ मैने मांगा नहीं है
तुझे गीत ग़जलों में मैं गा रहा हूँ
तेरे आगे मैं हाँथ फैला रहा हूँ
भले मुझको दुनिया में बदनाम कर दे
तू अपनी मोहब्बत मेरे नाम कर दे
सुबह को तू मिल मुझसे और शाम कर दे
तू अपनी मोहब्बत मेरे नाम कर दे
दहकते हुए शोलों पे चल रहा हूँ
तेरे इश्क़ की आग में जल रहा हूँ
खुशी क्या है दुनिया में अंजान हूँ मैं
सफर में गमों संग मैं हर पल रहा हूँ
ऐलान-ए-मुहब्बत सरेआम कर दे
तू अपनी मोहब्बत मेरे नाम कर दे
तू चाहे यहां मुझको नीलाम कर दे
तू अपनी मोहब्बत मेरे नाम कर दे
~ राघवेंद्र सिंह ‘रघुवंशी’