पनप रही है जो माता की कोख मेंअनजान है वह दुनिया के विविध रूप सेदिखती है जहां मंदिरों में देवी की पूजाखींचता है वही नारियों के तन से लिपटा आंचलक्यों मौत अपने को तरसती है यह बेटीजीना किया दुर्भर इसका समाज नेअपने ही खंजर भोंक देते हैं सीने में( फिर …
Read More »जज्बात
सुनाती हूं एक किस्सा तुम्हें सुनना ध्यान से ,बात एक बार की है,गई थी मैं भी कहींमिला था कोई मुझेअजनबी की तरहवह मुझे देख रहा था ,दीवानों की तरह सुनाती हूं एक किस्सा तुम्हें सुनना ध्यान से ,देखामैंने जब उसको तो,नजरें झुका ली उसने ,चेहरा था खामोश मगर ,दिल में …
Read More »गीत
तू अपनी मोहब्बत मेरे नाम कर दे बस इतना सा मुझपे तू एहसान कर दे सिवा तेरे कुछ मैंने चाहा नहीं है खुदा से भी कुछ मैने मांगा नहीं है तुझे गीत ग़जलों में मैं गा रहा हूँ तेरे आगे मैं हाँथ फैला रहा हूँ भले मुझको दुनिया में बदनाम …
Read More »मौसम-गौरीशंकर
झूठ मक्कारों का बेड़ा पार है। सत्यवादी का ही बंटाधार है। कंटकों का है बिगड़ता कुछ नहीं पुष्प पर मौसम की पड़ती मार है। धनी – निर्धन के नियम होते अलग पक्षपाती न्याय को धिक्कार है। मिलन स्त्री – पुरुष का फैशन बना हो रहा अब प्यार का व्यापार है। …
Read More »भगवा-उमेश कुमार पाठक ‘रवि’
जबतक भगवा, आन रहेगा। तबतक हिन्द महान रहेगा।। हिन्द मिटेगा, हिन्दू घटते, फ़िर वह पापिस्तान रहेगा। जहाँ घटा है, वहाँ मिटा है, बंग, पाक, अफगान रहेगा। विश्व-बंधुता, भगवा दीक्षा, मानवता अभियान रहेगा। सियाराम मय यह जग सारा, जबतक भगवा, शान रहेगा। रविसदन, वनसप्ती नगर,बक्सर (बिहार) 80210 पत्रिका की संस्थापिका की …
Read More »बिखरी राहें -मिनाक्षी
राहें बिखरी हुई थी फूल और कांटे सजे हुए थे किसीने राहों मैं फिर कांटे ही कांटे बिछा दिएपैर हुए लहू लुहान दिल को किया कठोरजिंदगी बनी कारावाससजा जो मुक्कमल की गयी वो यह थीउनकी हंसी की पात्र बनीअपनी बेबसी की गुलाम हुईचुप चाप एक तमाशबीन की तरहहर पल अपने खोजती रहीउदासी मेरी जीवन की …
Read More »बच्चों का बचपन -कुमकुम
*आधुनिक युग में अति महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ गया है बच्चों का बचपन* परिवर्तन सृष्टि का अटूट नियम है।वक्त के साथ हर चीज बदलती है परंतु विगत दो से तीन दशकों में बदलाव की रफ्तार बहुत तेज हो गई है।यह बदलाव कई बार हमारे जीवन में उथल-पुथल भी ला रही …
Read More »ग़ज़ल
नित नए ताने सुनाए जा रहे हैं। जान से प्यारे बताए जा रहे हैं।। काटकर पर कह रहे आज़ाद हो। इस तरह रिश्ते निभाए जा रहे हैं। जान से ज्यादा जिन्हें चाहा सदा। वो हमारी जान खाए जा रहे हैं।। क्यों दुखी हो इस तरह से खुश रहो। मायने हमको …
Read More »कब आओगे मोहन-पूनम
तेरे बिना सूना सूनासुन मेरे प्यारे कृष्णा।वृंदावन तुझे पुकारेगोपी तेरी राह निहारेसब बनी अब जोगनकब आओगे मोहन।*मन में सोच रही राधाजीवन क्यों बची आधा।सखियों को क्या बताऊँउर चैन कैसे मैं पाऊँनीरस लागे अब जीवनकब आओगे मोहन ।*झूले पर गए बागों मेंमेहँदी रच गई हाथों मेंबदरा उमड़-घुमड़ आयेगरज गरज हमें डरायेमस्ती …
Read More »