गोपालराम गहमरी पर्यावरण दिवस समारोह
मेरे आंगन का यह पेड़,
रोज मुझे पुकारे,
मुझे छू लो,
मुझे प्यार करो,
और मैं रोज,
कल कल करती रही,
मैं अपनी जिंदगी में मस्त,
और इधर पेड़ भी बढ़ता रहा,
आज मैं अपनी व्यस्त जीवन से निकलकर
जब मैंने पेड़ को आलिंगन किया,
जैसे मैंने प्रकृति को आलिंगन किया।
छाया साहू सक्ती (छत्तीसगढ़)