एक बहुत ही महत्वपूर्ण और सुन्दर महायज्ञ , जिसमें अपनी कला रूपी सामग्री एवं सुगंधित लेखन के धूप से पूजा आरती में शामिल होने ‘ उत्तर प्रदेश , राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार सहित अन्य कई राज्यों के कई कई जिलों से पधारे साहित्य कला और संस्कृति से जुड़े महापंडितो का जो संगम हुआ ! उस पावन भूमि को एशिया का सबसे बड़ा सैनिकों का गाँव कहा जाता है |
माँ गंगा का पावन तट जो इस स्थान पर बिल्कुल मध्य में हो जाती हैं यानि हिमालय से निकलकर गंगा सागर तक पहुँचने का यहाँ सेन्टर पाॅइंट है
द्वितीय विश्वयुद्ध में शामिल होने वाले जांबाजों का परिवार वर्तमान में तीनों सेना सहित ग्लेशियर की बर्फीली चोटियों में अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे गौरव के साथ महायज्ञ के उत्सव में २२ दिसम्बर से २४ दिसम्बर तक प्रतिवर्ष आयोजित इस कार्यक्रम में एक सैनिक की ही भांति कर्मठता यहाँ के आयोजक में भी दिखाई देती है |
वह शख्स अपने आप में एक मिसाल है जो दूसरों को भी बहुत कुछ सिखाता है समय स्वास्थ्य या परिस्थितियां चाहे जैसी भी हों अनुरूप या विपरीत! जीवन को उत्सव की तरह जिएं
शायद इसी विचार से लगातार नौवें वर्ष भी इस आयोजन को पूर्ण सफलता के साथ आयोजित कर ‘ शुभारम्भ से समापन तक सभी के हृदय में बस गया… आने वाले अगले दिसम्बर तक के लिए और वह है जासूसी उपन्यास के जनक कहे जाने वाले श्री गोपाल राम गहमरी जी के स्मृति में आयोजित लेखन कला और साहित्य महोत्सव ’
जहाँ किसी को भी किसी एक स्तर पर नहीं आंका जाता वरन् हर प्रकार के साहित्यकार लेखक कवि एवं कलाकार को उसी रूप में स्नेह और सम्मान मिलता है जो एक उच्च कोटि के साहित्यकार लेखक और कलाकार को मिलता है
ना भीड़ की चाह ना खचाखच भरे माहौल में तालियों के गूंज की उम्मीद , बस शांत और प्रेम से मंत्रमुग्ध हो एक दूसरे से सीखने सिखाने ’अपनी विशेष विधा को और भी तराशने एवं समाज तक समाज के लोगों तक पहुँचाने को वह माँ सरस्वती की गोद ( मंच) जिस मंच पर अपनी प्रस्तुति देकर शायद ही कोई उपस्थित गण ऐसे हों जो स्वयं को गौरान्वित न समझता हो |
इसी उत्सव में मंच पर प्रस्तुति का सौभाग्य हमें भी मिला जिस पर एक जीवंत प्रस्तुति के अवसर पर गण्यमान्य महानुभावों द्वारा हृदय तल से सराहना को हम किसी उपलब्धि से कम नहीं आंकते इसी प्रकार सभी के लेखन साहित्य कला लोककला कत्थक
ईश भक्ति देश भक्ति के साथ साथ इश्क़ मोहब्बत से परिपूर्ण महोत्सव में प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी पूरी सफलता के साथ समापन भी हुआ |
लेकिन इतने बड़े साहित्य कला महोत्सव में दो बातें दिल को छू कर वहीं बस गईं ‘ वे थीं
एक जो मुझ जैसे तुच्छ लेखक की मात्र एक और पहली पुस्तक ( लघुकथा संग्रह ) जिसे उस साहित्य मेले के स्टाॅल में ससम्मान स्थान दिया गया और जिन लोगों अथवा आगंतुकों ने वह संग्रह पढ़ा उन्होंने हृदय से सराहा भी
और दूसरी ये कि बिना किसी सहायता के स्वयं के बल पर इतना बड़ा आयोजन करने के बावजूद विदाई समारोह में अंतिम दिन अंतिम क्षण सभी छोटे बड़े उच्च एवं प्रतिष्ठित जनों से हाथ जोड़कर अश्रुपूरित नेत्रों ‘ भर्राए कंठ से अपनी किसी भी प्रकार की त्रुटियों के लिए क्षमा याचना करना…! सच कहें तो जो भी सम्मान पुरस्कार उपाधि अलंकरण आदि हम सभी ने पाया उससे कहीं अधिक सम्मान के हकदार वे , उसका परिवार उस परिवार के लोग |
ऐसे आयोजक प्रकाशक एवं कर्मठ व्यक्ति अखंड प्रताप सिंह ( अखंड गहमरी ) को हम हृदय तल की गहराइयों से साधुवाद धन्यवाद देते हैं |
अंत में जासूसी उपन्यासकार गोपाल राम गहमरी साहित्य एवं कला महोत्सव के यूँ ही वर्ष दर वर्ष आयोजित होने तथा प्रगति करते हुए अविरल माँ गंगा के धारा की तरह चलते रहने की मंगलमय कामना के साथ मेरी कलम बस इतना ही लिखने की सामर्थ्य रखती है नमन भारत की कला और साहित्य को
जय हिन्द 🇮🇳🙏🏻
संतोष शर्मा ” शान “
हाथरस ( उत्तर प्रदेश )