जहागीर-चांपा. शहर के ऐतिहसिक तालाब भीमा तालाब के सौंदर्यीकरण के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च किया गया लेकिन आज वर्तमान समय में भीमा तालाब अपने बदहाली पर आंसू बहा रहा है। अभी वर्तमान में निस्तारी लायक भी नहीं है। भीम तालाब में गंदगी पानी में कचरा पचरी में जमी काई आज इसकी पहचान बन गई है तालाब से उठने वाली बदबू लोगों को परेशान कर रही है नगर वासियों ने तालाब परिसर की साफ सफाई की मांग की है 5 करोड़ की लागत से भी सौदरीकरण किया गया है लेकिन ऐतिहासिक भीमा तालाब की हालत दयनीय हो गई है तालाब में कचरा तथा गंदगी के चलते लोग इसमें नहाने से कतरा रहे हैं आज से 4 साल पहले 5 करोड़ की लागत से सौदरीकरण का कार्य किया गया था सौदरीकरण में लाखों खर्च करने के बाद आज लोगों का भीमा तालाब के किनारे से चलना मुश्किल हो गया है। आज पानी इतना गंदा हो गया है कि इसमें नहाने से चर्म रोग जैसे बीमारी का खतरा बन गया है इस तालाब का पानी पूरी तरह से हरा हो गया है साथ ही चारों ओर गंदगी पसरी हुई है लोगों ने तालाब में नहाना भी बंद कर दिया है और अगर इसमें आप नहा लो तो इसमें आपको चर्म रोग होने से कोई नहीं रोक सकता क्योंकि गंदगी भरे इस पानी में नहाने से त्वचा रोग खुजली इत्यादि का सामना करना पड़ रहा है इस कारण से लोग अब इसमें नहाने से बचने लगे हैं।गरीब तबके के लोगों एकमात्र निस्तारी का यही साधन है।
शहर में पानी की समस्या हर वर्ष रहती है, तालाब भी सूख जाते है, इन तालाबों को भरने के लिए हर वर्ष प्लानिंग की जाती है। लेकिन कोई भी योजना तब बनाई जाती है जब कर पानी से ऊपर हो जाता है ऐसा ही पिछले तीन साल से किया जा रहा है। लेकिन जब गर्मी आती है तालाब सुख जाती है तब याद आता है। काम शुरू होता है अंत में पूर्ण नहीं हो पाता है। लोग जैसा तैसा कर निस्तारी की व्यवस्था कर लेते है। गर्मी निकलने के बाद जिम्मेदार फिर भूल जाते है। ऐसा ही पिछले तीन चार से होता आ रहा है। शहर के ऐतिहासिक तालाब भीमा व रानी तालाब को नहर के माध्यम से भरने के लिए 2016 में पहले गर्मी शुरूआत में ही २ लाख की लागत से नाली खोदा गया था। जो ढलान सहीं होने की वजह से रानी तालाब तक पानी ले-देकर पहुंच। इसके बाद भीमा तालाब में तो एक बूंद पानी नहीं पहुंचा। लंबी नाली की ढाल ऐसी नहीं बनाई गई कि नहर का पानी सीधा रानी तालाब तक पहुंच सके इस वजह से तालाब तक पहुंचते पहुंचते पानी की धार दिखाई तक नहीं दी। उसके फिर 2017 बीटीआई चौक से नाली निर्माण कर तालाबों को भरने के लिए टेंडर हुआ। लेकिन नाली आधा अधूरा बनाकर ठेकेदार निर्माण कार्य को छोड़ दिया। फिर नाली निर्माण अधर में लटक गया। 45 लाख का टेंडर हुआ था जिसमें आधा पैसा नहीं मिलने के कारण काम बंद हो गया था। अब फिर बाकी पैसा मिलने से काम सिंचाई विभाग द्वारा शुरू कर दिया गया है। लेकिन फिर गर्मी लगते ही संबंधित विभाग जागा है। नहीं लगता कि भीमा तालाब में नाली के माध्यम से इस वर्ष पानी भरा जा सकेगा। आज भीम तालाब अपनी बदहाली पर रो रहा है। सौंदर्य करण के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए डकार दिया गया है। भीम तालाब का सौंदर्यीकरण भ्रष्टाचार की बलि चढ़ चुकी है।
डाक्टर शीला शर्मा