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हृदय हमेशा सच बोलता है-डॉ. ज्योति मिश्रा की कहानी

 हरी नाम का एक वृद्ध व्यक्ति था। वह बहुत गरीब था। वह अपनी गुजर-बसर भीख मांग कर करता था ताकि उसे रात भर सड़क पर ना सोना पड़े।एक सुबह, उसने हमेशा की तरह अपनी चटाई बिछाई, भीख माँगने के लिए अपना प्याला रखा और माँगने के लिए याचना करने लगा। आस-पास बहुत सारे ऑफिस थे, तो कई सारे लोग वहाँ से हर रोज गुजरते थे। लेकिन उस दिन, कोई भी हरी की ओर ध्यान नहीं दे रहा था। उसे लगा आज कुछ नहीं मिल सकेगा और वह उदास महसूस करने लगा। पर उसे नहीं पता था कि उस दिन उसकी किस्मत बदलने वाली है।कुछ ही देर में वहाँ से एक युवती गुज़री। उसने मुस्कुराकर हरी का अभिवादन किया व उसके प्याले में ₹200 डाल दिए। वह चौंक गया! यह पहली बार था जब किसी ने उसे इतने पैसे भीख में दिए थे! हैरी ने आभार व्यक्त करते हुए उस युवती से उसका नाम पूछा। युवती ने मुस्कुराकर अपना नाम “सारा” बताया। हरी बड़ा ही खुश होकर उत्साह से उसे बताने लगा, “मुझे आज रात सड़क पर नहीं सोना पड़ेगा! धन्यवाद, आपकी वजह से आज रात मैं चैन से सो सकता हूँ।” फिर उसने पूछा, “आपने मुझे इतने पैसे क्यों दिए?”सारा ने बड़े ही प्यार से उस वृद्ध व्यक्ति को कहा, “मेरा यह मानना है कि “जो हम करते हैं वह प्रकृति हमें वापस ज़रूर देती है।” जैसा हम बोएंगे, वैसा फल मिलेगा।” दोनों ने कुछ समय बातचीत की, और फिर सारा का लंच ब्रेक खत्म होने के कारण उसे जाना पड़ा। उसने हैरी को आगे के लिए शुभकामनाएँ देकर अलविदा कहा।थोड़े समय में हरी को लगा कि उसे पैसे गिनकर देखना चाहिए, शायद एक दिन के लिए पर्याप्त राशि इकट्ठी हो गई हो। उसने पैसे गिनना शुरू किया तो उसे प्याले में कुछ चमकता हुआ नजर आया। वहाँ एक अंगूठी पड़ी देख वह हैरान रह गया, और सोचने लगा कि यह अंगूठी यहाँ कैसे पहुँची।फिर उसे लगा कि प्याले में पैसे डालते समय सारा के हाथ से अंगूठी उसी में गिर गई होगी। वह तुरंत सारा को ढूँढने के लिए जुट गया – गलियों में इधर-उधर ढूँढता, आस-पास के ऑफिस में पूछता। लेकिन वह उसे कहीं नहीं मिली और वह तलाश करते-करते थक गया।अचानक उसके मन में लालच जाग उठी। उसने सोचा, अगर वह अंगूठी बेच दे, तो उसे कई महीनों तक सड़क पर नहीं सोना पड़ेगा।शायरी का खज़ाना  का app आ गया है ।
यही सोचते हुए वह एक सुनार की दुकान पहुँच गया, और अंगूठी बेचने के लिए दुकानदार से उसकी कीमत पूछी। सुनार ने उसे ₹40000 अंगूठी की कीमत बताई और जिसे सुनकर हरी को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ। यह उसके लिए बहुत बड़ी रकम थी! सुनार के प्रस्ताव को सुनकर, हरी पैसे लेकर कुछ महीने आराम में बिताने के लिए ललचाने लगा। वह अनेक सुविधाओं की कल्पना करने लगा, और हर रात चैन से सोने की संभावना ने उसे बहुत लुभाया। लेकिन अचानक उसे सारा के शब्द याद आ गए ।
उसे मानो एक झटका सा लगा। सारा के वह शब्द उसे वापस वर्तमान में ले आए और उसकी गलती का एहसास कराया। और उसने अंगूठी नहीं बेचने का फैसला किया व फिर से सारा की खोज में लग गया। वह आस-पास के सभी कार्यालयों में जाकर पूछने लगा। तभी उसे याद आया कि सारा ने पिछली गली में काम करने की बात कही थी। वह उस गली में गया और हर एक ऑफिस में जाकर पूछा। इस तरह वह उस गली के अंतिम ऑफिस में पहुँचा, और पूछा, “क्या सारा यहाँ काम करती है?” और आखिर उसे वह मिल गई। सारा उसे वहाँ देखकर बहुत हैरान हुई और बोली, “बताइए, मैं आपकी कैसे मदद कर सकती हूँ।” हरी ने तुरंत उसकी अंगूठी निकाली और कहा, “मुझे लगता है यह आपकी है। शायद पैसे डालते समय यह आपके हाथ से गिरकर मेरे प्याले में आ गई थी।”