काव्य-पुरुष रामबचन शास्त्री ‘अंजोर’ अब इस दुनिया में नहीं रहे। विगत 27 अप्रैल 2024 ई0 (शनिवार) की रात लगभग 10:00 हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया।अंजोर जी का जन्म 6 सितंबर सन् 1932 ई0 को गाजीपुर जनपद अन्तर्गत नवली गांव में हुआ था। ये बिहार के विभिन्न प्राथमिक तथा पूर्व माध्यमिक विद्यालययों में अध्यापन करते हुए एक उच्च कोटि के हिंदी तथा भोजपुरी दोनों भाषाओं के सशक्त हस्ताक्षर थे। इन्होंने लगभग दो दर्जन विभिन्न विधाओं की हिंदी तथा भोजपुरी दोनों भाषाओं में साहित्य-सृजन किया है। इनका ‘अगिनदूत’ (काव्य-खंड) भोजपुरी विश्वविद्यालय आरा(बिहार) तथा ‘निरधन के धन श्याम’ (खंडकाव्य) मुज्जफरपुर विश्वविद्यालय के भोजपुरी संकाय में पढ़ाया जाता है। इनकी प्रकाशित कृतियों में प्रमुख हैं- ‘बदरिया’ (गीत एवं कविता- संग्रह), किरणमई (भोजपुरी प्रबंध काव्य), मीत-मिलन (भोजपुरी गीत नाटिका), निर्धन के धननश्याम (भोजपुरी प्रबंध काव्य), अमझोर बावनी (मुक्तक छंद), श्री कृष्ण लीलामृतम्, पाहुर (भोजपुरी खंडकाव्य), गह-गह गीत गंथाइल गांछिन, अगिनदूत (भोजपुरी महाकाव्य), पांचाली (हिंदी प्रबंध काव्य), तारा के तेवर (गीति नाट्य), इंद्रधनुषी रंग में भोजपुरी, शेरे सह्याद्रि (हिंदी महाकाव्य), महारथी अंगराज (चंपू काव्य नाटक), संवादन के घवद, संवाद शैली आदि। ये विभिन्न सरकारी तथा गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा अनेकों बार सम्मानित हो चुके थे। जिनमें प्रमुख है- 1966 में तत्कालीन कृषि मंत्री जगजीवन राम के हाथों सम्मानित होना, बिहार राजभाषा पटना द्वारा 1991 में डॉ0 ग्रियर्शन पुरस्कार से सम्मानित होना। 28 जनवरी 2018 को साहित्य चेतना समाज गाजीपुर द्वारा गाजीपुर गौरव सम्मान से भी विभूषित किये जा चुके हैं। उनके निधन से केवल गाजीपुर ही नहीं संपूर्ण साहित्य जगत की अपूरणीय क्षति हुई है।
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