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सोशल मीडिया कितना जरूरी-मुस्‍कान

हर बार की तरह इस बार भी सच्ची घटनाओं पर आधारित लेख, शीर्षक से ही पाठक समझ चूँके होगे कि आज की लेख सोशल मीडिया पर आधारित है। तो चलिए शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि आज के समय में सोशल मीडिया कितना जरूरी हो चूका है। सोशल मीडिया की अगर बात तो आज के समय बहुत कम सदस्य ही ऐसे मिलेगे जो सोशल मीडिया इस्तेमाल नही करते हो बाकि के सभी सदस्यों अपने पढ़ाई के लिए या काम के लिए या व्यापार के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करते ही है और जरूरी भी है। इन सभी जरूरी बातों पर ध्यान बाद में दिया जाएगा। सबसे पहले जो सच्ची घटना घटी है उसके बारे में समझे। दस अप्रैल को एक वरिष्ठ महिला साहित्यकार की बात, मुस्कान केशरी जी से हो रही थी। उन्हे अपनी पुस्तक प्रकाशित करवानी थी। इस बात की जानकारी लेने हेतु वो काँल की थी तो मुस्कान केशरी जी ने सारी जानकारी दी और बोली कि आप अपनी रचनाएँ ईमेल के माध्यम से भेज दीजिए। तो वरिष्ठ साहित्यकार बोली- मुस्कान जी मुझे ईमेल चलाने नहीं आता है। वो तो पोता व्हाट्सएप चलाना सिखा दिया है तो चला लेते बाकि कुछ आता नहीं है। क्योकि मेरे समय में ये फोन वोन कहाँ था, इसलिए मुझे सही से चलाने नहीं आता है। हमलोगो के समय में तो पत्र चलता था। लेखिका बोली – ठीक है, आप पोस्ट के माध्यम से भेज दीजिए या फिर अपने पोता को बोलकर भेजवा दीजिएगा। वरिष्ठ साहित्यकार बोली – मुस्कान जी वो पढ़ता है तो उसके पास समय कहाँ की वो भेजे। ऐसे मै बोलकर देखती हुँ। तो लेखिका बोली – आप व्हाट्सएप पर ही भेज दीजिए। व्हाट्सएप पर तो आपको कोई परेशानी नहीं है मैम, अगर कोई परेशानी है तो बताए मै आपको समझा दुँगी ताकि आप सारी रचनाएँ भेज सके। तब वरिष्ठ साहित्यकार बोली – मुस्कान केशरी जी आप बहुत अच्छी है। आपको पता है एक दिन ऐसे ही एक फार्म आया था “नारी शक्ति सम्मान ” का, उसमे भी ईमेल करना था। लेकिन मुझे आता नहीं था तो मैं काँल करके बोली की मुझे ईमेल नही चलाना आता, क्या व्हाट्सएप पर भेज सकते हैं। तो वो लोग मना कर दिए और बोले ईमेल ही करना होगा अन्यथा वो फार्म नही डाल सकती हैं। तो वो अपने पोता को बोलकर – अपना परिचय और फोटो भेजवा देती है। लेखिका बोली – होता है मैम अभी ईमेल पर ही ज्यादातर काम किया जाता है। वो सब छोडि़ए और
हार्दिक शुभकामनाएँ मैम आपको नारी शक्ति सम्मान के लिए। वरिष्ठ साहित्यकार बोलती – नही जी, मै चयनित नही हुँ। लेखिका बोली – पर क्यों वैसे कोई बात नहीं, मैम ये सब फार्म हर साल आता है आप अगले बार फिर से फार्म डालिए और फार्म को पढ़कर डालिए क्योकि हर जगह का चयन प्रतिक्रिया अलग-अलग होता हैं। सहित्यकार बोली – केशरी जी मुझे आज तक जितने सम्मान पत्र प्राप्त हुए वो सब मैने अपने परिचय पर डाला था लेकिन आज तक फेसबुक पर कुछ डाला नहीं और उन्होने फेसबुक आईडी माँगा था और मै दे दी थी। उन्होने काँल करके बताया – मैम आपने अपने परिचय पर जितने सम्मान पत्र डाला, वो आपको सच में मिले है या नहीं। क्योकि फेसबुक पर कुछ नहीं डाला हुआ है इसलिए इन सब सम्मान पत्र की जाँच नही की जा पाई इसलिए आप इस सम्मान के लिए चयनित नही है। उसके बाद काफी सारी बाते हुई लेकिन हर बात लिखना संभव नहीं। अब चलिए बात करते हैं और समझते हैं कि आप को सारे सम्मान पत्र बहुत मेहनत से प्राप्त हुआ लेकिन आपने उसें फेसबुक पर नहीं डाला इसलिए आपका चयन नही हुआ। सोचने वाली बात है शायद इसलिए लोग कही भी खाने-पीने, घूमने-फिरने, जाते हैं तो मोबाइल साथ ले जाते हैं क्योंकि आज के टाइम में सबूत चाहिए और हाँ सोशल मीडिया पर लाइव, शेयर भी। आज के समय में लोग अपने आँखों से कुछ भी देखना भूल चूके है। अपने हाथो से मोबाइल में कैद करते हैं और फिर मोबाइल में ही देखकर खुश होते हैं। बिना सोशल मीडिया के या बिना मोबाइल के शायद इस दुनिया में रहना मुश्किल सा लग रहा है। क्योंकि जितनी तेजी से लोग मोबाइल या सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर रहे हैं जितने ही तेजी से सोशल काइम भी हो रहे हैं। इसलिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करें और सतर्क रहे, सुरक्षित रहे।।

मुस्कान केशरी
मुजफ्फरपुर बिहार
एम एस केशरी पब्लिकेशन की संस्थापिका
सम्पर्क सूत्र : 6203124315

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