ब्रिटिश कालीन भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को निरस्त करते हुए भारतीय गृह मंत्रालय ने हाल ही में तीन नए आपराधिक कानूनों, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023, भारतीय न्याय संहिता, 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 को लागू करने की घोषणा की, जो 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी होंगे।
सरकार द्वारा नया आपराधिक कानून लागू करने के इसके बाद पुरानी धाराएं खत्म हो जाएंगी। नई धाराएं लागू हो जाएंगी। आप पुलिस कर्मचारी या अधिवक्ता भले ही न हो लेकिन भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की 302, 307, 376 जैसी धाराओं का मतलब अच्छी तरह से जानते होंगे। हत्या, हत्या का प्रयास, दुष्कर्म की प्रचलित ये धाराएं अब एक जुलाई से खत्म हो जाएंगी। सरकार नया कानून लागू करने जा रही है। एक जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) खत्म हो जाएगी। इसके बदले भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) लागू हो जाएगी।थानों से लेकर अदालतों में अभी तक हम अंग्रेजों द्वारा वर्ष 1860 में बनाए गए कानून आईपीसी को ढो रहे थे। हमारी सारी कानून व्यवस्था इसी के आधार पर चलती थी , इसी के तहत रिपोर्ट दर्ज होती थी और अदालतों में सुनवाई होती थी। किसी भी एफआईआर को देखे तो उसमें सबसे पहले भारतीय दंड संहिता 1860 ही लिखा होता था।
एक जुलाई से इसकी जगह एफआईआर में भारतीय न्याय संहिता लिखा मिलेगा। जो भारतीयों के लिए बहुत ही गौरव का पल होगा। 76 साल से भारत आजादी के बाद भी ब्रिटिश कानून के आधार पर कार्य कर रहा था। आईपीसी में 511 धाराएं थीं, जबकि बीएनएस में 358 धाराएं हैं। नए कानून के आने से अधिवक्ता भी नए कानून की किताबें पढ़ रहे हैं। हत्या के लिए अभी तक धारा 302 के तहत रिपोर्ट दर्ज होती थी, लेकिन एक जुलाई से धारा 103 के तहत रिपोर्ट दर्ज होगी। दुष्कर्म की धारा 376 की जगह मामला अब धारा 63 में दर्ज होगा। छेड़खानी की धारा 354 अब मानहानि की धारा होगी। पहले मानहानि की धारा 499 हुआ करती थी।डकैती की धारा 395 की जगह 310 (2) होगी। हत्या के प्रयास में अभी तक धारा 307 लगती थी, लेकिन अब 109 के तहत रिपोर्ट दर्ज होगी। धोखाधड़ी के मामले धारा 420 की जगह 316 में लिखे जाएंगे। इसी तरह से सभी अपराध की धाराएं परिवर्तित कर दी गई हैं। अब पुलिसकर्मी इसे पढ़ रहे हैं। नए कानून के तहत सात साल से ज्यादा सजा वाले मामलों में फॉरेंसिंक रिपोर्ट अनिवार्य होगी। इसके साथ ही अभी तक आरोपियों के हाथों में हथकड़ी लगाने का प्रावधान नहीं था। अब सात साल से ज्यादा सजा के मामले में पुलिस हथकड़ी का इस्तेमाल कर सकेगी।
एक जुलाई से नया कानून लागू होने पर अधिवक्ताओं को भी तमाम कठिनाइयों को सामना करना पड़ेगा। अधिवक्ताओं के सामने दिक्कत यह है कि पुराने मुकदमों की सुनवाई पुरानी धाराओं के तहत होगी। सजा का भी प्रावधान पहले वाला होगा। ऐसे में अधिवक्ताओं की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा बढ़ गई है। अधिवक्ताओं को नए कानून के तहत जानकारी देने के लिए कार्यशाला की जरूरत होगी।भारत के आपराधिक न्याय प्रक्रिया में नया कानून दंड प्रक्रिया से न्याय प्रक्रिया की ओर एक नयी शुरुआत है, जो पूर्णतया भारतीय है. नए कानूनों को ध्यान से पढ़ने पर पता चलेगा कि इनमें न्याय के भारतीय दर्शन को स्थान दिया गया है. हमारे संविधान निर्माताओं ने भी राजनीतिक न्याय, आर्थिक न्याय और सामाजिक न्याय को बरकरार रखने की गारंटी दी है. संविधान की यह गारंटी 140 करोड़ के देश को यह तीनों विधेयक देते हैं. पहली बार भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद से बनाए गए कानून से हमारी आपराधिक न्याय प्रक्रिया चलेगी. इसमें भारतीय मिट्टी की सुगंध है. यह हम भारतीयों के लिए गौरव की बात है।
डॉ शीला शर्मा
बिलासपुर, छत्तीसगढ़
95895 91992