*गोपालराम गहमरी पर्यावरण सप्ताह 30 मई से 05 जून में आप सभी का स्वागत है* *आज दिनांक 01 जून को आनलाइन कार्यक्रम के तीसरे दिन चित्र पर कहानी*
गर्मियों का दिन था। मम्मी – पापा घर में आधुनिक लैपटॉप से ऑफिस का काम कर रहे थे। उनका बड़ा बेटा सनी क्रिकेट का मैच देखकर घर वापस आया और दरवाजे की घंटी बजाता है, मम्मी दरवाजा खोलती है ,और सनी को देखकर शॉक हो जाती है, और सनी को डाटने लगती है इतने में पापा भी वहां आ जाते हैं और पूछते हैं क्यों डांट रही हो। मम्मी बताती है कि देखो न ये ऑक्सीजन मास्क पहनकर क्रिकेट देखने गया था। आपको पता है ना कितना महंगा आता है यह ऑक्सीजन मास्क। तुम्हारी एजुकेशन में कमी ना आए इसलिए हम तुम्हें स्कूल भेजने का पूरा प्रयास करते हैं। तुम्हारे स्कूल से ज्यादा ऑक्सीजन मास्क का खर्चा आता है क्योंकि इसके बिना तो तुम स्कूल जा ही नहीं सकते। तुम जानते तो हो बाहर एक भी पेड़ पौधा नहीं है,चिमनी के धुएं से वातावरण इतना प्रदूषित है कि बाहर सांस लेना भी मुश्किल है , गर्मी इतनी ज्यादा है कि शरीर जलता रहता है। ऑक्सीजन मास्क का सदुपयोग करो बेटा हमारी सैलरी उतनी नहीं है कि तुम कहीं भी जा सको। और तुम्हारा छोटा भाई जो अभी बहुत छोटा है उसका भी तो बाहर निकालना जरूरी है उसके लिए भी तो ऑक्सीजन मास्क जरूरी हो जाता है।पापा कहते है बस भी करो ,अब रहने भी दो। कई महीनो के बाद तो बिचारा निकला था। मास्क खत्म हो गए तो और आर्डर कर दो। मैं ओवरटाइम करके मैनेज कर लूंगा। सनी पापा से कहता है पापा अब वह समय कभी नहीं आएगा क्या कि मैं बाहर जाकर रोज अपने दोस्तों के साथ खेल सकूं। मेरा भाई पेड़ के नीचे या घास में खेल सके। मैं स्कूल रोज जा सकूं। आप लोग के ऑफिस घर ना हो के बाहर हो। बेटा पर्यावरण हमने बिगड़ा है इसे बनाने की जिम्मेदारी हमारी होगी। बट यह जिम्मेदारी पूरे समुदाय की है ना एक अकेले कि। तो पापा परी और आपको सुधारने का पहला कदम आज से मेरा होगा।
छाया साहू सक्ती (छत्तीसगढ़) 88390 33415