उस अंगूठी को देखते ही सारा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और उसकी आँखों में आँसू आ गए। उसने कहा, “मैं वास्तव में आभारी हूँ कि आप इसे वापस लाए। आप नहीं जानते कि यह मेरे लिए कितनी मायने रखती है! मैं आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करती हूँ।” पर उसके मन में एक सवाल आया जो वह पूछे बिना रह न सकी। “अगर आप चाहते तो आप अंगूठी बेच कर बहुत पैसा कमा सकते थे। आपने इसे वापस क्यों किया,” उसने उत्सुकतावश पूछा।यह बात सुनकर हरी ने कहा,”आपने इतनी उदारता से मेरी मदद की, मैं कम से कम इतना तो कर ही सकता हूँ। और वैसे भी, एक बुद्धिमान महिला ने मुझे कभी कहा था, *”जो हम करते हैं वह प्रकृति हमें वापस जरूर देती है।”
उस वृद्ध व्यक्ति की यह बात सुनकर सारा का हृदय गदगद हो गया और उसे दिल से शुक्रिया करते हुए सारा ने कहा, “आप जानते हैं, यह मेरी शादी की अंगूठी है। मैं आपका एहसान कभी नहीं भूलूंगी।”हरी ने अंगूठी लौटा दी और चला गया। उसके जाने के बाद, सारा के सहकर्मी ने ‘गो फंड मी’ (GoFundMe) नामक वेबसाइट के माध्यम से बूढ़े व्यक्ति की मदद करने का सुझाव दिया। वह वहाँ अपनी कहानी साझा कर सकती थी, और लोगों से हैरी के लिए पैसे दान करने का अनुरोध कर सकती थी।इस पर सारा ने खुशी जताते हुए कहा, “मैं जरूर यह काम करूँगी और मुझे यकीन है कि लोग यह कहानी पसंद करेंगे।”      उसने हरी के लिए ‘गो फंड मी’ पर एक क्राउडफंडिंग पेज शुरू किया, और वह वायरल हो गया। यह कहानी अनेकों लोगों तक पहुँच गई कि कैसे सारा की अंगूठी खो गई थी और हैरी ने उसे वापस लौटया। लोगों ने दान करना शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में, सारा ने दान के रूप में ₹190000=एकत्र कर लिए। फिर वह हरी को खोजने निकल पड़ी। हरी उसे उसी स्थान पर मिला जहाँ वे पहली बार मिले थे। जब सारा ने उसे एक थैला दिया, हरी ने सोचा कि वह उसकी मदद करने के लिए कुछ चीजें लाई है, और उसने अपना आभार प्रकट किया। लेकिन जब उसने बैग खोला और पैसे देखे तो वह अवाक रह गया। उसने सारा से पूछा, “आप मुझे इतने पैसे क्यों दे रही हैं?” 
सारा ने मुस्कराते हुए कहा, “यह आपकी ईमानदारी का पुरस्कार है। यह आपकी कमाई है। फिर उसने उसे खुशी-खुशी समझाया कैसे लोगो ने उसकी ईमानदारी और दयालुता को सराहा, और GoFundMe के माध्यम से ₹190000 की राशि का दान दिया। और अब उन्हें रास्ते पर रात बितानी नहीं पड़ेगी। इन पैसों से वह अपना खुद का घर खरीद सकते हैं।   यह सुनकर वह वृद्ध व्यक्ति खुशी से झूम उठा। उसकी आँखों में खुशी के आँसू छलक आए और उसने सारा को खूब आशीर्वाद दिया। सारा भी हृदय में खुशी और आँखों में आँसू लिए, हरी से अलविदा कह कर चली गई। उसके जाने के बाद, हरी ने देखा कि बैग में एक कागज का टुकड़ा भी था, जिस पर लिखा था, “जो हम करते हैं वह प्रकृति हमें वापस जरूर देती है। हमारे कार्यों का हमेशा हमारे पास वापस आने का यह एक तरीका होता है।”  “हृदय हमेशा सच बोलता है और सही मार्गदर्शन करता है लेकिन लालच और अहंकार हमें भटका देते हैं।”

डॉ. ज्योति मिश्रा 
बिलासपुर (छत्तीसगढ़)495001

Mobile 9827924340

       

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